शेर के भाव अच्छे है भास्कर जी , मगर मैं कहता तो कुछ इस तरह कहता ; गम सीने में लाखो भले ही छुपाये रखे है मगर आदत हमें हरवक्त मुस्कुराने की है ! दोस्त तो अपने सब आजमाए हुए है, बेबफाई की फिक्र हमें बस जमाने की है !!
यु ही मुस्कुराने की आदत बना राखी है हमने लाखो गम जी सीने में छुपाये हुए है अब खुद पे ऐतबार करके देखेंगे ,हम दोस्त तो सारे आजमाए हुए है | achchhi lagi rachna
32 टिप्पणियां:
सुबह के नाश्ते में चना लीजिए
खुद ही को दोस्त बना लीजिए
खुद पे एतबार हो तो दोस्त भी साथ देते हैं ...
अच्छा लिखा है संजय जी ....
शेर के भाव अच्छे है भास्कर जी , मगर मैं कहता तो कुछ इस तरह कहता ;
गम सीने में लाखो भले ही छुपाये रखे है
मगर आदत हमें हरवक्त मुस्कुराने की है !
दोस्त तो अपने सब आजमाए हुए है,
बेबफाई की फिक्र हमें बस जमाने की है !!
wah...
बहुत बेहतरीन रचना.
bahut achche.
वाह ....गोदियाल जी ने इसे सही रूप दे दिया ....शायद कुछ टंकण की भी galtiyaan thin ......!!
बहुत अच्छा
अब खुद पे ऐतबार करके देखेंगे ,हम
दोस्त तो सारे आजमाए हुए है |
...बहुत खूब!!!
बहुत बढ़िया ...
इस तनाव भरे जग में
क्यों खुशियों हेतु किसी का मुख देखें
आप ही अपने मित्र बने हम
खुद से प्रेम करना सीखें
बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ! बहुत बढ़िया लगा! इस उम्दा रचना के लिए बधाई!
koi gahri chot lagti hai..
बहुत खूबसूरत रचना ......संजय जी
खूबसूरत रचना।
बेहद सुंदर रचना.
रामराम
खुद पर एतबार किजिये दोस्त मिल जायेगे।
सुन्दर रचना।
मजा आ गया पढ़कर. बहुत सुन्दर रचना...
bahut badhiya....
mann prafullit ho gaya....
dost ek mil jaye to tum bhagyashali ho, doosra to bahut hai, teesra ho hi nahi sakta
sahi kaha bhaskar ji khud ko ajmana behad jaruri hai tabhi to kehte hai khudi ko mkar buland itna.....hamesha ki tarah kam shabd gehr asandesh
संजय जी ! रश्मिप्रभा जी ठीक कहती हैं !
बड़े भाग्य से दोस्त मिलते हैं और वे ज्यादा नहीं होते !
इस उम्दा रचना के लिए बधाई!
यु ही मुस्कुराने की आदत बना राखी है हमने
लाखो गम जी सीने में छुपाये हुए है
अब खुद पे ऐतबार करके देखेंगे ,हम
दोस्त तो सारे आजमाए हुए है |
achchhi lagi rachna
Aap sabhi ka
Shukriya hausla badhane ka..
vaah bahut khoob aasheervaad
बेहतरीन रचना. यही जिंदगी का फलसफा है.
kya bat he kya likhate he aap
acha laga pad kar
http://kavyawani.blogspot.com/
shekhar kumawat
bauhat achchee
bahut badhiya....
बहुत खूब ! आज के ज़माने के दोस्तों को आपने सही पहचाना है संजय जी !
एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
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