सभी साथियों को मेरा नमस्कार कुछ दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ पर अब आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ अपनी एक गजलनुमा रचना के साथ उम्मीद है आप सभी को पसंद आये .....!!
चित्र - गूगल से साभार
जिंदगी तो एक मुसीबत है मुसीबत के सिवा कुछ भी नहीं !!
पत्थरो तुम्हे क्यूँ पूजूं
तुमसे भी तो मिला कुछ भी नहीं !!
रोया तो बहुत हूँ आज तक
अब भी रोता हूँ नया कुछ भी नहीं !!
चाहा तो बहुत कुछ था मैंने
कोशिश की पर कर न सका कुछ भी नहीं !!
प्रेम है तो सब के अन्दर
पर इस दुनिया में प्रेम से बुरा कुछ भी नहीं !!
ये दौर है आज कलयुग का
जिसमे धोखा फरेब के सिवा कुछ भी नहीं !!
( C ) संजय भास्कर