12 सितंबर 2010

मौत तू एक कविता है...............!!!

प्रिय ब्लॉगर मित्रो 
प्रणाम !
कैसे है आप सब ? लीजिये एक बार फिर हाज़िर हूँ
काफी अंतराल के बाद आज फिर आपकी ख़िदमत में उपस्थित हूं |
दोस्तों,
आप सभी के लिए १९७० की मशहूर फिल्म आनंद की ये दिल को छू लेनेवाली कविता पेश करता हूँ। 

मौत तू एक कविता है,
मुझसे एक कविता का वादा है, मिलेगी मुझको।
डूबती नफ्जों में, जब नींद आने लगे।
ज़र्द सा चेहरा लिए, चाँद उफ़क तक पहुंचे।
दिन अभी पाने में हो, रात किनारे के क़रीब.
ना अँधेरा ना उजाला हो, ना आधी रात ना दिन।
जिस्म जब ख़त्म हो, और रूह को जब साँस आये।
मुझसे एक कविता का वादा है, मिलेगी मुझको।

52 टिप्‍पणियां:

  1. Haan..sach bahut sundar kavita thi ye...aaj pahli baar poore alfaaz padhe!

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  2. बहुत अच्छा लगा तुम्हारा बापिस आना |बहुत सुन्दर
    भाव है रचना में |हमने बहुत मिस किया था |

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  3. हमेशा की तरह ये पोस्ट भी बेह्तरीन है

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  4. बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

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  5. bahut sunder h ye rachna...padhwane ke liye aapka dhanyawad sanjay ji..

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. जिस्म जब ख़त्म हो, और रूह को जब साँस आये।

    bahut achha likha hai shayar ne...
    behatrin

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  8. अच्छी कविता ..भावनात्मक प्रस्तुती ..

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  9. मुझसे एक कविता का वादा है, मिलेगी मुझको।
    bahut hi sunder hai

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  10. ह्म्म्म्म तो आज समय निकाल ही लिया....

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  11. हमेशा की तरह बेह्तरीन पोस्ट

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  12. आभार इस प्रस्तुति का.

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  13. यह पंक्तियाँ तो मन में बसी हुई हैं ..जब से आनंद पिक्चर देखी है ...अच्छी प्रस्तुति

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  14. अच्छी प्रस्तुति है लिखते रहे।

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  15. इतने लम्बे समय के बाद आपको देखना मतलब आपकी ब्लॉग-पोस्ट को पढ़ना अच्छा लगा.
    कृपया इतना लंबा समय (अंतराल) ना दिया करे.
    बहुत ख़ुशी हो रही हैं मुझे.
    (सॉरी, माफ़ी चाहूँगा आज शाम को मैं गाडी ड्राइव कर रहा था, इसलिए आपका कॉल अटेंड नहीं कर सका. सोचा बाद में पुन: मिला लूंगा, लेकिन भूली लग गयी. अब आपकी ये पोस्ट देखकर याद आया. सॉरी.)
    धन्यवाद.
    WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

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  16. हमेशा की तरह ये पोस्ट भी अच्छी है
    पढ़ना अच्छा लगा........

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  17. Arre sahi post to bahut bhadiya hai...lekin janaab the kahan ab tak aur agar yahan na pahuche to bahut kaan khichenge aapake :)
    ye rahi link
    http://anushkajoshi.blogspot.com/

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  18. इतने दिन कहाँ व्यस्त रहे ? माजरा क्या है
    कुछ नया तुम लिखो तब और अच्छा लगेगा |
    आशा

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  19. ज़िंदगी तो बेवफ़ा है, एक दिन ठुकराएगी.
    मौत महबूबा है, साथ लेकर जाएगी,
    मरके जीने की अदा जो दुनिया को सिखलाएगा,
    वो मुकद्दर का सिकंदर, वो मुकद्दर का सिकंदर,
    जानेमन कहलाएगा...

    जय हिंद...

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  20. vaah..mout tu bhi ek kavita hai...utkrist kavya-dristi...

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  21. एक कविता का वादा है ....
    वाह ...!

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  22. बहुत खूबसूरत ,,, बहुत ही लाजवाब शब्द हैं ... आज तक घूमते रहते हैं ये शब्द ... राजेश खन्ना की आवाज़ और इनके अंदाज़ ने जादू कर दिया था उस वक़्त जब ये फिल्म देखी .... आज तक कायम है वो जादू .... और शायद गुलज़ार साहब के लिखे बोल हैं ये ...

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  23. भगवान श्री गणेश आपको एवं आपके परिवार को सुख-स्मृद्धि प्रदान करें! गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें!
    बहुत सुन्दर!

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  24. बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा

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  25. इतने दिन कहाँ व्यस्त रहे

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  26. bahut sundar geet prastut kiyaa hai aapne, dhanyawaad!

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  27. इसके गीतकार ढूंढ के लाते तो और अच्छा लगता यार..

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  28. मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.

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  29. बेनामी9/14/2010

    bahut hi badiya.. likhte rahiyega....

    Mere blog par bhi sawaagat hai aapka.....

    http://asilentsilence.blogspot.com/

    http://bannedarea.blogspot.com/

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  30. मौत तू एक कविता है,
    मुझसे एक कविता का वादा है, मिलेगी मुझको।

    bahut khub.......shandaar!!

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  31. बहुत खूबसूरत ,,, बहुत ही लाजवाब शब्द हैं .

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  32. तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.

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  33. hamesha ki tarah khubasurat rachna...keep posting

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  34. गुलज़ार साहब की इन बेहतरीन पंक्तियों को मैंने मराठी में अनुवादित करने की कोशिश की हैं|

    http://ransap.blogspot.com/2010/12/blog-post.html

    पसंद आयें तो ज़रूर बताईयेगा|

    - रणजित पराडकर

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  35. यह पंक्तियाँ उदासीभरी या दर्दभरी नहीं हैं | बल्की जब शायर कहता हैं ,"जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को सांस आने लगे" ; तब वह एक बहुत ही सकारात्मक दृष्टिकोण हैं एवं प्रेरणादायी भी हैं |

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- संजय भास्कर