साधना वैद ब्लॉगजगत में एक जाना हुआ नाम है और आशालता सक्सेना मासी और माँ खुशकिस्मत हूँ
दोनों का आशीर्वाद मुझ पर बना हुआ है दोनों ही हमेशा मुझे प्रोत्साहित करती है अच्छा लिखने के लिए
( सुधिनामा ब्लॉग की मालकिन ) सुप्रसिद्ध कवियित्री स्व. डॉ. (श्रीमती ) ज्ञानवती सक्सेना जी की पुत्री और श्रीमती आशा लाता सक्सेना जी (आकांशा ब्लॉग ) की छोटी बहन
भाषा पर अधिकार उन्हें अपनी माता जी प्रसिद्ध कवित्री (श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना )जी से विरासत में मिला है ! इसीलिए साधना जी के शब्द चयन बहुत ही सरल और सुंदर है !
करीब दो साल पहले साधना जी की लिखी कुछ लाइन पढ़ी थी जो अचानक आज दोबारा याद आ गई
हर जीत तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं ...........साधना जी के लेखन की जितनी भी तारीफ की जाए कम है हमेशा ही संवेदन शील विषय पर लिखी हर रचना एक अलग ही छाप छोड़ती है साधना जी का लेखन हमेशा ही दिल को छूकर गुजरता है विषय चाहे कोई भी हो
साधना वैद जी रची हुई कुछ पंक्तियाँ उम्मीद है आपको भी पसंद आये .............!!!
हर जीत तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं ,
हर हार हमारी हो ज़रूरी तो नहीं !
सच है तुम्हें सब मानते हैं रौनके महफ़िल ,
हर बात तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं !
जो रात की तारीकियाँ लिख दीं हमारे नाम ,
हर सुबह पे भारी हों ज़रूरी तो नहीं !
बाँधो न कायदों की बंदिशों में तुम हमें ,
हर साँस तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं !
तुम ख़्वाब में यूँ तो बसे ही रहते हो ,
नींदें भी तुम्हारी हों ज़रूरी तो नहीं !
जज़्बात ओ खयालात पर तो हावी हो ,
गज़लें भी तुम्हारी हों ज़रूरी तो नहीं !
दिल की ज़मीं पे गूँजते अल्फाजों की ,
तहरीर तुम्हारी हों ज़रूरी तो नहीं !
माना की हर एक खेल में माहिर बहुत हो तुम ,
हर मात हमारी हो ज़रूरी तो नहीं !
लम्बे समय से मैं साधना जी का ब्लॉग पढ़ रह हूँ पर उनसे मिलने का सौभाग्य अभी तक नहीं प्राप्त हुआ मैं अक्सर साधना जी के बारे में कुछ लिखना चाहता था और क्यों न लिखे आखिर उनके लिखने का अंदाज ही ऐसा है कि पाठक अपने आप ही उनके ब्लॉग पर खिंचा चला आता है उनका यही प्रेरणादायक लेखन ने हमेशा ही ब्लॉगजगत को प्रभावित किया है निरंतर लेखन के लिए साधना जी को ढेरों शुभ कामनायें........!!
( C ) संजय भास्कर
दोनों का आशीर्वाद मुझ पर बना हुआ है दोनों ही हमेशा मुझे प्रोत्साहित करती है अच्छा लिखने के लिए
( सुधिनामा ब्लॉग की मालकिन ) सुप्रसिद्ध कवियित्री स्व. डॉ. (श्रीमती ) ज्ञानवती सक्सेना जी की पुत्री और श्रीमती आशा लाता सक्सेना जी (आकांशा ब्लॉग ) की छोटी बहन
भाषा पर अधिकार उन्हें अपनी माता जी प्रसिद्ध कवित्री (श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना )जी से विरासत में मिला है ! इसीलिए साधना जी के शब्द चयन बहुत ही सरल और सुंदर है !
करीब दो साल पहले साधना जी की लिखी कुछ लाइन पढ़ी थी जो अचानक आज दोबारा याद आ गई
हर जीत तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं ...........साधना जी के लेखन की जितनी भी तारीफ की जाए कम है हमेशा ही संवेदन शील विषय पर लिखी हर रचना एक अलग ही छाप छोड़ती है साधना जी का लेखन हमेशा ही दिल को छूकर गुजरता है विषय चाहे कोई भी हो
साधना वैद जी रची हुई कुछ पंक्तियाँ उम्मीद है आपको भी पसंद आये .............!!!
हर जीत तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं ,
हर हार हमारी हो ज़रूरी तो नहीं !
सच है तुम्हें सब मानते हैं रौनके महफ़िल ,
हर बात तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं !
जो रात की तारीकियाँ लिख दीं हमारे नाम ,
हर सुबह पे भारी हों ज़रूरी तो नहीं !
बाँधो न कायदों की बंदिशों में तुम हमें ,
हर साँस तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं !
तुम ख़्वाब में यूँ तो बसे ही रहते हो ,
नींदें भी तुम्हारी हों ज़रूरी तो नहीं !
जज़्बात ओ खयालात पर तो हावी हो ,
गज़लें भी तुम्हारी हों ज़रूरी तो नहीं !
दिल की ज़मीं पे गूँजते अल्फाजों की ,
तहरीर तुम्हारी हों ज़रूरी तो नहीं !
माना की हर एक खेल में माहिर बहुत हो तुम ,
हर मात हमारी हो ज़रूरी तो नहीं !
लम्बे समय से मैं साधना जी का ब्लॉग पढ़ रह हूँ पर उनसे मिलने का सौभाग्य अभी तक नहीं प्राप्त हुआ मैं अक्सर साधना जी के बारे में कुछ लिखना चाहता था और क्यों न लिखे आखिर उनके लिखने का अंदाज ही ऐसा है कि पाठक अपने आप ही उनके ब्लॉग पर खिंचा चला आता है उनका यही प्रेरणादायक लेखन ने हमेशा ही ब्लॉगजगत को प्रभावित किया है निरंतर लेखन के लिए साधना जी को ढेरों शुभ कामनायें........!!
( C ) संजय भास्कर
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (16.01.2015) को "अजनबी देश" (चर्चा अंक-1860)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंबाँधो न कायदों की बंदिशों में तुम हमें ,
जवाब देंहटाएंहर साँस तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं ...
साधना जी एक जानामाना नाम हैं ब्लोगिंग और साहित्य में ... जितना पढो उनको उतना ही कम लगता है ... सामाजिक और दार्शनिकता लिए उनके भाव मन में सीधे उतारते हैं ... आपका आभार संजय जी उसके बारे में सब पाठकों तक उनकी रचनाएं पढवाने का ...
हम तो उनको पढ़ते और पसंद करते आए है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंहम भी साधना जी को हमेशा से पढ़ते आए हैं... उनका गम्भीर और अनुभवयुक्त लेखन हम सभी के लिए एक अनुपम उपहार है .... सुन्दर प्रस्तुतीकरण के लिए बधाई संजय जी
जवाब देंहटाएंसाधना जी का लेखन अत्यधिक प्रभावशाली है...सार्थक पोस्ट !
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका संजय मेरे बारे में इतना अच्छा सोचने और लिखने के लिये ! अभिभूत हूँ आपसे मिले अपने इस परिचय के बाद ! यद्यपि मैं स्वयं को इस प्रशंसा के लायक कहीं नहीं पाती तथापि एक बार पुन: आपका हृदय से धन्यवाद !
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंसंजय जी
सादर नमस्कार व आभार साधना जी से अपने शब्दों के\
माध्यम से परिचय कराने के लिये.
बहुत ही खूब लिखा है---कि
हर बात के लिये तुम्हारी हां हो
हर सांस के लिये रजामंदी
तुम्हारी हो----
कुछ तो पास हमारे भी है,कि
बात हमारी भी हो---
साधना वैद जी के बारे में सुन्दर प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंशैली वही जो दिल में उतर जाए। और साधना मैम बहुत अच्छा लिखती हैं।
जवाब देंहटाएंसार्थक पोस्ट ! सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसुंदर,सार्थक प्रस्तुति...अच्छा लगा आ. साधना जी को पढ़ कर...आभार
जवाब देंहटाएंआप बहुत अच्छा लिखती है ...........अच्छा लगा आपने काफी विस्तार से चर्चा किया ......आपका प्रयास सराहनीय है.....साभार!
जवाब देंहटाएंजरुरी तो नहीं …
जवाब देंहटाएंसच में बहुत अच्छी ग़ज़ल। धन्यवाद संजय जी ये ग़ज़ल पढ़वाने के लिए।
मेरी सोच मेरी मंजिल
माना की हर एक खेल में माहिर बहुत हो तुम ,
जवाब देंहटाएंहर मात हमारी हो ज़रूरी तो नहीं !
bahut sundar gazal aur sadhna ji ke bare me jaan kar achha laga ...
bahut sundar sadhna ji ki rachnayen behad umda hai hardik dhnyavad unhe punah padhwane hetu
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया आपने
जवाब देंहटाएंवाकई उनकी लेखनी प्रभावशाली है।
साधना जी के लेखन से काफ़ी समय से परिचय है..साधना जी ब्लॉग जगत का एक जानामाना नाम हैं और उनकी हर रचना मन को आकर्षित करती रही है...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति आदरणीया साधना जी की ग़ज़ल की साभार संजय भाई!
जवाब देंहटाएंसुन्दर ,सरस प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गज़ल साझा की है आपने, धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंSadhna Vaidy ji ki rachna bahut achchhi lagi ....han maine kaee bar unhe padha hai .
जवाब देंहटाएंसम्मानित रचनाकार को सहृद नमन।
जवाब देंहटाएंसंजय भाई सुन्दर गजल और सुन्दर प्रस्तुति ..साधना जी का ब्लॉग तो हम पढ़ते ही रहते हैं लेकिन आप की कलम चली तो और आनंद आया उन्हें और आप सब को शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
sach kaha sanjay.....hum bhi unhe hamesha padhte hain....apne sundar gazal kay saath....unkay bare mey hume jankari di....shukriya
जवाब देंहटाएंShare karne ke liye dhanyawaad Sanjay Ji! Sachmuch badi hi khubsurat rachna hai :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसाधना जी से हम सभी परिचित हैं, अआप का प्रयास बहुत सराहनीय है.....उनके बारे में उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो तो बेहतर हो
बहुत सुंदर लेख साधना वैद जी के बारे में । उनके ब्लॉग पर काफी बार जाना हुआ है। उनके बारे में पढकर अच्छा लगा। धन्यवाद आपका।
जवाब देंहटाएंबेहद पठनीय ब्लाग है आपका।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है आपने !
जवाब देंहटाएंगोस्वामी तुलसीदास
तुम ख्वाब में बसे हो
जवाब देंहटाएंनीड भी तुम्हारी हो जरुरी तो नही....
बहुत खूब...
बहुत सुन्दर ...,
जवाब देंहटाएं