कैसी बिडंबना है कि पहले लोग बाघों से डरा करते थे और जंगलों में जाने से बचते थे कि कहीं से कोई बाघ न आ जाए॥! और अब आलम यह है कि लोग बन्दूक इत्यादि हथियार लेकर जंगलों का रुख करते हैं..। वो भी बाघों का शिकार करने! वही डर जो पहले इंसानों में बाघों के प्रति हुआ करता था, अब बाघों के जेहन में बैठ गया है। उन्हें लगता है कि क्या जाने कहीं से कोई इंसान आ जाए और अपनी बन्दूक का निशाना बना ले।
एक ज़माना था जब लोग बाघ से बचते थे, और आज का ज़माना है जब लोग बाघ को बचाते हैं।
देश के बाघ संरक्षित क्षेत्रों में इस वर्ष अब तक पांच बाघों की प्राकृतिक या अन्य कारणों के चलते मौत हुई है।
पर्यावरण और वन राज्य मंत्री जयराम रमेश ने लोकसभा में बताया है कि वर्ष 2008 में देश भर में अत्याधुनिक प्रणाली का इस्तेमाल कर हुई बाघों की अनुमानित गणना के मुताबिक भारत में।,411 बाघ [मध्य संख्या] हैं। इस बारे में न्यूनतम संख्या।,165 और अधिकतम संख्या।,657 है। इसी तरह गणना में है।
देश के विभिन्न बाघ संरक्षित क्षेत्रों में इस वर्ष कुल पांच बाघों की मौत प्राकृतिक या किन्हीं अन्य कारणों के चलते हुई है। इनमें दो बाघों की मौत उत्तराखंड के कारबेट में, दो की मौत असम के काजीरंगा में और एक मौत मध्य प्रदेश के पेंच राष्ट्रीय उद्यान में हुई है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 से अब तक काजीरंगा बाघ संरक्षित क्षेत्र में 16, कारबेट में 15 और मध्यप्रदेश के कान्हा में आठ बाघों की मौत हो चुकी है।
बाघ बचाओ, बाघ बचाओ, बाघ बचाओ, बाघ बचाओ ..........................
एक ज़माना था जब लोग बाघ से बचते थे, और आज का ज़माना है जब लोग बाघ को बचाते हैं।
देश के बाघ संरक्षित क्षेत्रों में इस वर्ष अब तक पांच बाघों की प्राकृतिक या अन्य कारणों के चलते मौत हुई है।
पर्यावरण और वन राज्य मंत्री जयराम रमेश ने लोकसभा में बताया है कि वर्ष 2008 में देश भर में अत्याधुनिक प्रणाली का इस्तेमाल कर हुई बाघों की अनुमानित गणना के मुताबिक भारत में।,411 बाघ [मध्य संख्या] हैं। इस बारे में न्यूनतम संख्या।,165 और अधिकतम संख्या।,657 है। इसी तरह गणना में है।
देश के विभिन्न बाघ संरक्षित क्षेत्रों में इस वर्ष कुल पांच बाघों की मौत प्राकृतिक या किन्हीं अन्य कारणों के चलते हुई है। इनमें दो बाघों की मौत उत्तराखंड के कारबेट में, दो की मौत असम के काजीरंगा में और एक मौत मध्य प्रदेश के पेंच राष्ट्रीय उद्यान में हुई है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 से अब तक काजीरंगा बाघ संरक्षित क्षेत्र में 16, कारबेट में 15 और मध्यप्रदेश के कान्हा में आठ बाघों की मौत हो चुकी है।
बाघ बचाओ, बाघ बचाओ, बाघ बचाओ, बाघ बचाओ ..........................
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जवाब देंहटाएंसुना है कि मध्य प्रदेश टाइगर फाउंडेशन सोसायटी ने बाघों को बचाने के काम में आर्थिक मदद के लिये भिखारियों के कटोरे की तर्ज पर दान-पात्र तैयार किये हैं और मध्य प्रदेश के टाइगर रिज़र्व्स में लगवा दिये हैं। मध्य प्रदेश टाइगर फाउंडेशन सोसायटी को बाघों के कल्याण के लिये हर साल लाखों करोड़ों की सरकारी और गैर सरकारी मदद मिलती है। लेकिन इतनी रकम से भी शायद मध्य प्रदेश टाइगर फाउंडेशन सोसायटी का काम नहीं चलता है जो उसने चंदा बटोरने के लिये मध्य प्रदेश के टाइगर रिज़र्व्स में दान पेटियां लगवा रखी हैं जिनमें बाघों के लिये लोग पैसा डाल सकते हैं। इस तरीके से कुछ सौ रुपये ही मध्य प्रदेश टाइगर फाउंडेशन सोसायटी को मिल पा रहे होंगे। बाघों के लिये दान लेना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन मध्य प्रदेश टाइगर फाउंडेशन का ये तरीका तो बहुत ही घृणित और शर्मनाक है। मध्य प्रदेश टाइगर फाउंडेशन सोसायटी ने कुछ सौ रुपयों के लिये जंगल के राजा को जिस तरह भिखारी बना दिया है उसकी मिसाल दुनिया भर में मिलना मुश्किल है। और कोई देश या भारत का ही और कोई प्रदेश होता तो इस तरह की योजना बनाने और उस पर अमल करने वाले अफसरों को सख्त से सख्त सज़ा देता लेकिन मध्य प्रदेश में तो बाघों के लिये बड़ी-बड़ी बात करने वाले वन्यजीव प्रेमी भी इस शर्मनाक हरकत पर अब तक कुछ नहीं बोले हैं। मेरी तरह जो लोग बाघों से लगाव रखते हैं, उनके बारे में सोचते हैं उनको बाघ को इस दयनीय हालत में देखना कतई अच्छा नहीं लगता। मध्य प्रदेश टाइगर फाउंडेशन सोसायटी को पैसों की ज़रुरत है तो बाघ प्रेमियों को सालाना मेंबर बना सकती है उनसे चंदा ले सकती है। लेकिन उसे विदेशी सैलानियों से दान लेना मंज़ूर है पर देश के लोगों को सदस्य नहीं बनाएगी क्योंकि उनके सामने पोल खुलने का डर है। जंगल महकमे के मंत्री जयराम रमेश जी अब बीटी बैंगन की पैरोकारी से मुक्त हो गये हैं इसलिये उनको थोड़ा सा समय निकालकर इस मामले में दखल देना चाहिये। मध्य प्रदेश टाइगर फाउंडेशन सोसायटी को सलाह देनी चाहिये कि वो बाघों का इस तरह से मज़ाक ना बनाये। देश के लोग तो इस तरह की वाहियात योजनायें बनाने और उनको लागू करने वाले अफसरों की फितरत समझते हैं लेकिन विदेशी सैलानियों के सामने तो देश की नाक कटती है।
जवाब देंहटाएंआवश्यक आंदोलन है.
जवाब देंहटाएंये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
बाघ बचाओ, बाघ बचाओ, बाघ बचाओ, बाघ बचाओ .. SACH MEIN SAMASYA GAMBHEER HAI .. PAR INSAAN JAAGE TAB NA ..
जवाब देंहटाएंसच है बहुत शर्मनाक है ये.
जवाब देंहटाएंहोली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.
aap ka kahana sahi hai ab to jarurat aan padi hai is tarf dhyaan dena jaruri hai...!!
जवाब देंहटाएंAapko sapariwar holi ki hardik shubhakaamanae!!
ये एक बहुत ही गंभीर समस्या है और हम सबको इसका हल निकालना चाहिए! बहुत बढ़िया लिखा है आपने!
जवाब देंहटाएंbahut achchhi jaankaari di hai aapane!
जवाब देंहटाएंहोली के अवसर पर ये ज्ञानवर्धक अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंआपको व आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें
ज्ञानवर्धक लेकिन भावुक कर देने वाली जानकारी
जवाब देंहटाएंHappy Holi.....
यह लेख बहुत अच्छा लगा |इसी प्रकार अनवरत लिखते रहिये |होली के शुभ अवसर पर शुभ कामनाओं
जवाब देंहटाएंके साथ |
आशा
बाघों के प्रति हमारी भी जिम्मेदारी है।
जवाब देंहटाएंसचेत करता लेख । बढ़िया ।
bachana hi padega
जवाब देंहटाएंकिस किसको बचाएँ!!!!
जवाब देंहटाएंसच है बहुत शर्मनाक है ये.
जवाब देंहटाएंआज इनको बचाना जरुरी है।
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