01 अप्रैल 2020

अलमारी में पड़ी कुछ पुरानी किताबें :)


अलमारी में पड़ी कुछ
पुरानी किताबें
जिन्हे काफी आरसे से
नहीं पढ़ पाया हूँ मैं
जो अलमारी में
पड़े - पड़े अक्सर देखती है मुझे
और देती है आमंत्रण
मुझे पढ़ने के लिए
पर यह सच है
कि इन किताबो को बरसो पहले
मैं खरीद लाया था
बड़े ही शौक से बाजार से
पर उन्हें लाने के बाद नहीं लगा
पाया हाथ उन्हें बरसो से
जीवन की उलझती व्यस्ताओ ने
दूर कर दिया मुझे इन
किताबो से
चाह कर भी नहीं पढ़
पाया हूँ
इन किताबो को बरसो से .... !!

- संजय भास्कर 

22 टिप्‍पणियां:

Anuradha chauhan ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

Nitish Tiwary ने कहा…

Lock down में आलमारी में पड़ी किताबें पड़ी जा सकती हैं।

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत खूब....
अब समय ही समय है खूब पढ़ें किताबें।

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

सुन्दर..अब समय है उन किताबों से मित्रता करने का 🙂

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 02 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
श्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

Onkar ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति

~Sudha Singh Aprajita ~ ने कहा…

सुंदर रचना 👌

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

होता है जीवन में ऐसा ... पर फिर भी कई बार स्वतः समय निकल आता है ... जैसे आज कल का समय ...
किताबिब हमेशा साथ रहती हैं ...

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

किताबें ही तो हैं जो हमें दुनिया दिखाती है,
आँखों में इतनी दम कहाँ कि सैर करती फिरें।

Pallavi saxena ने कहा…

पढ़ डालिए आजकल बहुत समय है सुंदर अभिव्यक्ति।

विश्वमोहन ने कहा…

सुंदर। अब तक तो काफी पढ़ लिया होगा।

कविता रावत ने कहा…

किताब ज्ञान का भण्डार होते हैं।
अब लॉकडाउन के चलते उनकी सुध लेने का समय आया है। जब जिसका समय आता है तभी वह काम होता है

Sarita Sail ने कहा…

हम सब के साथ यैसा ही होता है
अच्छी रचना

nilesh mathur ने कहा…

बहुत सुंदर।

Jyoti Singh ने कहा…

बहुत ही सुंदर रचना संजय ,अब समय हाथ आया है ,इन्हें समय देकर पढ़ डालो

dj ने कहा…

जीवन के हर मोड़ पर प्राथमिकताएँ बदल जातीं हैं कभी मजबूरीवश तो कभी परिस्थितियोंवश और इसी से उन चीज़ों या कामों के के लिए समयाभाव उत्पन्न होजाता है जिन्हें प्राथमिकता सूचि में जगह नहीं मिल पाती आशा विश्वास एवं प्रार्थना है जल्द ही आपको इन्हें पढ़ने का समय मिले

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

ऐसी बहुत से काम,जो हम समय पर नहीं कर पाते,इसके लिए टीस सी उठती है,उनमें किताबें पढ़ना भी एक है, कभी कभी तो हम खुद को भी नहीं पढ़ पाते खुद को भी पढ़ना चाहिए..सादर नमन..

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