jo sarhadein hum insaano ne apne swarth se utprerit ho kayam ki hai..uska parinaam yahi hoga! or ye silsila shayad tab tak chale jab tak ki insaan apne nihit swarth par vijay n pa le. acchi rachna! regards- #ROHIT
jo sarhadein hum insaano ne apne swarth se utprerit ho kayam ki hai..uska parinaam yahi hoga! or ye silsila shayad tab tak chale jab tak ki insaan apne nihit swarth par vijay n pa le. acchi rachna! regards- #ROHIT
बहुत ही बढिया मित्रवर बहुत ही उम्दा, एक बार फिर कम शब्दों में कमाल कर दिया, कीप इट अप डियर, सरकार को इससे क्या मतलब कि किसके घर का चिराग बुझा है, वह तो अपनी डिप्लोमेसी में व्यस्त है, देश के जवान शहीद हों तो होते रहें, चाहे सरहद पर या फिर नक्सलवादियों या आतंकियों के हाथों, सरकार को तो बस फिकर अपनी कुर्सी सलामत रखने की है
हां मित्र ...................... पंछी नदियाँ पवन के झोंके .................कोई सरहद ना इन्हें रोके ...................ये सिर्फ हम इंसानों के लिए हैं ........
41 टिप्पणियां:
...बहुत खूब ... लाजवाब !!!!
काश सरहदें ही न होती...मर्मस्पर्शी भाव.
आखिर सरहदें होती क्यों है ?
समीर अंकल ने सही कहा है
दो समांतर रेखायें
साथ चल तो सकती हैं..
अनन्त तक..
लेकिन
मिल नहीं सकती...
मिलने के लिए उन्हें
झुकना ही होगा..
आओ!!
थोड़ा मैं झुकूँ
थोड़ा तुम झुको!!
यूँ तो
तुमसे मिलने की चाह में
मैं पूरा झुक जाऊँ
लेकिन
डर है कि
अधिक झुकने की
इस कोशिश में
टूट न जाऊँ मैं कहीं...
और
तुम्हें तो पता होगा!!
टूटे हुए वृक्ष सूख जाया करते हैं!!
-समीर लाल ’समीर’
http://udantashtari.blogspot.com/
thanks dear frnd
अब चारों घर कहेंगे,
हमें गर्व है अपने बेटों की शहादत पर।
बहुत खूब .....बहुत गहराई है आपकी इन पंक्तियों में
bilkul sahi kaha aapne....jang ka matlab hi yahi hai.....
tabahi...tabahi...aur sirf tabahi.....
हद सर करती है हमें
हद को कैसे सर करें
कोई यह बतलाये?
Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada.blogspot.com
जंग से किसी का भला नहीं होता ।
मार्मिक रचना।
jo sarhadein hum insaano ne apne swarth se utprerit ho kayam ki hai..uska parinaam yahi hoga!
or ye silsila shayad tab tak chale jab tak ki insaan apne nihit swarth par vijay n pa le.
acchi rachna!
regards-
#ROHIT
jo sarhadein hum insaano ne apne swarth se utprerit ho kayam ki hai..uska parinaam yahi hoga!
or ye silsila shayad tab tak chale jab tak ki insaan apne nihit swarth par vijay n pa le.
acchi rachna!
regards-
#ROHIT
really heart touching sir
kaash ye dusro ki sarhado ko jeetne wale samajh paaye.
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
प्रिय संजय ,
सच कहा आपने , सिर्फ़ कुछ पंक्तियों ने बता दिया कि आज इंसानियत ही हार रही है हर तरफ़ । बहुत ही गहरी बात , सुंदर पोस्ट
बहुत दर्द भरी है ये पोस्ट
बहुत ही बढिया मित्रवर बहुत ही उम्दा, एक बार फिर कम शब्दों में कमाल कर दिया, कीप इट अप डियर, सरकार को इससे क्या मतलब कि किसके घर का चिराग बुझा है, वह तो अपनी डिप्लोमेसी में व्यस्त है, देश के जवान शहीद हों तो होते रहें, चाहे सरहद पर या फिर नक्सलवादियों या आतंकियों के हाथों, सरकार को तो बस फिकर अपनी कुर्सी सलामत रखने की है
मार्मिक रचना
इन आठ पंक्तियों में बहुत ख़ूबसूरती से भावनाओ का बयान किया है,,,,बिल्कुल सच कहा आपने...
विकास पाण्डेय
www.vichrokadarpan.blogspot.com
Insaan sarhad bana to sakta hai...mit jata hai,mita nahi sakta..
बहुत खूब लिखा है आपने! मार्मिक रचना!
waah, सुन्दर!
ahinsaa parmo: dharma:,
jiyo or jino do sidhaant ki aaj bahut zarurat hain.
bhaawpurn rachnaa,
thanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
कम शब्दों में बहुत गहरे भाव.. जीवन का सच से सामना करती हुई कविता... लय बनाये रखे
दिल को छु लेने वाली.... भावप्रधान कविता...बहुत अच्छी लगी....
सुन्दर आशु-कविता.
बहुत गहरी बात कह दी आपने। इसे कहते हैं कविता, कम शब्दों में बडी बात।
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गुफा में रहते हैं आज भी इंसान।
ए0एम0यू0 तक पहुंची ब्लॉगिंग की धमक।
too good.....
Bhadiyaa bhaav bhaaskarji, Yah silsilaa to umr bhar jaaree rahegaa, kabhee ktam nahee hone walaa !
फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई
thanks to all comment makers.
गहन विचार किया है आपने |बधाई
आशा
अच्छी प्रस्तुति है,बधाई।
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
रिसती जा रही हैं स्मृतियाँ
घिसती जा रही है ज़िंदगी
बहुत अच्छी तथा सार्थक पहल
हार्दिक बधाई
हां मित्र ......................
पंछी नदियाँ पवन के झोंके .................कोई सरहद ना इन्हें रोके ...................ये सिर्फ हम इंसानों के लिए हैं ........
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
कविता...बहुत अच्छी लगी....
अच्छी लगी .... कविता ..
bahut hi gahree rachna di aapne.
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