अगर हम किसी महानगर या शहर की बात करे तो एक ही तस्वीर दिमाग में उतरती है कि चारो तरफ होर्न की ची ची पो पो और ज्यादातर हिस्सों में ट्रेफिक जाम का होना |
हर साल न जाने कितने ही वाहन सड़क पर उतरते है परन्तु ज्यादा तर सड़को व बाजारों के हालात तो बहुत ही पुराने है ऐसे में ट्रेफिक जाम का होना आम बात है जहा पर इन सड़को के हालत न बदलने के लिए सरकार जिम्मेदार है , वहीँ पर कुछ बातों के लिए हम स्वयं भी जिम्मेदार है |
शहरो में दुकानदार भाइयों का तालुक है उनमे से ज्यादा तर दुकानदार तो ज्यादा से ज्यादा सामान अपनी दूकान के बाहर लगाया होता है ,और राही सही कसर रेहड़ी वाले पूरा कर देते है ,जिससे बाजारों में वाहन सुचारू रूप से कैसे चल सकते है |
बाजारों में अक्सर देखा जाता है कि लोग आज एक दुसरे से आगे निकलने कि होड़ में ट्रेफिक नियमो कि धज्जियाँ उड़ा देते है |
अपनी साइड के बजाय आने वाले कि साइड में ही वाहन भिड़ा देते है ,जिसकी वजह से यातायात में बाधा आती है जो कि ट्राफिक जाम में सहायक सिद्ध होता है दूसरे वो लोग है जो अपने वाहन को पार्किंग करने में लग जाते है | ऐसे में अगर सड़क खाली नहीं होगी तो ट्रेफिक जाम होना स्वाभाविक है एक वो ट्रेफिक कर्मचारी है जो अपना काम इमानदारी से नहीं करते
और तो और ड्यूटी के टाइम पर पान कि दुकम में पान खाने में मस्त रहते है | कहने को तो हम सभी ट्रेफिक जाम से दुखी है
लेकिन हम सभी किसी न किसी रूप में ट्रेफिक जाम को बढ़ावा देने में मदद भी करते है |
आखिर इसका हल क्या है | अगर हम सभी मन में ठान ले कि ट्रेफिक नियमो का कड़ाई से पालन करना है ,तो इस बात में कोई शक नहीं कि ट्रेफिक जाम कि समस्या कैसे गायब हो जाती है पता भी नहीं चलेगा |
........................संजय कुमार भास्कर