इस देश में अतंकवादियो क्या है तुम्हारा ,
यहाँ से चले जाओ अब ये देश हमारा है |
सुला देंगे हम तुम्हे नींद सुकून की ,
तुम्हे खत्म करना ही हमारा नारा है |
हमारे दिल के भाई को तुम्हारे दिल में बसा देंगे ,
तुम्हे ही क्या हम तुम्हारी हस्ती को मिटा देंगे |
बहुत दिने से सह रहे है यातनाए तुम्हारी ,
इस देश की भूमि पर पाँव रखते ही मिटा देंगे |
तुम्हारे दिए हुए दुखो को हम खुशियो से भुला देंगे ,
अब हम अपने देश के जख्मो पर मरहम लगा देंगे |
उन मासूमो का खून बहाने वालो को हम टोक देंगे ,
हमारे दुस्मानो को हम सरहद के पार ही रूक देंगे |
.......संजय भास्कर........
.......संजय भास्कर........
38 टिप्पणियां:
adbhut rachna likhi hai ,deshbhakti ke ras me doobi hui .sachchi bhavna yahi hai .jahan taklife dil ko chhoo jaaye .
भाई संजय भास्कार जी ने बहुत अच्छा प्रयास किया है, पर मैं इतना और कहूंगा कि
''इस देश में अतंकवादियो क्या है तुम्हारा ,
यहाँ से चले जाओ अब ये देश हमारा है |....''
ये देश 'अब' नहीं सदा से ही हमारा था, हमारा है और हमारा ही रहेगा ।
साधुवाद । अपनी देश के प्रति भावनाओं को हम तक पहूंचाने का । आभार ।।
prayas acchha hai..badhayi.
सुला देंगे हम तुम्हे नींद सुकून की ,
तुम्हे खत्म करना ही हमारा नारा है |
अच्छी चेतावनी
सुन्दर रचना
अच्छा लिखा है ... पर ये आतांकी इतनी आसानी से समझने वाले नही .. एंट का जवाब पत्थर से देना होगा ....
हम ईंट से ईंट बजा देंगे....
.......अच्छी रचना...
मैं इसको ओसामा बिन लादेन के पास भेज रहा हूं।.. लिखते रहो दोस्त।
jahan aaj maximum log vyast hai apne aap main wahan pe is tarah ki prastuti kabile tarif hai....best of luck...Shambhu Singh.
aap bhi gajab ki kavita likhate ho Sanjay ji....
http://poems.vishawjeet.in
khubsurat post hai bhai
अच्छी भावना से प्रेरित रचना ।
वाह ! संजय जी .....बहुत बेहतरीन रचना .
बहुत उतम रचना.
रामराम.
हमारे दिल के भाई को तुम्हारे दिल में बसा देंगे ,
तुम्हे ही क्या हम तुम्हारी हस्ती को मिटा देंगे |
बहुत दिने से सह रहे है यातनाए तुम्हारी ,
इस देश की भूमि पर पाँव रखते ही मिटा देंगे |
वाह बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! देशभक्ति पर लाजवाब प्रस्तुती! बधाई!
.....बहुत बेहतरीन रचना ........
देखिये कब जायेंगे ....वैसे तो अभी हम दामाद की तरह खातिरदारी कर रहे हैं ???
देशभक्ति पर लाजवाब प्रस्तुती!
uttam rchna avm bhav poorn abhivkti ..badhayee
achhe bhav hain aur achhe shabad hain.
संजय भाई ...बेहतरीन रचना .......है . परन्तु दोष हमारे नेताओं का है . हमारा स्वाभिमान वे ख़त्म करते जा राहे है. आपके गीत के सम्मान में मेरी कुछ पंक्तियाँ समर्पित है ...
स्वाभिमान सो गया है, तेज कहीं खो गया है
सिंह को सियार अब रोज धमकाएंगे
आँख मूँद भीष्म बने, देश को चलने वाले
माँ भारती की लाज को, ये कैसे बचा पाएंगे
दुश्मनों की आँख रही, देश के ललाट पर
प्रेम के तराने फिर भी गाते चले जायेंगें
संसद पे हमलों से, जूझेंगें जवान जब
कुर्सियों के नीचे जाकर, ये छुप जायेंगें
संजय भाई बिन पढे टिपियाना रिश्ते निभाना है ?
इसे सुधारिये शायद लिखने मे कोई गलती रह गई है
उन मासूमो का खून बहाने वालो को हम टोक देंगे ,
हमारे दुस्मानो को हम सरहद के पार ही रूक देंगे |
अर्थ के मान से रचना अच्छी है हर मापदण्ड से बेहतर हो इस लिये एक बार गौर से देखिये फ़िर पोस्ट कीजिये
टोक देंगे... के बाद रूक देंगे | के स्थान पर रोक देंगे होना चाहिये
मुझे गलत मत समझैये
सदैव ही आपका
गिरीश
...बहुत सुन्दर,जबरदस्त,बधाई!!!
संजय भाई, आपने बहुत अच्छा मुददा उठाया है, इसे पढकर पचास से सत्तर के दशक की यादें ताज हो जाती हें, जब देशप्रेम के जज्बे वाले गीत बजा करते थे, अब तो सरकार ही सोने का नाटक कर रही है, एक बात और जगाया उसे जा सकता है जो सो रहा हो, जो सोने का नाटक करे उसे कैसे जगाईएगा, बहरहाल बहुत अच्छा प्रयास,
इस देश में अतंकवादियो क्या है तुम्हारा ,
यहाँ से चले जाओ अब ये देश हमारा है |
Har Bharatvasi ko yah nara buland karne ki jarurat hai.
kosis jari rakho...girish ji ke baat pe gaur karo...ye kavita achi kosis hai aur usse bhi achi iske piche chhipi bhawana...
Par ye jabhi sambhav hoga jab hamare desh ke rajneta sath den.
rachna bahut achchi hai.
bahut badhiya paryaas bhai sahaab......
बहुत लाजवाब,हर इक बात बहुत गहरी.इतनी बेहतरीन प्रस्तुती के लिए आभार
महका गये आपके अल्फाज
गुनगुनाने को फिर से
लो शाम गिर आयी
देशभक्ति पर लाजवाब प्रस्तुती!
बचपन में ले जाने के लिए बहुत बहुत बघाई |
नया ब्लॉग प्रारम्भ करने के लिए शुभ कामनाएं |
आशा
आतंकवादियों को मुँहतोड़ जवाब देती बहुत सुन्दर रचना ! बधाई और शुभकामनाये !
aapki yah rachna kranti kari avam deshbhakti ke prati jajbaato se paripurn hai.
संजय जी बहुत अच्छे भाव वाली रचना है पर कहीं कहीं वर्तनी (स्पेलिंग्ज) का दोष खलता है ।
bahut sundar bas thoda typing mr gadbad reh gayi...par bhav udvelit kar deta hai...
बेहतरीन रचना के लिए बधाई हो संजय जी।
Sanjay ji accha prayas.
badhaii aapko :)
खूब लिखा है :)
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