कुछ समय से कामिनी सिन्हा जी के कुछ आलेखों को ( मेरी नज़र से ) ब्लॉग के माध्यम से पढ़ रहा हूँ जीवन का सारा खेल एक नज़र और नज़रिये का ही तो होता है ,किसी को पत्थर में भगवान नजर आते है किसी को भगवान भी पत्थर के नज़र आते है कामिनी जी हिंदी साहित्य मे संमरण आलेखों को काफी गहराई से लिखती है जिंदगी के ढेरों उलझनों से कुछ समय बचाकर कहानी और लेख के माध्यम से साँझा करती है ! जिस तरह हर इंसान का जिंदगी जीने का अपना ही अंदाज़ होता है उसी तरह जीवन को, जीवन की परिस्थितियों को, समाज को और यह तक की व्यक्ति विशेष को देखने का भी उसका अपना एक नज़रिया होता है ,अपना एक दृश्टिकोण होता है. वो अपनी ही नज़रिये से हर परिस्थिति को देखता है, समझता है, संभालता है और सीखता भी है. यूँ कहे कि सारा खेल नज़र और नज़रिये का है ! कुछ दिनों पहले कामिनी जी का एक आलेख एक खत पापा के नाम जो एक दर्द से भीगा हुआ मर्मस्पर्शी बेटी की खत था मन बहुत दुखी हुआ आपकी व्यथा पढ़ कर । दिवंगत पिताजी को समर्पित ये लेख हर उस बेटी के मन की अव्यक्त भावनाओं को शब्द देता है जिन्होंने आपकी ही तरह जीवन में इस स्नेहमयी छाया को खोया है ! एक बेटी और पिता के बीच हमेशा ही स्नेह का अद्भुत नाता रहा है जिसे लिख पाना बिलकुल भी संभव नहीं ! तुमने उन भावनाओं को बहुत ही भावपूर्ण ढंग से लिखा है जो उस समय तुम्हारे भीतर उमड़ी होंगी पापा के अंतिम सफ़र के दृश्य मुझे भी अपने दिवंगत पिताजी के बारे में सुनी बातें याद दिला गये | सखी मैं इतनी भाग्यशाली नहीं थी जो अपने पिताजी के साथ उस समय रहती पर उनके साथ भी दर्दनाक कैंसर का यही अनुभव रहा मन की वेदना के ज्वार को तुमने ज्यों का त्यों लेख में उतार दिया ! शब्द - शब्द पीड़ा बही और सब अनकही कह गई पिता के लिए इतनी गहन अनुभूतियाँ सराहना से परे हैं इनसे तुम्हारे उनके बीच के अद्भुत रिश्ते का पता चलता है कामिनी सिन्हा जी लेखनी से प्रभावित होकर ही उनके के बारे में लिख रहा हूँ पर शायद किसी के बारे में लिखना मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है पिता के लिए बेटी के प्यार को शब्दों में पिरोता खत सीधे दिल से दिल तक जाने में सक्षम रहा सच में बाप-बेटी का रिश्ता कितना अनमोल होता हैं...........उसे शब्दों में बयान करना बहुत ही मुश्किल हैं कामिनी के बारे जो कुछ भी लिखा उनकी लेखनी से प्रभावित हो कर लिखा उम्मीद है सभी पसंद आये !!
मेरी और से निरंतर लेखन के लिए को कामिनी जी को ढेरों शुभकामनाएँ.........!!
-- संजय भास्कर