25 फ़रवरी 2015

किस बात का गुनाहगार हूँ मैं -- संजय भास्कर

पुरानी डायरी से कुछ पंक्तियाँ

चित्र - ( गूगल से साभार )
किस बात का
गुनाहगार हूँ मैं,
खुशियाँ भरता हूँ
सबकी जिंदगी में
टूटे दिलों को दुआ देता हूँ
दुश्मन का भी भला करता हूँ,
क्या इसी बात का
गुनाहगार हूँ ,
मेरी जिंदगी में कांटे
डाले सबने
मैंने फूलों की बहार दे डाली
बचाता हूँ दोस्तों को
हर इलज़ाम से
कहीं दोस्त बदनाम
न हो जाये
मेरे लिए यही है
जिंदगी का दस्तूर
क्या इसलिए गुनाहगार हूँ मैं
साथ निभाता हूँ
सभी अपनों का
जिंदगी की हर राह पर
क्या यही है कसूर मेरा
हाँ हाँ शायद ... यही है कसूर मेरा
जो अपने दिल के ग़मों को
छुपाता रहा हूँ मैं
ज़माने को हँसाता रहा हूँ मैं,
और तन्हाई में
आंसू बहाता रहा हूँ मैं
भास्कर पूछता है
क्या यही जिंदगी का दस्तूर है
कोई बता दे कसूर मेरा
आखिर
किस बात का ... गुनाहगार हूँ  मैं  !!

( C )  संजय भास्कर