सभी साथियों को नमस्कार कुछ दिनों से व्यस्ताएं बहुत बढ़ गई है इन्ही कारणों से ब्लॉग को समय नहीं दे पा रहा हूँ...आज सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ अपनी नई रचना जिसे मैं करीब २ वर्ष पहले लिखा उम्मीद है आपको सभी को पसंद आये......!!
अक्सर हमेशा कुछ कहता है आईना
तभी तो हमेशा ख़ामोश रहता है आईना !!
तभी तो हमेशा ख़ामोश रहता है आईना !!
जो बातें छिपी है दिल के अन्दर
उसे बाहर लाने में मददगार होता है आईना !!
दीवानगी में दीवाने लोगो का दुःख
देखकर चुपचाप सहता है आईना !!
जब कभी अकेले होता हूँ तन्हा
तन्हाई का सबसे बड़ा साथी है आईना !!
कहते है आईना दिखाता है जाल भ्रम का
पर बार -बार टूट कर भी धड़कता है आईना !!
-- संजय भास्कर
8 टिप्पणियां:
कहते है आईना दिखाता है जाल भ्रम का
पर बार -बार टूट कर भी धड़कता है आईना !!..
सटीक अभिव्यक्ति, सुंदर रचना ।
अच्छी रचना है।
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय संजय।आईना जीवन को जस का तस दिखाने में सक्षम है वो कभी झूठ नहीं बोलता।ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद तुम्हें देखकर अच्छा लगा।तुम जो समीक्षायें फेसबुक पर लिख रहे हो,उन्हें यहाँ भी डालो।यहाँ वो थाती आसानी से सहेजी जायेगी।हार्दिक शुभकामनाएं और स्नेह।
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा आज बुधवार (01-04-2022) को चर्चा मंच "भारत ने सारी दुनिया को, दिया शून्य का ज्ञान" (चर्चा अंक-4387) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
'जब कभी अकेले होता हूँ तन्हा
तन्हाई का सबसे बड़ा साथी है आईना!'
सुन्दर!...सत्य वचन!
कहते है आईना दिखाता है जाल भ्रम का
पर बार -बार टूट कर भी धड़कता है आईना !!
सुंदर सृजन...
लाजबाब
कहते है आईना दिखाता है जाल भ्रम का
पर बार -बार टूट कर भी धड़कता है आईना !!
बहुत ख़ूब ! अत्यंत सुन्दर ॥
एक टिप्पणी भेजें