26 फ़रवरी 2010

सफर



सफर

मीलों दूर तक जाना है,

एक नया जहाँ बनाना है,

झुकना मना है, थकना मना है,

मंजिल से पहले रुकना मना है !

पता है मुश्किलें तो आयेंगी,

मुझको, मेरे हौसले को आज़मायेंगी,

पर मैं न डरूंगी, मैं न मरूंगी,

सीने में सैलाब लिए,

मुश्किलों पर ही टूट पडूँगी !

इन मुश्किल हालातों में,

अचानक मेरे ख्यालों में,

किसीकी मुस्कान याद आती है,

उसकी प्यारी बातें दिल के तार छेड़ जाती है,

कोई था, जो मुझे अकेला छोड़ गया,

सारे रिश्ते, सारे बंधन,

एक पल में ही तोड़ गया !

जब आँखें भर आती है,

और यादें तडपाती है,

उसकी आवाज़ कहीं से आती है,

हौसला ना हार,

कर सामना तूफ़ान का,

तू ही तो रंग बदलेगा आसमान का !

करता जा अपनी मंजिल की तलाश;

तेरे साथ चलेंगे ये दिन ये रात;

चलेगी ये धरती, ये सकल आकाश !

काटों को फूल समझता चल;

बाधा को धूल समझता चल;

पर्वत हिल जाए, ऐसा चल;

धरती फट जाए ऐसा चल;

चल ऐसे की, तूफ़ान भी शरमाये

तेज़ तेरा देखकर,

ज्वालामुखी भी ठण्ड पर जाए !


Babli ji, aapne bahut khoobsoorat likha
mujhe itna pasand aaya ki apne blog par bhi post kar diya.

http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com