23 नवंबर 2022

मेरी कलम से संग्रह समीक्षा युगांतर.......आशालता सक्सेना

पुस्तक चर्चा कुछ मेरी कलम से युगांतर संग्रह समीक्षा.....लेखिका आशालता सक्सेना :)

कुछ दिनों से व्यस्तताएँ बढ़ गई है पर व्यस्त जीवन से कुछ समय बचाकर आज की चर्चा मे आदरणीय आशालता सक्सेना जी के काव्य संग्रह .....युगांतर..... 

जो विविध आयाम का अनोखा लेखन उजागर करता है 

विकराल रूप ले लहरों ने
बीच भँवर तक पहुचाया 
जीवन नैया डूब रही
असंतोष के भँवर मे 
जीवन भार सा हुआ
संतुष्टि के आभाव मे 
खुशीयां सारी खो गई 
जीवन के अंतिम पड़ाव में! 

आदरणीय आशा जी रचना संसार का एक पड़ाव है युगांतर जिसमे लेखिका ने बदलते युग का आकलन करते हैं अपनी अनुभूतियों को रेखांकित किया है संकलन मे वर्तमान युग के मर्मस्पर्शी चित्र है कल और आज की सोच मे उपजे अंतर के कारण वृद्दों के सम्मान मे हो रही कमी की टीस,बिना बेटी के घर सूना, शिक्षा के क्षेत्र परिवर्तन न दिखाई देने की पीड़ा, कलम की आज़ादी याए सब कविताओं मे रेखांकित की है 

उनका कहना है मैं तो बस लिख रही हूँ और क्यों लिख रही हूँ, यह नहीं जानती मेरे मन में तरह तरह के विचार उठते है और इन विचारो के साथ जीवन के कड़वे मीठे अनुभवों का सिलसिला खुलता जाता है अनुभूतिय शब्दों का लिबास पहन कर अभिव्यक्त होने लगती है यह क्रम पिछले दस-बारह सालो से सतत चल रहा है उन्हे लेखन के संस्कार ममतामयी श्रेष्ठ कवियित्री माता से मिले है ! यह उनकी संस्कारो का ही फल है विवाह के बाद घर गृहस्थी और शिक्षा सेवा में व्यस्त रही और सेवानिवृति के बाद अध्यन व लेखन से जुडी हूँ  जिसमे मुझे मेरी छोटो बहन कवियित्री श्री मति साधना वैद का भरपूर प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है.......आपके अब तक काव्य संग्रह 

1 ....अनकहा सच  2 ....अंत:प्रवाह
3 .....प्रारब्ध         4.....शब्द प्रपात 
5 ....सुनहरी धूप   6....सिमटते स्वप्न, 
7 ....काव्य सुधा   8....यायावर, 
9 .....पलाश      10....आकांक्षा 
11 ...निहारिका   12....अपराजिता 
13 .....विभावरी  14......युगांतर
प्रकाशित हो चुके हैं! 

मार्च 2022 में मुझे श्रीमती आशालता सक्सेना जी का युगांतर संकलन पढने को मिला जो बहुत ही पसंद आया आशा सक्सेना जी जिन्हें आप सभी आकांशा ब्लॉग में पढ़ते रहे है उनकी ज्यादा तर प्रकृति पर उनकी कविताये मन को बहुत प्रभावित करती हैं श्रीमती आशा लता सक्सेना उन्ही में से एक है युगांतर संकलन की भूमिका डॉ. बालकृष्ण शर्मा ने लिखी है !

पसंकलन मे कवयित्री की बहुमुखी प्रतिभा की झलक दिखाई देती है अंग्रेजी की प्राध्यापिका होने के बावजूद कवयित्री ने हिन्दी भाषा के प्रति अनुराग व्यक्त करते हुए लिखा है 

कवयित्री ने काव्य को सरल साहित्यिक शब्दों में अभिव्यक्त कर पुस्तक युगांतर को प्रभावशाली बनाया है आशा जी की पुस्तकों के माध्यम से उनकी हिन्दी साहित्य के प्रति गहरी लगन है आज के समय में साहित्य जगत में अपनी लेखनी को पुस्तक का रूप देना हर किसी के बस की बात नहीं है युगांतर संग्रह की कविताएँ एकदम सटीक है ढेरों शांनदार कविताएँ है...... 

संग्रह की पहली कविता की शुरुआत गणेश जी पर कविता से

हे गणनायक सिद्धिविनायक
प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता
कामना मेरी पूर्ण करो प्रभु
आया शरण तेरी......... 
विचलन कविता मे विचलित मन की कुछ पंक्तिया
मन की बातें मन मे ही 
उलझी सी सदा बनी रहती है
गंगा मैली! 
प्रकृति का आलम......... 
भावों की उत्तंग तरंगें
जब विशाल  रूप लेतीं
मन के सारे तार छिड़ जाते
उन्हें शांत करने में .....
पर कहीं कुछ बिखर जाता
किरच किरच हो जाता
कोई उसे समेंट  नहीं पाता
अपनी बाहों में |
संसार अनोखा लेखन का
वाक्य एक अर्थ अनेक
विविध रंग उन अर्थों के
लेखन की सोच दर्शाते है....... 

कुछ रचनाओं मे ईश्वर के प्रति समर्पण भाव भी प्रदर्शित हुआ है संग्रह की कविताएँ एकदम सटीक है !! 
प्रश्न कैसे कैसे...... 

अनगिनत सवाल मन में उठते 
किसी का उत्तर मिल पाता 
किसी को बहुत खोजना पड़ता 
तब जा कर मिल पाता |
कुछ सवाल ऐसे होते 
जिनके उत्तर बहुत दिनों के बाद मिलते 
तब तक आशा छोड़ चुके होते 
सोचते अब न मिलेंगे
पर अचानक मिल जाते .... 
बरसात का आलम......
उमढ घुमड़ जब बादल आए 
 वायु जब मंद मंद चले महकाए 
मेरे बदन में सिहरन  सी दौड़े 
एक अनोखा सा एहसास हो 
जो छू जाये तन मन को .....
संग्रह मे ढेरों कविताएँ है जैसे.....
घर या अखाड़ा..... अंतर का व आज मे...... सत्य आज का....... रिश्ते बदल गये...... एक दिन और बीता......नारी आज की.....बदलता युग.....असलियत भूल गए.....रोटी.... आज़ाद कलम...... शिकायत...... मेरी लाडली...... ठहराव.....आदि.....आशा सक्सेना जी को सभी काव्य संकलनो के लिए हार्दिक शुभकामनाये.....!! 
  
पता - श्रीमती आशा लता सक्सेना
सी-47, एल.आई.जी, ऋषिनगर, उज्जैन-456010 
पुस्तक प्राप्ति हेतु लेखिका आशा सक्सेना जी से भी सीधा सम्पर्क किया जा सकता है।

#युगांतर काव्य संकलन (155 कविताएँ ) 

- श्रीमती आशालता सक्सेना

- संजय भास्कर