.......परिंदों को भी उड़ा देते हैं लोग :))
खुल के दिल से मिलो तो सजा देते हैं लोग
सच्चे जज़्बात भी ठुकरा देते हैं लोग
क्या देखेंगे दो लोगों का मिलना
बैठे हुए दो परिंदों को भी उड़ा देते हैं लोग !
ये पंक्तियाँ मझे SMS में मिली, अच्छी लगी तो ब्लॉग पर आप सब से साँझा कर लीं !
-- संजय भास्कर
30 टिप्पणियां:
बेहद खूबसूरत और एकदम सही बात लिखी गई है...!!
संजय जी ..बड़ा अच्छा किया आपने जो इन पंक्तियों को हमारे साथ बाँट लिया.
इसके लिए आपको आभार
वाह, बहुत ही सुन्दर
सुंदर !
ऐसे ही होते हैं लोग...
वाह, बहुत ही सुन्दर संजय जी।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, आभार आपका।
सुंदर और सार्थक प्रस्तुति. शुक्रिया इसे साझा करने के लिये.
बहुत सुन्दर.....
बहुत सुन्दर और सटीक...
सुन्दर पंक्तियां
गज़ब भाई जी , इस वक़्त कुछ कुछ ऐसा हि बीत रहा है मेरे साथ , इन पंक्तियों में बहुत कुछ है , धन्यवाद
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प्यार की परिभाषा बताओ उन्हें जो दो परिंदो को उड़ा देते हैं
:-) सुन्दर पंक्तियाँ है....
अनु
भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने...
सुन्दर पंक्तियां...
bahut sundar panktiya .....thanks ....
वाह बहुत खूब .....और सही भी है
बहुत खूब ....
मर्म भेदी पंक्तियाँ।
जितनी सुंदर पंक्तियाँ उतना ही सुंदर चित्र। कैसे कोई इतना निर्मम हो सकता है।
वाकई बहुत सही
बढ़िया !
बहुत ही लाजवाब बंध है ... सच है की छोटी छोटी खुशियाँ नहीं दे पाते हैं कुछ लोग ...
खूबसूरत..
वाह .... बहुत खूब
Sundar
riderfreelance.blogspot.in
Behad sundar. :)
बहुत अच्छी रचना है ! बिलकुल सटीक !!
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