क्या खता मेरी थी जालिम
तुने क्यों तोडा मुझे ?
क्यों न मेरी उम्र तक ही
साख पर छोड़ा मुझे ?
खून मेरा अपने सर लेकर
तुझे क्या मिल गया ?
पेड़ के तख्ते जिगर लेकर
तुझे क्या मिल गया ?
जिसकी रौनक था मैं ,
बे रौनक वो डाली हो गई |
जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |
साख क्या कहे और किससे ?
बस तू रहम करना ठान ले |
दिल का तोडना अच्छा नहीं |
अरे नादान - ये बात तू जान ले |
.........संजय भास्कर
135 टिप्पणियां:
बस तू रहम करना ठान ले |
दिल का तोडना अच्छा नहीं |
अरे नादान - ये बात तू जान ले |
आज की कविता तो बहुत अच्छी है अच्छा सन्देश देती है। हम बिना मतलव फूलों को तोद कर फेंक देते हैं जब्कि वो दुनिया को अपनी महक से नवाज़ते हैं। बधाई इस कविता के लिये। आशीर्वाद।
बहुत ही प्यारी कविता लिखी है संजय
फूल और उसकी डाली के दर्द को बखूबी बयाँ किया है
क्या खता मेरी थी जालिम
तुने क्यों तोडा मुझे ?
क्यों न मेरी उम्र तक ही
साख पर छोड़ा मुझे ?
बहुत अच्छे भाव की पंक्तियाँ संजय जी - एक नयापन लिए। कभी मैंने भी इसी भाव-भूमि पर एक शेर कहा था कि -
करते हैं श्रृंगार प्रभु का समय से पहले तोड़ सुमन
जो सड़कर बदबू फैलाये मुझको बहुत अखरता है
सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
दिल का तोडना अच्छा नहीं |
अरे नादान - ये बात तू जान ले |
sunder bhav hai
साख क्या कहे और किससे ?
बस तू रहम करना ठान ले
-काश! ये दर्द समझ पाते..सुन्दर भाव!
फूल और उसकी डाली के दर्द को बखूबी बयाँ किया है
सुंदर रचना के लिए साधुवाद
well expressed bhaskar ji
bahut khoob
badhai
बे रौनक वो डाली हो गई |
जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |
Uf! Kitni dard bhari upma hai ye!
Behad sundar rachana!
बे रौनक वो डाली हो गई |
जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |
kya kahun betu jee...bahut dard bhari upmaa.
God Bless u.
Achhi hai!
Ashish
धन्यवाद
@ निर्मला कपिला जी..
@ Rashmi ravija di
@ श्यामल सुमन जी..
@ Poorviya ji
@ Sameer lal ji
@ Sunil kumar ji
@ Kshama ji
@ Alok Khare ji
@ Neelam masi ji
@ आशीष जी..
सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें....
मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए
श्यामल सुमन जी..
करते हैं श्रृंगार प्रभु का समय से पहले तोड़ सुमन
जो सड़कर बदबू फैलाये मुझको बहुत अखरता है
बेहतरीन .......दिल से मुबारकबाद|
बहुत सुंदर भावों को सरल भाषा में कहा गया है. अच्छी रचना.
जैसे बिन बच्चे के मां की गोद खाली हो गई
...बेहतरीन काव्यदृश्टि। सुंदर उपमा का प्रयोग किया है आपने।
आह बहुत खूबसूरत कविता लिखी मनो दिल निचोड़ कर रख दिया हो.
truly brilliant sanjay bhaiya
keep writing
....all the best
साफ सपाट शब्दों में व्यक्त मन के गहरे भाव।
बहुत सुन्दर रचना । सार्थक ।
Sanjay ji ...Kisi naadan bhole baalak ki tarah man ke bhaavon ko spasht likh diya hai ... bahut hi achhee rachna ...
गहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना...
keep writing sanjay ji
....... best wishes
जिसकी रौनक था मैं ,
बे रौनक वो डाली हो गई |
जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |
बहुत मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ ! बहुत प्यारी रचना है ! आपको बहुत बहुत बधाई !
बढ़िया है बंधू !!!
शाख और फूल का बहुत मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया ..अच्छी रचना
बहुत प्यारी रचना
बधाई
आशा
ab kya karein....
phool ki to yahi kismat hai ab kya karein...
सही फरियाद है
बहुत ही अच्छी कविता लिखी है संजय जी.बधाई
संजय भाई बहुत खूब भाई एक फूल की व्यथा फूल की फरियाद जिस अंदाज़ में पेश की हे उससे तो वाकई आखों से आंसू झलक आये.. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
umdaa rachna
dr.ajeet
umdaa rachna
dr.ajeet
बिलकुल सही कहा वो भी किसी माँ का ही अंश होती है !
सहमत हूँ आपसे.
फूलो की सुन्दरता पौधे पर ही हैं.
गुलदस्तों या लड़ियों में नहीं.
धन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
बे रौनक वो डाली हो गई |
जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |
Bahut Sunder Sanjay jee.
धन्यवाद
@ Bhushan ji
@ mahendra verma ji
@ Sunita didi
@ प्रवीण पाण्डेय जी..
@ डॉ टी एस दराल जी..
@ दिगम्बर नासवा जी..
@ Preeti ji
@ Sadhana Vaid ji
@ Amir sharma ji
@ संगीता स्वरुप ( गीत ) जी..
सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें....
मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए
धन्यवाद
@ ASha Maa
@ Shekhar bhai
@ शरद कोकास ने जी..
@ Anjana ji
@ Akhtar Khan ji
@ Dr.Ajeet Ji
@ Minakhi Pant ji
@ चन्द्र कुमार सोनी जी..
@ Mrs. Asha Joglekar ji
aapki sabhi parti kriyaye mera hosla badhati hai...
सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें....
मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए
बहुत प्यारी रचना
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
आप गैरों की बातें करते हो ,हमने अपनों को आजमाया है ,
लोग काँटों से बचके चलते हैं ,हमने फूलों से जख्म खाया है
एक दिल मेरे दिल को ज़ख्म दे गया ,
जिन्दगी भर की कसम दे गया ,
लाखों फूलों में से एक फूल चुना था हमने,
वो भी काँटों से गहरी चुभन दे गया
अच्छी पोस्ट है जी ,साफ सपाट शब्दों में व्यक्त मन के गहरे भाव प्रस्तुत किये हैं आपने
Mahak जी !! आपका शुक्रिया - आपने जो उदाहरण दोहे के साथ दिया - बहुत सुन्दर |
bas hamen bhi yahi shikayat hai un logon se jo bhagwan ke naam par phoolon ki chori karte hain auron ke ghar se. Hamen shikayat hai un sabhi logon se jo aisa karte hain. aapne kavita ke madhyam se aisa kah diya. bahut accha kiya.
ham to sabere 5 baje se uth kar jo bhi phoolon ko todta hai use samjhate hain agar samjh na aaye to fir thoda sa dantna padta hai...:)
kyonki kisi na kisi ko to iishwar ke garden ki bhi to raksha karni padegi. Iishwar ko bhi pasand nahin hai ki unki pyari chij ko nasht karke un par chdaye.
बे रौनक वो डाली हो गई |
जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |
सारा दर्द यहीं उतर कर आ गया……………………बेहद संवेदनशील रचना।
क्या खता मेरी थी जालिम
तुने क्यों तोडा मुझे ?
क्यों न मेरी उम्र तक ही
साख पर छोड़ा मुझे ?
...bahut badhiya...pyaari kavita....
जिसकी रौनक था मैं ,
बे रौनक वो डाली हो गई
bahut achhe keep it up.......God bless u
वाह-वाह दिल रूमानी हो गया पढ़कर !बहुत खूब !
bahuthisundar avam ek sandesh deti rachna.
wakai isase ham sabhi ko seekh leni chahiye.
जिसकी रौनक था मैं ,
बे रौनक वो डाली हो गई |
जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई
aapneto bahut kuchh likh diya aage kya likhun?
poonam
बे रौनक वो डाली हो गई |
जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |
बहुत ही प्यारी, संवेदनशील कविता है
Pedon ka dard baakhoobi bayaan kiya hai Sanjay ji ...
जिसकी रौनक था मैं ,
बे रौनक वो डाली हो गई |
जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |
.....bahut hi samvedansheel vimb ka prayog kiya hai... phool ki vyatha ko dardbhare andaj mein prastut kiya hai. badhai...
bahhut sunder bhav . bhadai svekaray....
bahhut sunder bhav . bhadai svekaray....
साख क्या कहे और किससे ?
बस तू रहम करना ठान ले |
दिल का तोडना अच्छा नहीं |
अरे नादान - ये बात तू जान ले |
achhi lagi
Bhut acchi poem hai...
"साख क्या कहे और किससे ?"
ek dil ki laachaari ko bahut sunder tareeke se bayan kiya hai.
Shukriya!
धन्यवाद
@ Tilak ji..
@ Mahak ji..
@ Roshni ji..
सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें....
मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है! फूलों की तरह नाज़ुक, कोमल और संवेदनशील रचना ! बधाई!
@ Adarniya Roshni ji
bilkul aap se sehmat hoon
ishwar to to bilkul bhi manjoor nahi ki koi pyari chijo se koi ched chad kare
Iishwar ko bhi pasand nahin hai ki unki pyari chij ko nasht karke un par chdaye.
कविताओं पर आपकी "प्रतिक्रियाएँ ,
मेरी पलकों को नम कर जाती हैं....
अपनेपन का सच्चा अहसास करा जाती हैं... आपने तो मुझे नि:शब्द कर दिया है संजय जी......
आपका अपना ही,
शलभ गुप्ता
"बे रौनक वो डाली हो गई |
जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |"
बहुत खूब भाई संजय जी...
दो पंक्तियाँ आपकी इस कविता पर....
"फूलों का "दर्द" भी,अब कुछ कम हुआ होगा ,
जब सहारा उन्हें,"आपके शब्दोंका मिला होगा "
आपका अपना ही,
शलभ गुप्ता
दिल का तोडना अच्छा नहीं |
अरे नादान - ये बात तू जान ले |
beautiful !
.
बहुत शानदार.
रामराम
दिल का तोडना अच्छा नहीं |
अरे नादान - ये बात तू जान ले |
... बहुत खूब ... शानदार !!!
धन्यवाद
@ वन्दना ने जी..
@ Arvind ji
@ मंजुला ने जी..
@ पी.सी.गोदियाल जी..
@ Poonam ji ..
@ Rachna Didi
@ दिगम्बर नासवा जी..
सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें....
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
धन्यवाद
@ मेरे भाव जी. @ ताऊ रामपुरिया जी..
@ Palak ji @ Rahul ji
@ Suman anuragi ji @ Anjana ji
@ Babli ji @ Sulabh Gupta ji
@ Zeal ji @ 'उदय' जी..
मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.
बहुत सुन्दर कविता।
वाह वाह.........
फूल(सुमन) के हृदय की अभिव्यक्ति बहुत गहराई से बयां की आपने.............
बढिया भाव लिए हर एक पंक्ति...आभार
मेरी हौसला अफ़जाई के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया...
bahut hi pyari kavita......
क्या बात है! सन्देश अच्छा पहुँचाया है कविता के माध्यम से!
गहरी अभिव्यक्ति के साथ
बहुत ही प्यारी कविता
आभार
मिलिए ब्लॉग सितारों से
संजय जी .. बढ़िया लिखा है ....
सार्थक और उम्दा रचना .
बधाई .
धन्यवाद
@ देव कुमार झा जी..
@ सुमन'मीत'जी..
@ Archana Masi ji
@ Sonal ji
@ Vandana ji
@ क्रिएटिव मंच-Creative Manch
@ विरेन्द्र सिंह चौहान जी..
सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए आभार अपना स्नेह यूँ ही बनाये रहें....
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
बे रौनक वो डाली हो गई |
जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |
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bahut hi sunder bhaav..... arthpoorn bhi sanvedansheel bhi
dil ko chhu janewali bahut hi sarthak aur bhavpoorn rachna hai
बढ़िया प्रस्तुति...
अब हिंदी ब्लागजगत भी हैकरों की जद में .... निदान सुझाए.....
बस तू रहम करना ठान ले |
दिल का तोडना अच्छा नहीं |
अरे नादान - ये बात तू जान ले |
बढ़िया प्रस्तुति... !!
बेहतरीन प्रस्तुति
दिल के भावों की गहराई दिख रही है
क्या खता मेरी थी जालिम
तुने क्यों तोडा मुझे ?
क्यों न मेरी उम्र तक ही
साख पर छोड़ा मुझे ?
वह भाई वह.
गज़ब का दर्द बयां कर दिया..........
हमने तो कहीं पढ़ा था फूलों की अरदास.............
मुझे तोड़ लेना बनमाली
देना उस पथ पर फेंक,
जिस पथ जायें बीर अनेक .........
खैर जहाँ अरदास होती है, चाहत होती हैं, वहीँ व्यथा भी पनपती है और आपने उस पक्ष का भरपूर चित्रण पूर्ण सफलता के साथ किया है....
बधाई...
चन्द्र मोहन गुप्त
दिल का तोडना अच्छा नहीं |
.....पर भी कभी कभी तोड़ना ही पड़ जाता है !
साख क्या कहे और किससे ?
बस तू रहम करना ठान ले |
दिल का तोडना अच्छा नहीं |
अरे नादान - ये बात तू जान ले |
संजय जी !
शायर ए आजम निदा फाजली साहब का कलाम है...
‘सोच-समझवालों को थोड़ी नादानी दे मौला’...
समझदार नादान आपकी बात समझेंगे या नही...पर उम्र भर अपने सोच के लिए यलगार होना चाहिए
क्या खता मेरी थी जालिम
तुने क्यों तोडा मुझे ?
क्यों न मेरी उम्र तक ही
साख पर छोड़ा मुझे ?
मशाअल्लाह अभी उम्र ही क्या हुई है आपकी ?
bahut sunder bhavo kee marmik abhivykti.........
Aabhar.
क्या खता मेरी थी जालिम
तुने क्यों तोडा मुझे ?
क्यों न मेरी उम्र तक ही
साख पर छोड़ा मुझे ?
bahut hi sundar
har mausam ka andaz hai apna ham kisi ko chorte nahi, Diwane hai haum phoolon ke magar kabhi use torte nahi.
Nice expressions!!
बे रौनक वो डाली हो गई |
जैसे बिन बच्चे के माँ की गोद खाली हो गई |
बहुत खूबसूरत भावों के साथ सुंदर रचना...एक फूल का दर्द
प्रिय संजय भाई,
जिस संजीदगी से कविता में आपने अपने भाव उड़ेले है ,अद्भुत हैं .शिल्प आपकी भावनाओं को अपने लक्ष्य तक ले जाने में सफल रहा है.बधाई.
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना है|
साख को शाख कर लो....और फिर यह कमेंट मिटा देना.
आप सभी सुधिजनों ( ब्लागरों ) को मेरी रचना सराहने और उत्साहवर्धन एवं शुभकामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
आशा है आगे भी आपका स्नेह, सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहेगा.
सादर,
संजय भास्कर
snjay bhaayi bhut khub ful ki vythaa kis andaaz men pesh ki he mzaa aa gya srkari parkon or niji parkon men ful todna mnaa he likhaa hota he agr vhaan is bhdde alfaz ki jgh yeh pyaari si maarmik kvita likh den to yqini tor pr khin koi ful nhin todegaa. akhtar khan akela kota rajsthan
sanjay ji ye phool ki faryad Urdu ki kavita hai. ye ham aaj se 50 year pahle apne bachpan men school men padhte thay. Afsos hua aap apne naam se is ko share kar rahe hain.
is kavita ki last 2 line ye hain.
Main Main bhi faani tu bhi faani sab hain faani daher men
Ik qayamat hai magar margey jawani daher men
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Mirza Anwar Baig
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chori ki hausla afzaee nahi kar sakte
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ye urdu kavita 60 saal pahle likhi gaee hai.
sanjay bhasker bhasker chor hai
ye urdu kavita 60 saal pahle likhi gaee hai.
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Sanjay ji aap ko sharm aani chaahiye doosron ki rachna churaate huwe
तितलियाँ बेचैन होंगी जब मुझे न पायेंगी।
गम से भौंरे रोयेगे और बुलबुलें चिल्लायेंगी।
अरे मेरे राहुल गाँधी जी, आपका स्टेटमेंट 60 साल से 50 साल पर आ गया। कोई नही हम और इंतज़ार कर लेंगे। रही बात इस कविता की तो ये सबको पता है।
Chori karna buri baat hai , ye urdu ki nazam " phool ki faryad " humare school ki kitab mein padhi thi 1986 mein jiska aapne saryanaas kar diya
Very bad
Mujhe bhi yahi lag raha hai ki ye kisi bade shayer ki rachna hai
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