सभी साथियों को नमस्कार कुछ दिनों से व्यस्ताएं बहुत बढ़ गई है इन्ही कारणों से ब्लॉग को समय नहीं दे पा रहा हूँ...आज सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ अपनी नई रचना जिसे मैं करीब २ वर्ष पहले लिखा उम्मीद है आपको सभी को पसंद आये......!!
अक्सर हमेशा कुछ कहता है आईना
तभी तो हमेशा ख़ामोश रहता है आईना !!
तभी तो हमेशा ख़ामोश रहता है आईना !!
जो बातें छिपी है दिल के अन्दर
उसे बाहर लाने में मददगार होता है आईना !!
दीवानगी में दीवाने लोगो का दुःख
देखकर चुपचाप सहता है आईना !!
जब कभी अकेले होता हूँ तन्हा
तन्हाई का सबसे बड़ा साथी है आईना !!
कहते है आईना दिखाता है जाल भ्रम का
पर बार -बार टूट कर भी धड़कता है आईना !!
-- संजय भास्कर