15 मई 2020

घोसले पर लौटती चिड़ियाँ :(


रोज देखता हूँ घर की छत से
एक बड़ा सा झुण्ड
चिड़ियों का
जो शाम को लौटती है
अपने घोसलों पर
कई बार सोचा लिखू कुछ चिड़ियों
के लिए
जो सारा दिन जंगलों , शहर की इमारतों
के इर्द- गिर्द 
घर के रोशन दानों
से चुनती है दाना
अपने परिवार के लिए
और शाम होते ही लौटती है
अपने घोसलों पर
एक बड़ा झुंड बना कर
पूरे हौसले के साथ  ....!!

- संजय भास्कर 

32 टिप्‍पणियां:

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर = RAJA Kumarendra Singh Sengar ने कहा…

परिवार की छाया में लौटना ही सबसे बड़ा सुख है.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ये तो उनका नित्य कर्म है और कर्म से कहाँ छुटकारा ...
बहुत कुछ सिखाते हैं पंछी अपनी बातों से ...

Meena Bhardwaj ने कहा…

परिवार का भरण-पोषण , जीवन की जीजिविषा , हौसला और कर्मठता प्रकृति का जीव जगत सिखलाता है हमें..इस विचार को पुष्ट करता बहुत सुन्दर सृजन ।

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बहुत बढ़िया 👌

Jyoti Singh ने कहा…


पीपल कि ऊँची डाली पर बेठी चिड़िया गाती है-
तुम्हे याद अपनी बोली में क्या सन्देश सुनाती है-
चिड़िया बेठी प्रेम प्रीत की रीत हमें सिखलाती है-
वह जग के बंधी मानव को मुक्त मन्त्र बतलाती है-
सब मिल जुलकर रहते है वे सब मिल झूल कर खाते है-
आसमान ही उनका घर है जहाँ चाहते जाते है-
रहते जहाँ वही अपना घर बसाते है...
संजय बहुत बढ़िया लिखा है ,तुम्हारी कविता ने मुझे इस कविता की याद दिला दी ,

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति !

Sarita Sail ने कहा…

बढिब सृजन

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्द्र और भावप्रवण

Anita ने कहा…

भावपूर्ण कविता चिड़ियों के नाम

Sangita Puri ने कहा…

अपने परिवार का सुख ---
किसे नहीं चाहिए !

Sangita Puri ने कहा…

कोरोना के बाद सबकुछ अच्छा हो जाये,
ईश्वर से यही प्रार्थना है !

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

जीवन में अनुशासन सीखना हो तो कोई इनसे सीखे। वाह..सुन्दर।

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 19 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

रेणु ने कहा…

प्रिय संजय , चिड़ियों के लिए आपका ये शब्द चित्र बहुत प्यारा है | दिन भर की थकन के बाद चिड़ियों का घर लौटना एक भावपूर्ण विराम का परिचायक है | सस्नेह -

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(२३-०५-२०२०) को 'बादल से विनती' (चर्चा अंक-३७१०) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
**
अनीता सैनी

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

सुन्दर रचना

Anuradha chauhan ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

Sudha Devrani ने कहा…

चिडिया दिनभर कमा खा कर शाम को घर लौटती है। अपने बलबूते पर अपने पंखों से उड़कर...
काश हमारे प्रवासी श्रमिकों के पास भी पर होते...
बहुत लाजवाब सृजन।

whatsquotes.in ने कहा…

I Really Like Your Article Thanks For Sharing With Us Sandeep Maheshwari Quotation in Hindi

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बहुत सुंदर रचना।

VenuS "ज़ोया" ने कहा…

सुंदर भावाभिव्यक्ति, सुन्दर रचना

dj ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति

Madhulika Patel ने कहा…

बहुत सुंदर रचना ।

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

वाह! संजय जी आपने अपने शब्दो से बिखरे हुए जीवन को बड़ी ही आत्मीयता और तन्मयता से समेट दिया..भावपूर्ण अभिव्यक्ति..

ललिता ने कहा…

सरल शब्दों में गहन विचारात्मक विषय रखा आपने,,, अतिसुंदर 🙏

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना । मेरा भी एक गीत है । लो पंछी नीडों से जाते ।


SImran Sharma ने कहा…

This is very intresting post and I can see the effort you have put to write this quality post. Thank you so much for sharing this article with us.
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Allbhajan ने कहा…

मेरी अंखियों के सामने ही रहना लिरिक्स

Allbhajan ने कहा…

वो है जग से बेमिसाल सखी लिरिक्स

BTRESTRO ने कहा…

ऐ मेरे वतन के लोगों

BTRESTRO ने कहा…

मेरे देश की धरती

BTRESTRO ने कहा…

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों