धार्मिक कट्टरवाद अपना कर , नौजवानों को मरवा दो
भाई को भाई से लड़वाकर खून की नदियाँ बहा दो |
कुछ को मंदिर के नाम, कुछ को मस्जिद के नाम पर
अलग थलग कर दो |
लगता हा नेताओ ने बेरोजगारी दूर करने का
यही उपाय सुझा है |
वे जनता से चाहते करवानी पूजा है
लगता है वे बेरोजगारी जरूर हटायेंगे |
नौजवानों की शक्ति को भड़काकर महाभारत फिर दोहरायेंगे |
( चित्र - गूगल से साभार )
..........संजय कुमार भास्कर
बेहद सुन्दर संदेश देती बहुत ही सुन्दर रचना सोचने को मजबूर करती है।
जवाब देंहटाएंsahi baat hai kavita me
जवाब देंहटाएंbitter reality!!
जवाब देंहटाएंbitter reality!!
जवाब देंहटाएंbahut khub..
जवाब देंहटाएंkaqiqat hai yeh....
सच कहा जी
जवाब देंहटाएंप्रणाम
.
जवाब देंहटाएं..भाई को भाई से लड़वाकर खून की नदियाँ बहा दो |
कुछ को मंदिर के नाम, कुछ को मस्जिद के नाम पर ...
Truly sad !
.
सही फरमाया जी.....
जवाब देंहटाएंसही फरमाया जी.....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सही हाल बयां किया है...
जवाब देंहटाएंलगता हा नेताओ ने बेरोजगारी दूर करने का
जवाब देंहटाएंयही उपाय सुझा है |
.........सही फरमाया जी
......बहुत ही अच्छा लिखा है संजय जी..
जवाब देंहटाएंबधाई
sach kaha ,
जवाब देंहटाएंisse bhi bura haal hai desh ka
@ वंदना जी..
जवाब देंहटाएं@ सुरेन्द्र बहादुर सिंह " झंझट गोंडवी " जी..
@ Saumya ji..
@ शेखर सुमन जी..
@ अन्तर सोहिल जी..
@ ZEAL JI..
आज देश का यही हाल है
आप सभी सुधिजनों ( ब्लागरों ) को मेरी रचना सराहने और उत्साहवर्धन एवं शुभकामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
आशा है आगे भी आपका स्नेह, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा.
सादर,
संजय भास्कर
कड़ुवे यथार्थ को शब्दों में पिरोती एक प्रभावशानी रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत ही जोश भरी रचना है...और आक्रोश भरी भी
जवाब देंहटाएंपर सच यही है...अच्छा लिखा है
@ दीपक बाबा जी..
जवाब देंहटाएं@ यशवंत जी..
@ अमित जी..
@ संजय कुमार चौरसिया जी..
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
सार्थक,सराहनीय और प्रेरक ब्लोगिंग के लिए आभार ....
जवाब देंहटाएंसही फरमाया जी...
जवाब देंहटाएंक्या नहीं ......हाँ, यही है मेरे देश का हाल ....
जवाब देंहटाएंभाई को भाई से लड़वाकर खून की नदियाँ बहा दो |
जवाब देंहटाएंकुछ को मंदिर के नाम, कुछ को मस्जिद के नाम पर
अलग थलग कर दो .....
आज की व्यवस्था पर बहुत सुन्दर कटाक्ष .....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
सुन्दर, सजीव, सुगढ़ कविता।
जवाब देंहटाएंमुए नेता कहीं के!
जवाब देंहटाएंआशीष
अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
@ महेंदर वर्मा जी ..
जवाब देंहटाएं@ रशमी रविजा जी..
@ जय कुमार झा जी..(honesty project democracy_
जय कुमार झा जी..
@ माधव
@ अर्चना जी..
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
आशा है आगे भी आपका स्नेह, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा.
सादर,
संजय भास्कर
@ कैलाश शर्मा जी ..
जवाब देंहटाएंआज देश का यही हाल है सहयोग और उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
raajneeti ka kaccha chittha.
जवाब देंहटाएंएकदम सही कहा आपने
जवाब देंहटाएंBilkul yahi haal.... aur janata...behal hai.... sunder prastuti
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ! शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएं@ प्रवीण पाण्डेय जी..
@ आशीष/ ਆਸ਼ੀਸ਼ / जी..
@ आशा जी..
मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.
@ अनामिका जी..
जवाब देंहटाएंसही सही फरमाया जी आपने राजनीति का कच्चा चिटठा
बहुत ही संवेदनशील मुद्दे पर एक बहुत ही सार्थक रचना ....बधाई
जवाब देंहटाएंनवरात्रों की शुभकामनाए
अरे भाई,जल्दी से जनता में जागरूकता लाओ। ये काम नये कंधे ही कर सकते हैं।
जवाब देंहटाएंआप सही कह रहे है ये बेरोजगारी तो नहीं मिटा सकते इसलिए बेरोजगारों को उलझाये रखते है ऐसे मुद्दों में , जैसे गरीबी मिटाते मिटाते ये गरोबो को मिटाने लगे |
जवाब देंहटाएंसच में हकीकत यही है....बहुत अच्छा लिखा है...
जवाब देंहटाएंsahi kaha aapne. netaon ka yehi kaam hai.
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंआपने कहा ......आपको फॉलो कर रहा हूँ
जवाब देंहटाएंमगर मेरा ब्लाग अनंत अपार असीम आकाश (vivekmishra001.blogspot,com) है ना कि अनन्त आकाश /Anant Aakash
आपकी कविताये पसंद आयी
2/10
जवाब देंहटाएंवाह,,वाह पे न जाईये
बचकानी रचना है
बात तो सही है ।
जवाब देंहटाएंसच्चाई कड़वी होती है संजय जी। बहुत ही खूबसूरत कविता हैँ। शानदार अभिव्यक्ति के लिए बहुत-बहुत आभार! -: VISIT MY BLOG :- मेरे ब्लोग पर पढ़िये इस बार........... जाने किस बात की सजा देती हो?.............गजल।
जवाब देंहटाएं@ महक जी..
जवाब देंहटाएं@ डॉ. मोनिका शर्मा जी..
@ सतीश सक्सेना जी..
@ रानीविशाल ने जी..
धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए
मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.
धन्यवाद
जवाब देंहटाएं@ तिलक राज कपूर जी..
बिलकुल सही कहा आपने
ये काम नये कंधे ही कर सकते हैं।
@ अंशुमाला जी ..
ये बेरोजगारी तो नहीं मिटा सकते इसलिए बेरोजगारों को उलझाये रखते है ऐसे मुद्दों में , जैसे गरीबी मिटाते मिटाते ये गरोबो को मिटाने लगे |बिलकुल सही कहा आपने
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
आशा है आगे भी आपका स्नेह, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा.
सादर,
संजय भास्कर
@ वीणा जी..
जवाब देंहटाएं@ एहसास जी..
@ अशोक जमनानी जी..
@ विवेक मिश्र जी..
@ उस्ताद जी..
आज देश का यही हाल है
आप सभी सुधिजनों ( ब्लागरों ) को मेरी रचना सराहने और उत्साहवर्धन एवं शुभकामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
आशा है आगे भी आपका स्नेह, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा.
सादर,
संजय भास्कर
धर्म के नाम पर लोगों को लड़वाने और मूर्ख बनाने की प्रवृत्ति का सुंदर चित्रण आपने कर दिया है. बधाई और आभार.
जवाब देंहटाएंbahut acha..achi kosis
जवाब देंहटाएंaur ache kavya kausal ki aapse ummeed..
snjay bhayi sch to yhi he nojvanon ka yhi hal he lekin aek sch yeh bhi he ke timir men aek baaskr snjay bhaskr he n jo is adnere ko dur krne ki koshishon men jutaa he insha allah hmare snjay bhaskr saahb zrur zrur kaamyab honge or nojvanon ko shi disha milegi. akhtar khan akela khan kota rajsthan
जवाब देंहटाएं........आज देश का यही हाल है!
जवाब देंहटाएंसामयिक !!
बेवकूफ ही बना रहे हैं...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब बयां किया आपने देश के हालात को ...सुंदर और सरल मगर बहुत ही महत्वपूर्ण...
जवाब देंहटाएंphoto aur kavita humara itihas aur vartman bayaan kar rahi hai,
जवाब देंहटाएंgood poem
But we select our leader so how can u say politics responsible... we all responsible for this too...
जवाब देंहटाएंIts we, Who makes leaders
जवाब देंहटाएंIts we, Who makes leaders
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा। आजकल समाज और व्यवस्था पर तीखी नज़र है तुम्हारी। आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएंराजनीति मनष्य को कभी विकसित होते देख ही नहीं सकती क्युकी जितना मनुष्य विकसित होगा , उतना ही उसे गुलाम बनाना मुश्किल हो जायेगा उतना ही उसे सवतंत्र होने से रोकना मुश्किल हो जायेगा !
जवाब देंहटाएंसुंदर लेखन के लिए बधाई !
जवाब देंहटाएंइस बार तो लोग झांसे में नहीं ही आए न
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ कह दिया आपने
जवाब देंहटाएंहमेशा ही बहूत कुछ कह देते हो।
जवाब देंहटाएंजबर्दस्त कटाक्ष!!
वे जनता से चाहते करवानी पूजा है
जवाब देंहटाएंलगता है वे बेरोजगारी जरूर हटायेंगे |
नौजवानों की शक्ति को भड़काकर महाभारत फिर दोहरायेंगे |
Bahut khoob! Lekin kabhi,kabhi mahsoos hota hai,ki kyon log itnee asanee se bhadak jate hain? Kya har Hindustanee kee chamdee ke neeche,zara-sa khurcho to ek Hindu ya Musalmaan hee milta hai? Insaan nahee?
गहरा कटाक्ष।
जवाब देंहटाएं................
वर्धा सम्मेलन: कुछ खट्टा, कुछ मीठा।
….अब आप अल्पना जी से विज्ञान समाचार सुनिए।
ये महाभारत रुका ही कब था संजय जी .... राजनेता तो तब भी थे ... आज भी हैं ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संजय जी !
जवाब देंहटाएंSanjayji ,
जवाब देंहटाएंyah vyangya nahi haqiqat hai.
man is a political being .arthat manushy janam se hi raajneetik prani hai .voh samajik prani to sanskaron se banta hai .darasal samasya janta dwara sahi nirnay na lena hai galat logon ko chunenge to vahi hoga jaisa aapne bataya hai .Atah aapki kavita ka nishkarsh janta ko kartavya bodh karana hai ki sahi logon ko chuney .
@ आशा जोगलेकर जी..
जवाब देंहटाएं@ अशोक जी..
@ भूषण जी..
@ आनंद जी..
@ अख्तर खान अकेला जी..
.....एकदम सही कहा आपने
@ प्रवीण त्रिवेदी ╬ PRAVEEN TRIVEDI जी..
@ समीर लाल जी..
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
आशा है आगे भी आपका स्नेह, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा.
सादर,
संजय भास्कर
@ अजय कुमार झा जी..
जवाब देंहटाएंधर्म के नाम पर लोगों को लड़वाने और मूर्ख बनाने की प्रवृत्ति का सुंदर चित्रण आपने कर दिया है.
@ Prasant Pundir ji..
@ Suman anuragi ji..
रोजगारी तो नहीं मिटा सकते गरीबी मिटाते मिटाते ये गरोबो को मिटाने लगे |
सादर,
संजय भास्कर
@ निर्मला कपिला जी..
जवाब देंहटाएं....बिलकुल सही कहा आपने
@ मीनाक्षी पन्त जी..
जवाब देंहटाएं@ काजल कुमार Kajal Kumar जी..
@ रचना दीक्षित जी..
@ सुज्ञ जी..
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
काफ़ी विचारोत्तेजक, सशक्त और सटीक चित्रण. सुंदर प्रस्तुति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर
डोरोथी.
यह आम आदमी सही कहता है ।
जवाब देंहटाएंवैसे गलती आम जनता की भी हैं.
जवाब देंहटाएंमारने वाले से ज्यादा गलती चुपचाप मार खाने वाले की होती हैं क्योंकि वो विरोध नहीं दर्ज कराता हैं. उसी तरह नेताओं से ज्यादा गलती जनता की हैं जो बार-बार बेवक़ूफ़ बन जाती हैं.
thanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
ekdam sahi Sanjay bhaiya...
जवाब देंहटाएंजी हाँ यही है हाल हमारे देश का
जवाब देंहटाएंबाँट कर और काट कर अपना उल्लू सीधा करना
bahut sahi bat kahi hai aapne
जवाब देंहटाएंबहुत ही सही कहा आपने, यही हाल चल रहा है ।
जवाब देंहटाएंekdam true...
जवाब देंहटाएं......बहुत ही अच्छा लिखा है संजय जी..
जवाब देंहटाएंबधाई
@ आदरणीय क्षमा जी..
जवाब देंहटाएंलोगो की अपनी अपनी सोच है.
मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
@ ज़ाकिर अली ‘रजनीश’जी..
जवाब देंहटाएं@ दिगम्बर नासवा जी..
@ निलेश माथुर जी..
@ विजय माथुर जी..
बिलकुल सही कहा आपने सहमत हूँ |
@ डोरोथी.जी..
@ शरद कोकास जी..
@ चन्द्र कुमार सोनी जी..
@ चैतन्य शर्मा
@ Corol ji..
@ सदा जी..
@ एम वर्मा जी..
आप सभी सुधिजनों ( ब्लागरों ) को मेरी रचना सराहने और उत्साहवर्धन एवं शुभकामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
आशा है आगे भी आपका स्नेह, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा.
सादर,
संजय भास्कर
संजय जी आपको
जवाब देंहटाएंदशहरा पर शुभकामनाएँ .......
ये जो अंतिम पंक्ति है ....एक सच्चाई है .
बढ़िया पोस्ट . आभार .
Sanjay ji ,
जवाब देंहटाएंAapki apne blog per tipniyan padhi ,dhanyawad .
Aap sab ko bhi dushara mubarak ho ,hamsab ki taraf se .
सटीक चित्रण. सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएं@ विरेन्द्र सिंह चौहान जी
जवाब देंहटाएं@ विजय माथुर जी..
@ Parveen ji..
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
आपको सभी को
दशहरा पर शुभकामनाएँ .......
संजय भास्कर
आज की सच्चाई है
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
sabco maloom hai
जवाब देंहटाएंisq masoom hai--