09 अप्रैल 2010

मुझको मेरी तन्हाईयाँ अक्सर बुलाती हैं


 मुझको मेरी तन्हाईयाँ अक्सर बुलाती हैं,
और फिर मुझे तेरी यादों से नहलाती हैं।
वो जो खुशबु का झोंका गुज़रा मेरे पास से ,
तेरी जुल्फों की कैद से छूटी हवा कहलाती हैं।
आँखें खुली रहती हैं तो दिखता नहीं कुछ भी ,
बंद आँखें ही तो मुझे सबकुछ अब दिखलाती हैं।
चीड़ों की चोटी पर बरसे चन्दन जैसी जो चांदनी,
एक आशिक के चेहरे पर माशूक का नूर कहलाती हैं।
जो भी जख्म मिले हैं मुझको तेरे सजदे में जानम,
तुझको छूकर आती हवा उन जख्मों को सहलाती हैं।
भटक रहा हूँ नील गगन में आवारा बादल सा मैं,
तेरी यादें टकरा कर उनको सावन सा बरसाती हैं।

 मित्र निहार खान के ब्लॉग से ये पंक्तिया आप

30 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर अभिव्‍यक्ति !!

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  2. बहुत बढ़िया भाई साहब आज फिर हर बार की तरह....

    कुंवर जी,

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  3. बहुत ही प्यारी कविता लिखी हैं...प्यार क्या होता हैं...वो इस तरह कि ही कुछ कविताये समझती हैं ....मैंने आपकी कविता के आगे दो पंक्तियाँ और लिख दी.....i hope आप बुरा नही मानेंगे..-----कई युगों से जो तेरे प्यार का प्यासा हैं.....ए नदी दिले गुलजार की....तू उसे क्यों इतना तरसती हैं......!!!
    डिम्पल

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  4. एक सुंदर भाव लिए कविता |
    आशा

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  5. जो भी जख्म मिले हैं मुझको तेरे सजदे में जानम,
    तुझको छूकर आती हवा उन जख्मों को सहलाती हैं।

    प्यार की अनुपम अभिव्यक्ति।
    कुछ ऐसा ही स्वयं भी लिखो तो आनंद दुगना हो जाये ।

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  6. भटक रहा हूँ नील गगन में आवारा बादल सा मैं,
    तेरी यादें टकरा कर उनको सावन सा बरसाती हैं।
    ... बहुत सुन्दर!!!

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  7. बहुत अच्छी पन्क्तियां .

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  8. बढ़िया रचना प्रस्तुत करने का आभार!

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  9. bahut khoob....
    http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

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  10. बेहतरीन प्रस्तुति..बधाई.

    *********************
    "शब्द-शिखर" के एक साथ दो शतक पूरे !!

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  11. बहुत बढिया प्रस्तुति।बधाई।

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  12. बहुत ही ख़ूबसूरत कविता ! बधाई और शुभकामनायें !

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  13. dhanyawaad sangeet ji,tau ji ,kunwarji,dimple ji,asha ji,
    dral ji,shyam ji,zameer ji.sameer lal ji,daleep ji.akanksha ji,paramjeet bali ji,sadhana ji,

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  14. बेनामी4/10/2010

    bahut badhiya...
    padhkar achha laga....

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  15. bahut sundar rachna sir

    चीड़ों की चोटी पर बरसे चन्दन जैसी जो चांदनी,
    एक आशिक के चेहरे पर माशूक का नूर कहलाती हैं।

    bahut khoob.

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  16. बेनामी4/10/2010

    is baar ek english poem...jaroor padhein....

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  17. भटक रहा हूँ नील गगन में आवारा बादल सा मैं,
    तेरी यादें टकरा कर उनको सावन सा बरसाती हैं..

    अच्छी लगी ये पंक्तिया ... छू गयी दिल को ...

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  18. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है! बहुत बढ़िया लगा!

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  19. मन कि कोमल भावों .....को बड़ी नज़ाकत से पेश किया है ..........बहुत सुन्दर रचना .

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  20. dhanyawaad shekhar ji,chakresh ji,
    naswa ji,babli ji, soni sahab,devesh ji

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  21. भटक रहा हूँ नील गगन में आवारा बादल सा मैं,
    तेरी यादें टकरा कर उनको सावन सा बरसाती हैं.
    वाह,बहोत खूब ।

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  22. एक सुंदर भाव लिए कविता |

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  23. dhanyawaad asha ji,dheeraj ji,karan ji,amit ji


    aap sabhi ka dil se shukriya

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  24. भटक रहा हूँ नील गगन में आवारा बादल सा मैं,
    तेरी यादें टकरा कर उनको सावन सा बरसाती हैं.

    एक सुंदर भाव लिए कविता |

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  25. तेरी यादें टकरा कर उनको सावन सा बरसाती हैं

    bahut khoob!!!!!!!!

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  26. mangla7/20/2011

    तुझको छूकर आती हवा उन जख्मों को सहलाती हैं।
    भटक रहा हूँ नील गगन में आवारा बादल सा मैं,
    तेरी यादें टकरा कर उनको सावन सा बरसाती हैं।

    bahut khoob kaha!

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- संजय भास्कर