कॉलेज को छोड़े करीब
सात साल बीत गये !
मगर आज उसे जब 7 साल बाद
देखा तो
देखता ही रह गया !
वो आकर्षण जिसे देख मैं
हमेशा उसकी और
खिचा चला जाता था !
आज वो पहले से भी ज्यादा
खूबसूरत लग रही थी
पर मुझे विश्वास नहीं
हो रहा था !
की वो मुझे देखते ही
पहचान लेगी !
पर आज कई सालो बाद
उसे देखना
बेहद आत्मीय और आकर्षण लगा
मेरी आत्मा के सबसे करीब ..............!!
चित्र - गूगल से साभार
@ संजय भास्कर
57 टिप्पणियां:
संजय भाई नमस्कार, काफी दिनों के बाद आपकी कविता आई है, पढ़कर आपके साथ-साथ काफी और लोगों पुरानी यादें तरोताजा हो जायेंगी. सुन्दर प्रस्तुति बधाई
Bahut hi khubsurat shabdo se sanjoya hai apne yado ko.
Badhai.
सुन्दर ख्याल
bahut umda vapasee sanjay
उम्दा अभिव्यक्ति !!
चलो अच्छी बात ...। अगले सात का भी ख्याल रखना ...।
मन की कोमल भावनाएं अभिव्यक्त हुई हैं ...
ह्म्म्मम्म
क्या कहें ...आपके दिल से निकली मीठी सी बात है...
:-)
अनु
मुद्दते गुजरी तरी याद भी आई न हमें,
और हम भूल गए हों तुझे,ऐसा भी नही,,,,
RECENT POST शहीदों की याद में,
बहुत सुन्दर अहसास...
sundar bhaav ....
sundar rachna ..
हर ज़ख़्म की आगोश में है दर्द तुम्हारा
-------------------------------
हर ज़ख़्म की आगोश में है दर्द तुम्हारा
-------------------------------
सुन्दर अभिव्यक्ति !!
यादों की दुनिया में तो तुम थी ,रहोगी सदा
यूँ मुलाकात तुम से राह में भी, होगी यदा-कदा
--बहुत बहुत शुभ कामनाएं
New post बिल पास हो गया
New postअनुभूति : चाल,चलन,चरित्र
atit hmesha lubhawana hota hai.....
होता है बीती बातों का आकर्षण ...
दिल के जज्बात ... क्या बात है ...
वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..संजय.बस .मुस्कराते रहो
आकर्षण कहाँ बूढ़ा होता है..
sundar ahsasho se bhari aur smrition ke jharokhe jhakti prastuti
bahut sundar rachna
अति सुन्दर रचना...
पहला आकर्षण कभी ख़त्म नहीं होता..
यकायक जब वो सामने आते है तो बीती यादे पुनः
समृति पटल पर छाने लगते है...
:-)
पुराना आकर्षण जब सामने आ जाये तो और भी बढ़ जाता है।
दिल के कोमल अहसास।
very impressive post .... very well written & fabulous as always
plz . visit -http://swapniljewels.blogspot.in/2013/01/a-kettle-of-glitters.html
सही लिखा है संजय जी...आकर्षण का रंग समय के साथ और गहराता जाता है ...
ताकि आपकी मुस्कान बनी रहे - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
वाह!
आपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 04-02-2013 को चर्चामंच-1145 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बहुत सुन्दर....समय के साथ भी कुछ नहीं बदलता कभी कभी
ऐसा ही होता है...
चलिये आप को अच्छा तो लगा..
बहुत बढ़िया हुज़ूर | पुराने दिन याद दिला दिए आपने | मुझे भी कुछ ऐसे ही लम्हे याद आ गए |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
कालेज की यादें ताजा करता रचना |
आशा
सुन्दर प्रस्तुति बधाई
उम्दा अभिव्यक्ति ****
बहुत स्वाभाविक!
प्रभावी प्रस्तुति |
शुभकामनायें ||
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
कोमल अहसासों को अभिव्यक्त करती सुकुमार सी रचना ! बहुर सुन्दर !
बढ़िया रचना है संजय भाई .मुबारक
कॉलेज को छोड़े करीब
सात साल बीत गये !
मगर आज उसे जब 7 साल बाद
देखा तो
देखता ही रह गया !
वो आकर्षण जिसे देख मैं
हमेशा उसकी और।।।।।।।।।।।।।।।।ओर
खिचा चला जाता था !...........खिंचा
आज वो पहले से भी ज्यादा
खूबसूरत लग रही थी
पर मुझे विश्वास नहीं
हो रहा था !
की वो मुझे देखते ही
पहचान लेगी !
पर आज कई सालो बाद ............सालों
उसे देखना
बेहद आत्मीय और आकर्षण लगा
मेरी आत्मा के सबसे करीब ..............!!
सुन्दर,मनोहर .
भावपूर्ण प्रस्तुति.
खूबसूरत मनोभाव लिए श्रगारिक कविता संजय बधाई
मधुर यादें कभी नहीं जाती ...बहुत सुन्दर ..अब मगर आकर्षण घर में देखना ...
बहुत ही सुन्दर भाव
सुन्दर अहसास
सुंदर सहज भाव, वाह !!!!!!!!!!
यह हमेशा ऐसा ही रहता है ...
पहचान पुरानी जरुर थी ..पर थी अपनी सी :)
yaadon ka manzar ..yadakada laut hi aata hai!
vo purani baaten thin.....ab vartmaan men aa jaiye.
khubsurat tasveer ke sath khubsurat kavita
बड़े दिन बाद आये हो ...
शुभकामनायें !
KYA DEKHTE HO SANJAY
KEEP IT UP....
अति सुन्दर रचना...
पहला आकर्षण कभी ख़त्म नहीं होता..!!!
बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
संजय भाई ...सुन्दर यादों में पिरोई रचना ..ताजगी वाली आत्मा को सम्भालियेगा ..आप के कदम अब और कहीं प्रेम सजनी साजन
भ्रमर 5
हर शब्द की अपनी पहचान बना दी क्या खूब लिखा है
मेरी नई रचना
प्रेमविरह
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
Khubsurat ehsas...
वाह! पुरानी याद ताजा हो गयी.
प्यार तो शराब की तरह है ...जितना पुराना होता जाएगा उतना ही ज्यादा रंग दिल पर जमाता है
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