चित्र - गूगल से साभार
उड़ जाना चाहता हूँ मैंखोल के बाहें अपनी
थामना चाहता हूँ मैं
सारे आसमान को,
मैं बस उड़ना चाहता हूँ
मत रोको अब
मुझ मतवाले को,
मैं जीना चाहता हूँ !
बस अपनी धुन में
नापना चाहता हूँ
सागर की गहराइयों को,
घर बनाना चाहता हूँ
आसमान में
दोस्ती कर पर्वतो से
हिमालय को झुकाना चाहता हूँ !
मैं बस जीना चाहता हूँ.......!!
-- संजय भास्कर
सभी साथियों को मेरा नमस्कार कुछ दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ ज़िंदगी की भागमभाग से कुछ समय बचाकर आज आप सभी के समक्ष उपस्थित हूँ !