खुद की तलाश में
क्यूं भटक रहे हैं।
मैं नाम हूं
मैं ज़िस्म हूं
मैं जान हूं
मैं रूह हूं
हम किस गली
से गुजर रहे हैं।
अपना कोई
ठिकाना नहीं।
अपना कोई
फसाना नहीं।
अपनी कोई
मंजिल नहीं।
भटक रहें हैं
मायावी जंगल में।
सब है पर
कुछ भी नहीं।
क्यूं भटक रहे हैं।
मैं नाम हूं
मैं ज़िस्म हूं
मैं जान हूं
मैं रूह हूं
हम किस गली
से गुजर रहे हैं।
अपना कोई
ठिकाना नहीं।
अपना कोई
फसाना नहीं।
अपनी कोई
मंजिल नहीं।
भटक रहें हैं
मायावी जंगल में।
सब है पर
कुछ भी नहीं।
फिर भी तलाश है
फिर भी प्यास है ।
क्यूं भटक रहे हैं हम
खुद की तलाश में ।
फिर भी प्यास है ।
क्यूं भटक रहे हैं हम
खुद की तलाश में ।
पहुंचा रहे है
संजय भास्कर