कुछ खो जाना भी
अक्सर सुई की
चुभन जैसा होता है
जिसमे दर्द तो उठता है
पर हम जल्दी ही संभल जाते है
जैसे किसी बुजुर्ग व्यक्ति का
चश्मा खो जाना ,
अस्पताल जाना हो और
डाक्टर की पर्ची खो जाना ,
अलमारी से कपडे निकलने हो
और चाबी खो जाना ,
दफ्तर जाने के लिए तैयार बैठे हो
और मोटर साइकल की चाबी खो जाना ,
कुछ चीजे ऐसी होती है !
जो खोने के बाद अक्सर मिल जाती है
.........पर कई बार कुछ ऐसी चीजे
खो जाती है
जो कभी नहीं मिलती ........!!!!
@ संजय भास्कर
55 टिप्पणियां:
behtreen rachna ke liye badhai
ज़िन्दगी भी खोने और पाने का नाम है !
छोटी से छोटी चीज भी खो जाने पर बहुत तकलीफ देती है आपने सोचने को बाध्य कर दिया है कि लखनऊ में आपका क्या खो गया ?
अच्छी रचना |
सच कहा है संजय जी ... कुछ चीजें हमेशा हमशा की लिए खो जाती हैं और कभी मिलती नहीं ... ऐसी चीजों को संभाल के रखना जरूरी होता है ...
गहरे जज्बात रख दिये हैं खोल के ,...
bahut dino baad aai hai aapki kavita.. gahrai hai rachna me... jiwan ka ansh hai kavita me.. shubhkaamna sanjay ji
बहुत सुन्दर गहन भाव दर्शाती बेहतरीन प्रस्तुति
अच्छी रचना
शुभकामनाये
अच्छी रचना , बड़ी साफगोई दिखती है शब्दों मैं बधाई
सारी ज़िंदगी इसी खोने पाने में निकाल जाती है ...बेहतरीन
gahan abhivyakti ....
shubhkamnayen ...
शब्दों के जरिए आपने,अपने अंतरद्वन्द को बखूबी जाहिर किया है |
अतिसुंदर..
मेरा ब्लॉग आपके इंतजार में,समय मिलें तो बस एक झलक-"मन के कोने से..."
आभार..|
बहुत सही...
वाह ... बेहतरीन
.........पर कई बार कुछ ऐसी चीजे
वाह.. बेहतरीन जज्बा संजयजी
खोना पाना तो लगा रहता है
पर इस बीच पता चलता है..
की कीमत किसकी कीतनी है..
खरी-खरी रचना...
सुन्दर....
:-)
रोज़मर्रा के उदाहरणों से बड़े ही सरल शब्दों में जिंदगी में खोने पाने का लेखा जोखा दिया है.
क्या खोया हम जानते, खोलेंगे ना राज |
खोने का दुख सह गये,बहुत खूब अंदाज ||
वाह.....
कभी कभी हम खुद ही खो जाते हैं....
अनु
महत्व तो जाने के बाद ही समझ आता है..
खूबसूरत शब्द भाव
क्या खोया हम जानते, खोलेंगे ना राज |
खोने का दुख सह गये,बहुत खूब अंदाज ||
बहुत खूब अंदाज ,टीस है मन में उठती |
जायेगें हम भूल,गर वह चीज है मिलती ||
मन आहत न होता,मगर बात हो गई ब्या |
खोलेगें ना राज ,जानते खोया है क्या ||
अरुण जी, की दोहे में रोला मिलाकर बनी कुण्डली,,,
MY RECENT POST ...: जख्म,,,
@ रोज़ सुबह उठते हुए
अकसर कुछ खो जाता है ...
कभी अधूरे सपने तो कभी उनका मज़मून.
'क्या देखा था.. कौन-कौन मिले थे' ....प्रश्न थोड़ी-थोड़ी देर में कौंधते हैं.
वैसे ही बचपन में साथ पढ़े
जब चेहरा बदलकर बीस-तीस वर्ष बाद मिलते हैं.
तो कुछ खो सा जाता हूँ...
'कहीं तुम वो तो नहीं', 'तुम्हें कहाँ देखा है' जैसे प्रश्न मन में अनायास घुस आते हैं.
सञ्जय भास्कर,
आपके मनोभावों की यही खासियत है कि वह सहज गति से प्रवाहित हैं.
मुझे बहुत आनंद आया इस मंथर गति (अंदाज़) में अपनी कुछ बातें कहने में.
इसलिये कह सकता हूँ - ये उम्दा रचना है.
sahi kaha sanjay sir.. kho jana bura hi hota hai...aur ek teekha ajnubhav de jaata hai..
इस भीड़ भरी दुनिया में कुछ कुछ खोजाना सम्भव है ..बहुत सुन्दर..शुभकामनाएं..संजय.मेरी पोस्ट मे स्वागत है..
खोने का दुःख पाने की खुशी से भुलाया जा सकता है..पर जिसे पाया न जा सके उसे खोकर तो..
कुछ चीजें खोकर मिल जाती हैं,वह खुशी देती हैं...जो नहीं मिल पातीं वह दर्द बन जाता है|
खोकर कोई चीज अगर न मिले,तो कष्ट तो होता है,,,
RECENT POST,परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,
bahut badhiya rachna....as always....
very true!!!
Bilkul sahi kaha sanjay bhai kabhi -kabhi ham kuch asa kho jate hain,jiski bharpai ham jindgi bhar nahi kr sakte . Bahut kuch sochne pr mazboor karti hai aapki rachna.
..........Shukriya.........
बहुत ही गहरी अभिव्यक्ति संजय भाई बधाई स्वीकारें
शायद यह खोने पाने कि जग दो जहद ही दूसरा नाम है ज़िंदगी है मगर वाकई कुछ चीज़ ऐसी होती है ज़िंदगी में जो खोकर कभी दुबारा नहीं मिलती जैसे गुज़रा हुआ वक्त जो फिर कभी लौटकर नहीं आता और ज़िंदगी भर कि तड़प दे जाता है जिसकी चुभन अंतिम सांस तक भी कभी शांत नहीं होती। सार्थक एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
सीधे से और कम शब्दों में बहुत बड़ी बात ......... शुभकामनाएं !!!
behad naazuk
बहुत सुन्दर है संजय. बधाई.
यही जीवन है कभी कुछ खो देना और कभी कुछ पा जाना...
बढ़िया प्रस्तुति... शुभकामनायें
खोया हुआ पाने में कितनी भी ख़ुशी मिले , परन्तु पाया हुया खोने में बे-इंतहा तकलीफ होती है |
सच है कुछ चीज़ें एक बार खो जाये तो कभी नहीं मिलतीं .....
सार्थक चिंतन.
सुन्दर अभिव्यक्ति.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार....
sach kaha kuch cheeze kabhi nhi milti
बहुत सुन्दर , बेहतरीन प्रस्तुति.......
खोना शब्द ही दुःख का कारण है..अच्छे विचार से सजी सुन्दर कविता...धन्यवाद संजय जी..
jeevan me khona pana laga rahta hai....
par hmesha humsabhi ko kuch khone ka dar aur dard bana rahta hai....
bahut hi sundar rachna....
khona-pana jindgi ka lekha jokha hai ! ab aap kya kho aaye lucknow me ........?
kuch shabdon ke madham se badi bat kah di .....very nice ....
.
कुछ खो जाना भी
अक्सर (अकसर )सुई(सूई ) की
चुभन जैसा होता है
जिसमे(जिसमें ) दर्द तो उठता है
पर हम जल्दी ही संभल जाते है(हैं )
जैसे किसी बुजुर्ग व्यक्ति का
चश्मा खो जाना ,
अस्पताल जाना हो और
डाक्टर की पर्ची खो जाना ,
अलमारी से कपडे(कपडें ) निकलने(निकालने ) हो(हों )
और चाबी खो जाना ,
दफतर जाने के लिए तैयार बैठे हो
और मोटर साइकल की चाबी खो जाना ,
कुछ चीजे(चीज़ें ) ऐसी होती है !
जो खोने के बाद अक्सर(अकसर ) मिल जाती है(हैं )
.........पर कई बार कुछ ऐसी चीजे(चीज़ें )
खो जाती है(हैं )
जो कभी नहीं मिलती ........!!!!बढ़िया प्रस्तुति ,अनुनासिक .अनुस्वार पर गौर करें ..ram ram bhai
मंगलवार, 11 सितम्बर 2012
देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने
geeta me bhagwan sri krishna kehte hai..tum kya laaye the jo tumne ko diya. halaki is katahn ko sweekar karna antyant mushkil hai!
कुछ खो जाना भी
अक्सर सुई की
चुभन जैसा होता है
सच कहा आपने
Bahut khub Bhaskar..
मन को उद्वेलित करने वाली रचना...
बहुत खूबसूरत रचना संजय जी....... रचना पढ़ने के बाद वाकई कुछ टूटा टूटा सा बिखरा बिखरा सा लग रहा है......... बहुत बधाई..........
सच ही कई चीज़े खो जाने के बाद कभी नहीं मिलती -बहुत सुंदर भावों से पूर्ण रचना -बधाई
वक्त , रोज खोता है और कभी वापस नहीं मिलता |
लेकिन कितने लोग समझ पाते हैं ये बात |
सुन्दर कविता |
सादर
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