31 दिसंबर 2010

2011 के साथ होगी खुशियों की बरसात...........संजय भास्कर


कुछ दिनों की है बात
फिर हर रोज होगी मुलाकात
कुछ तुम कहना कुछ हम कहेंगे
अपने दिल की बात
कैसे कैसे सपने देखे
कैसे बीती वो आपसे दूर रह कर रात
  बीता 2010 आ रहा 2011 का साथ
इंतज़ार की घड़िया ख़त्म होने को है
रूबरू होंगे लेकर खुशियों की बरसात !
Happy  New Year 
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ब्लॉग जगत के तमाम साथियों को मेरी तरफ से नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें , अपना स्नेह और प्यार इसी तरह बरकरार रखना ......मुझे अभी बहुत कुछ कहना है ..........!

....संजय कुमार भास्कर....  

27 दिसंबर 2010

" ......इक अनाथ का दर्द ........"


मैं अनाथ हूँ तो क्या
मुझे न मिलेगा प्यार कभी
किसी की आँख का तारा
क्या कभी बन पाऊंगा
किसी के घर आँगन में
फूल बन मह्कूंगा कभी
ओ दुनिया वालों
मैं भी तो इक बच्चा हूँ
माना तुम्हारा खून नही हूँ
न ही संस्कार तुम्हारे हैं
फिर भी हर बाल सुलभ
चेष्टाएं तो हैं मेरी भी वही
क्या संस्कार ही बच्चे को
माँ की गोद दिलाते हैं
क्या खून ही बच्चे को
पिता का नाम दिलाता है
क्या हर रिश्ता केवल
खून और संस्कार बनाता है
तुम तो सभ्य समाज के
सभ्य इंसान हो
फिर क्यूँ नही
मेरी पीड़ा समझ पाते हो
मैं भी तरसता हूँ
माँ की लोरी सुनने को
मैं भी मचलना चाहता हूँ
पिता की ऊँगली पकड़
मैं भी चलना चाहता हूँ
क्या दूसरे का बच्चा हूँ
इसीलिए मैं बच्चा नही
यदि खून की ही बात है तो
खुदा ने तो न फर्क किया
फिर क्यूँ तुम फर्क दिखाते हो
लाल रंग है लहू का मेरे भी
फिर भी मुझे न अपनाते हो
अगर खून और संस्कार तुम्हारे हैं
फिर क्यूँ आतंकियों का बोलबाला है
हर ओर देश में देखो
आतंक का ही साम्राज्य है
अब कहो दुनिया के कर्णधारों
क्या वो खून तुम्हारा अपना नही
एक बार मेरी ओर निहारो तो सही
मुझे भी अपना बनाओ तो सही
फिर देखना तुम्हारी परवरिश से
ये फूल भी खिल जाएगा
तुम्हारे ही संस्कारों से
दुनिया को जन्नत बनाएगा
बस इक बार
हाथ बढाओ तो सही
हाथ बढाओ तो सही 
चित्र :- ( गूगल से साभार  )
 
कविता के माध्यम से एक अनाथ के दर्द को बयाँ किया है 
वंदना जी ने इतनी सुन्दरता से लिखा कि मैं अपने ब्लॉग पर ही ले आया 
वंदना जी कि कलम से निकली एक बेहतरीन रचना 
वंदना गुप्ता  जी के ब्लॉग से ये कविता आप तक  पहुंचा रहे है संजय भास्कर
 

22 दिसंबर 2010

200 फोलोवर ...सभी ब्लोगेर साथियों और ब्लॉगस्पॉट का तहे दिल से शुक्रिया ...संजय भास्कर

मुझे  यह  बताते हुए बहुत ही ख़ुशी हो रही है. आज बलाग जगत में  मेरे  समर्थको (Followers) की संख्या 2०० हो गई है  
मैं आभार प्रकट करना चाहता हूँ , मैं और मेरी कविताये  वाली लेखिका संध्या शर्मा  जी  की  , जिन्होंने आदत...... मुस्कुराने  की का  दोसौवांफोलोवर बनकर इस नाचीज़ को भी ब्लॉग जगत के विशिष्ठ ब्लोगर्स की श्रेणी में ला खड़ा कर दिया ।

इसी पर चंद लाइन पेश करता हूँ उम्मीद है आपको पसंद आएगी 

    आनंदित है रोम रोम, पाकर प्यार आपका
थैंक्स, शुक्रिया, मेहरबानी, छोटे पड़ गए
कैसे करूँ प्रकट आभार आपका
नहीं उतरेगा कर्ज इस जन्म, मुझसे 
संजय रहेगा सदा कर्जदार आपका।
 
इसी पर एक छोटी सी कविता  पेश करता हूँ आपके सामने
शुक्रिया ब्लॉगस्पॉट
तेरा बहुत शुक्रिया
मेरे जीवन में एक तरंग लाए हो तुम
लगता खुशियां अपने संग लाए हो तुम
मुझे साथ खड़े हैं दो सौ दिमाग
चार  सौ आंखे, चार सौ हाथ
जारी है गिनती, मेरी बढ़ती खुशियों की
बढ़ाने को मेरा हौसला हर कदम पर
शुक्रिया ब्लॉगस्पॉट!
बनी रहेगी आदत........मुस्कुराने की मेरी
तेरे संग ब्लॉगस्पॉट
शुक्रिया,.बहुत शुक्रिया..

.......आमीन.......

साथ ही आप सभी पेश है मेरी दो सौंवी फ़ॉलोअर संध्या शर्मा जी की एक सुंदर कविता 

" KAVITA "

" कविता केवल कविता नहीं होती है,
हर कवि के मन का दर्पण होती है..
जब वो रोता है तो रोती भी है,
और हँसता है तो हंसती भी है,
कभी ये रोटी को तरसती भी है,
कभी बरखा बन के बरसती भी है,
कभी फूल बन के महकती भी है,
कभी शूल बन के चुभती भी है,
ये युवा मन की शक्ति भी है,
और कभी ईश्वर की भक्ति भी है,
कभी इसमें कोमल सी प्रीति भी है,
और कभी जग से विरक्ति भी है,
कभी इसमें उजाला, अँधेरा भी है,
कभी इसको जुल्मों  ने  घेरा भी है,
कभी इसमें अहसास मेरा भी है,
कभी इसमें तेरा बसेरा है,"         


.........................संजय कुमार भास्कर 

16 दिसंबर 2010

माँ की परिभाषा........संजय भास्कर


माँ की परिभाषा कोई पूछे तो ,
प्यार मैं बतलाता हूँ |
माँ का आँचल कोई पूछे तो ,
आकाश मैं दिखलाता हूँ  |
माँ कि सहनशीलता कोई पूछे तो ,
धरती मैं बतलाता हूँ |
माँ कि लोरिया कोई पूछे तो ,
तारे मैं गिनवाता हूँ |
माँ का त्याग कोई पूछे तो ,
बयाँ नहीं कर पाता हूँ |
भगवान के बारे में पूछे तो कोई ,
माँ का चेहरा दिखलाता हूँ |

...............संजय कुमार भास्कर  



13 दिसंबर 2010

नए पुराने ब्लोगरो हेतु ब्लोगिंग टिप्स...नरेश जी के ब्लॉग से पहुंचा रहे है.... संजय भास्कर

मुझे हिन्दी ब्लोगिंग में बहुत ज्यादा समय नहीं हुआ है लेकिन जितना समय हुआ है उसमे बहुत कुछ सीख गया हूँ | ये पोस्ट लिखने की आवश्यकता भी रोहतक में ब्लोग्गर मिलन के बाद ही महसूस हुई है | ज्यादा भूमिका बनाए बगैर सीधे काम की बात पर आते है |

     नए बलोगर जो गलती करते है उनके बारे में पहले भी एक पोस्ट मैंने लिखी थी | उन बातों को दुबारा यहां लिख रहा हूँ |
वर्ड वैरिफ़िकेशन - नए ब्लोगर इसे हटाते नहीं जिससे उनके बलोग पर टिप्पणी देने में परेशानी आती है और मजबूरन पाठक दुसरे बलोग पर चले जाते है | इसका तरीका है -ब्लोगर डेशबोर्ड --> सेटिंग---> कमेंट्स ---- >शो वर्ड वैरिफ़िकेशन फार कमेंट्स ---->सेलेक्ट नो-----> सेव सेटिंग्स
     
     सब्सक्राईब करने का लिंक - अपने पाठको को ई मेल द्वारा सब्सक्राईब करने का लिंक जरूर लगाए |
विजेट बार में फोल्लोवर बनने का विजेट जरूर लगाए - आज कल नए टेम्प्लेट में तो यह सुविधा आती ही है अगर नहीं भी हो तो आप इसे चालू कर सकते है |
टिप्पणी देने में कंजूसी ना करे - टिप्पणियां हिन्दी बलोग जगत के विकास में टिप्पणियों की अहम भूमिका रही है | कोइ भी बलोग्गर इसके महत्त्व को नकार नहीं सकता है |तो आप भी ज्यादा से ज्यादा टिप्पणी दे ताकी आपका लिंक ज्यादा से ज्यादा जगह पर दिखाई दे | और वो गूगल सर्च में टॉप पर आये | चिट्ठा जगत में भी ताजा टिप्पणियों में आपका जिक्र होता रहेगा | 
 
      मित्र ब्लॉग -अपने मित्रो के ब्लॉग का लिंक अपने ब्लॉग के साईड बार में दिखाए और उन्हें भी ऐसा करने का आग्रह करे |जिससे आपके ब्लॉग का लिंक ज्यादा से ज्यादा जगह पर दिखाई दे और आपके विजिटरो की संख्या में इजाफा हो|
अपने ब्लॉग को ब्लॉग अग्रीगेटर से जोड़े  - अपने ब्लॉग को जितने भी ब्लॉग अग्रीगेटर है उनमे पंजीकृत करे | जिससे की आपके ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा पाठक मिल सके और आपके ब्लॉग का लिंक भी ज्यादा जगह पर पहुचे |

     अच्छे पाठक बने - आप किसी भी ब्लॉग की नयी पोस्ट कैसे पढ़ते है | सबका अलग अलग जवाब होगा | रोहतक में जब बलोगर मिले थे तब भी बहुत से ब्लोगरो ने यही समस्या बतायी थी की ब्लॉग वाणी के बंद होने के बाद चिट्ठो की नयी पोस्ट पढने में परेशानी होती है | और अब तो चिट्ठाजगत भी बीमार चल रहा है | अजय भाई ने इसका एक सरल उपाय बताया था की आप अपने पसंदीदा ब्लॉग को फोल्लो कीजिये और अपने ब्लोगर डेशबोर्ड पर उनकी नयी पुरानी पोस्ट आराम से पढ़िए | लेकिन मुझे ये तरीका कम पसंद है |इसका सबसे बढ़िया उपाय है गूगल रीडर | गूगल रीडर सबसे बढ़िया माध्यम है जिससे की आप अपने पसंदीदा ब्लॉग या वेब साईट की नयी पुरानी पोस्ट को आराम से पढ़ सकते है |  इस के बारे में आपको बता दू की आपको गूगल रीडर के लिए अलग से खाता बनाने की आवश्यकता नहीं है आप इसमें अपने जी मेल से भी लोगिन कर सकते है | आपने जिन ब्लॉग को फोल्लो कर रखा है वो वंहा आपको स्वत ही मिल जाते है |बाकी जानकारी आप अगली पोस्ट में पढ़ सकते है |

     गूगल चैट का उपयोग - आप अपने गूगल चैट विंडो के स्टेटस में आप अपनी जिस पोस्ट को पढवाना चाहते है यानी की नयी पोस्ट उसका लिंक वंहा लगा सकते है | उस मैसेज को संपादित भी कर सकते है| आपके दोस्त उस मैसेज को पढ़कर आपकी नयी पोस्ट पर पहुच जायंगे |
                                                                                                      
     ऑरकुट और फेस बुक जैसी शोसल नेटवर्किंग साईटो का उपयोग - ये साईट भी विजिटरो को आपके ब्लॉग तक लाने का अच्छा माध्यम हो सकती है | आप अपने प्रोफाइल में, नए ताजा मेसेज में अपनी पोस्ट और ब्लॉग का जिक्र कर सकते है | फेस बुक में तो अपने नोट्स के रूप में अपने ब्लॉग को ही इम्पोर्ट कर सकते है जिससे आपके ब्लॉग की पुरानी पोस्ट भी वंहा आ जायेगी ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार होगा |

     अपने दोस्तों को,जान पहचान वालो को ई मेल द्वारा अपने ब्लॉग के बारे में बताये लेकिन एक बात का ध्यान रखे उनको एक बार ही मेल करे , बार बार करने से गलत असर होता है |
अपने ब्लॉग को सर्च इंजन में जोड़े - इस बारे में आप आशीष भाई के ब्लॉग पर जाए उन्होंने बहुत बढ़िया पोस्ट लिखी है |
अपने ईमेल के हस्ताक्षर में अपने ब्लॉग का पता जरूर लिखे -जिससे मेल प्राप्तकर्ता एक बार आपके ब्लॉग पर जरूर जाएगा अगर ब्लॉग अच्छा लगा तो वह उसे बुक मार्क कर पढेगा |

     अपने ब्लॉग को ज्यादा तडक भड़क वाला ना बनाए क्यों की पाठक वंहा साज सज्जा देखने नहीं आता है वो उसकी विषय सामग्री हेतु ही आता है | जितने ज्यादा जावा विजेट्स होंगे उतना ही पेज लोडिंग का समय बढेगा जो की एक पाठक के लिए उबाऊ होगा |

     सर्च इंजन में आने का सबसे बढ़िया फार्मूला है जो भी शब्द ज्यादा सर्च किये जाते है उन पर पोस्ट का ताना बाना बुना जाए | जैसे आज कल"मुन्नी बदनाम " "विकिलीक्स" आदि शब्द ज्यादा सर्च किये जाते है |
यह पोस्ट आपको किसी लगी अपनी राय दे | अगर कुछ समझ में ना आये तो टिप्पणी या मेल द्वारा पूछे | 

नरेश जी का ईमेल आईडी है :-"नरेश सिह राठौड़"


ये सभी टिप्स मेरी शेखवाटी वाले नरेश राठौड़ जी द्वारा बताये गए है ....बढ़िया जानकारी प्रदान की है। नरेश जी आपने इसके लिए आपका आभार

08 दिसंबर 2010

हादसों के शहर में ---संजय भास्कर


हादसों के शहर  में ,
सबकी खबर रखिए |
कोई रखे  न रखे ,
आप जरूर रखिए |
इस दौर में 
वफा कि बातें ,
यक़ीनन सिरफिरा है कोई ,
उस पर नजर रखिए |
चेहरों को पढने का हुनर ,
खूब दुनिया को आता है |
राज कोई भी हो ,
दिल में छुपा कर रखिए |
नजदीकी दोस्तों कि भी 
नहीं है इतनी अच्छी ,
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए |

..........संजय कुमार भास्कर

02 दिसंबर 2010

मगर फिर भी चाहता हूँ कुछ करूँ पिता के लिये----जन्मदिन पर विशेष

 २ - दिसम्बर आज मेरे पापा का जन्मदिन है 
पहले पापा को जन्मदिन की  ढेर सारी शुभकामनायें.
उनको एक छोटी सी भेंट कविता के रूप में  

तुम मेरे जीवन में
अदृश्य रूप से
शामिल अपना
अस्तित्व बोध
करवाते
बेशक माँ नहीं
मगर माँ से
कमतर भी नहीं
माँ को तो मैंने
अपनी साँसों के
साथ जान लिया
मगर तुम्हें
तुम जिसके कारण
मेरा वजूद
अस्तित्व पाया
उसे , उसके स्पर्श
को जानने में
पहचानने में
मुझे वक्त का
इंतजार करना पड़ा
और फिर वो
भीना भीना
ऊष्म स्पर्श
जब पहली बार
मैंने जाना
तब खुद को
संपूर्ण माना

मेरी ज़िन्दगी

के हर कदम पर
मेरी ऊंगली थामे
तुम्हारा स्नेहमय स्पर्श
हमेशा तुम्हारे
मेरे साथ होने
के अहसास को
पुख्ता करता गया
मेरे हर कदम में
होंसला बढाता गया
मुझे दुनिया से
लड़ने का जज्बा
देता गया
मुझे पिता में छुपे
दोस्त का जब
अहसास कराया
तब मैंने खुद को
संपूर्ण पाया |

अब एक मुकाम
पा गया अस्तित्व मेरा
मगर तुम अब भी
उसी तरह
फिक्रमंद नज़र आते हो
चाहे खुद हर
तकलीफ झेल जाओ
मगर मेरी तकलीफ में
आज भी वैसे ही
कराहते हो
अब चाहता हूँ
कुछ करूँ
तुम्हारे लिए
मगर तुम्हारे
स्नेह, त्याग और समर्पण
के आगे मेरा
हर कदम तुच्छ
जान पड़ता है
चाहता हूँ
जब कभी जरूरत हो
मेरी तुम्हें
तुम्हारे हर कदम पर
तुम्हारे साथ खड़ा रहूँ मैं
बेशक तुम्हारे ऋण से
उॠण हो नहीं सकता
जीवन देकर भी
वो सुख दे नहीं सकता
मगर फिर भी
चाहता हूँ
कुछ करूँ
तुम्हारे लिए
अपने पिता के लिए 



...............संजय कुमार