28 अप्रैल 2010

जारी है सिलसिला सरहदों पर

 दो आतंकी ढेर
दो जवान शहीद
कुल मिलाकर
चार घरों में अँधेरा
दो इधर तो दो घर उधर
जारी है अभी
सिलसिला
सरहदों पर 

..आमीन..

41 टिप्‍पणियां:

  1. ...बहुत खूब ... लाजवाब !!!!

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  2. काश सरहदें ही न होती...मर्मस्पर्शी भाव.

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  3. आखिर सरहदें होती क्यों है ?

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  4. समीर अंकल ने सही कहा है

    दो समांतर रेखायें
    साथ चल तो सकती हैं..
    अनन्त तक..
    लेकिन
    मिल नहीं सकती...
    मिलने के लिए उन्हें
    झुकना ही होगा..

    आओ!!
    थोड़ा मैं झुकूँ
    थोड़ा तुम झुको!!

    यूँ तो
    तुमसे मिलने की चाह में
    मैं पूरा झुक जाऊँ
    लेकिन
    डर है कि
    अधिक झुकने की
    इस कोशिश में
    टूट न जाऊँ मैं कहीं...

    और
    तुम्हें तो पता होगा!!
    टूटे हुए वृक्ष सूख जाया करते हैं!!

    -समीर लाल ’समीर’
    http://udantashtari.blogspot.com/

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  5. अब चारों घर कहेंगे,
    हमें गर्व है अपने बेटों की शहादत पर।

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  6. बहुत खूब .....बहुत गहराई है आपकी इन पंक्तियों में

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  7. बेनामी4/28/2010

    bilkul sahi kaha aapne....jang ka matlab hi yahi hai.....
    tabahi...tabahi...aur sirf tabahi.....

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  8. हद सर करती है हमें
    हद को कैसे सर करें
    कोई यह बतलाये?
    Acharya Sanjiv Salil

    http://divyanarmada.blogspot.com

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  9. जंग से किसी का भला नहीं होता ।
    मार्मिक रचना।

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  10. jo sarhadein hum insaano ne apne swarth se utprerit ho kayam ki hai..uska parinaam yahi hoga!
    or ye silsila shayad tab tak chale jab tak ki insaan apne nihit swarth par vijay n pa le.
    acchi rachna!
    regards-
    #ROHIT

    जवाब देंहटाएं
  11. jo sarhadein hum insaano ne apne swarth se utprerit ho kayam ki hai..uska parinaam yahi hoga!
    or ye silsila shayad tab tak chale jab tak ki insaan apne nihit swarth par vijay n pa le.
    acchi rachna!
    regards-
    #ROHIT

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  12. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

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  13. प्रिय संजय ,
    सच कहा आपने , सिर्फ़ कुछ पंक्तियों ने बता दिया कि आज इंसानियत ही हार रही है हर तरफ़ । बहुत ही गहरी बात , सुंदर पोस्ट

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  14. बहुत दर्द भरी है ये पोस्ट

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  15. बहुत ही बढिया मित्रवर बहुत ही उम्‍दा, एक बार फिर कम शब्‍दों में कमाल कर दिया, कीप इट अप डियर, सरकार को इससे क्‍या मतलब कि किसके घर का चिराग बुझा है, वह तो अपनी डिप्‍लोमेसी में व्‍यस्‍त है, देश के जवान शहीद हों तो होते रहें, चाहे सरहद पर या फिर नक्‍सलवादियों या आतंकियों के हाथों, सरकार को तो बस फिकर अपनी कुर्सी सलामत रखने की है

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  16. इन आठ पंक्तियों में बहुत ख़ूबसूरती से भावनाओ का बयान किया है,,,,बिल्कुल सच कहा आपने...
    विकास पाण्डेय

    www.vichrokadarpan.blogspot.com

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  17. Insaan sarhad bana to sakta hai...mit jata hai,mita nahi sakta..

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  18. बहुत खूब लिखा है आपने! मार्मिक रचना!

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  19. ahinsaa parmo: dharma:,
    jiyo or jino do sidhaant ki aaj bahut zarurat hain.

    bhaawpurn rachnaa,
    thanks.

    WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

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  20. कम शब्दों में बहुत गहरे भाव.. जीवन का सच से सामना करती हुई कविता... लय बनाये रखे

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  21. दिल को छु लेने वाली.... भावप्रधान कविता...बहुत अच्छी लगी....

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  22. बहुत गहरी बात कह दी आपने। इसे कहते हैं कविता, कम शब्दों में बडी बात।
    --------
    गुफा में रहते हैं आज भी इंसान।
    ए0एम0यू0 तक पहुंची ब्लॉगिंग की धमक।

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  23. Bhadiyaa bhaav bhaaskarji, Yah silsilaa to umr bhar jaaree rahegaa, kabhee ktam nahee hone walaa !

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  24. फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई

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  25. गहन विचार किया है आपने |बधाई
    आशा

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  26. अच्छी प्रस्तुति है,बधाई।

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  27. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

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  28. रिसती जा रही हैं स्मृतियाँ
    घिसती जा रही है ज़िंदगी


    बहुत अच्छी तथा सार्थक पहल
    हार्दिक बधाई

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  29. हां मित्र ......................
    पंछी नदियाँ पवन के झोंके .................कोई सरहद ना इन्हें रोके ...................ये सिर्फ हम इंसानों के लिए हैं ........

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  30. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

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  31. कविता...बहुत अच्छी लगी....

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- संजय भास्कर