शब्दों की मुस्कुराहट :)
जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर शब्दों से मुस्कुराहट बाँटने की कोशिश :)
03 अक्तूबर 2010
दहेज़ की दूकान पर .............हास्य व्यंग
सेल ! सेल ! सेल !
आज रविवार है ,
सजा हुआ एक अद्भुत बाज़ार है |
हर तरह का माल तैयार है '
कोई चपरासी ,कोई थानेदार तो कोई तहसीलदार है |
भाव पदानुसार है ,
किसी की कीमत लाख तो किसी की हजार है |
चोंकिये मत यह '
दुल्हों
' का बाजार है |
.......संजय
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