नववर्ष 2020 की मंगलकानाओं के साथ सभी साथियों को मेरा नमस्कार कई दिनों के बाद आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ अपनी नई रचना के साथ उम्मीद है आपको पसंद आये......!!
सर्दी के मौसम में
मैं और मेरा मफलर
बन जाते है
गहरे दोस्त
मफलर की गर्म बाहें देती है
मुझको एक
गर्म एहसास हमेशा
जो लिपट कर मेरी
गर्दन से
झूलता रहता है मेरे कांधों पर।
और हमेशा देता है एक गर्म एहसास
पर जब कभी ठिठुरन से
ऐठ जाते है
मेरे कान तो घुमा लेता हूँ
सर के ऊपर से
एक बार
लम्बी बाहों की तरह
क्योंकि मफलर
भी लगता है मुझे मेरा अपना
जो रहता है तैयार
हमेशा बाहें फैलाये .......!!
- संजय भास्कर