21 फ़रवरी 2011

लड़की की दास्तान............संजय भास्कर


लड़की होने पर दुनिया वाले क्यों मनाते है शोक
लड़की को बोझ क्यों समझते है लोग
हर काम में ये आगे है ये मर्दों से
कभी पीछे नहीं हटती अपने फर्जो से
इसके जन्म पर क्यों नहीं बांटता कोई भोग |
********************************
एक पडोसी थे मेरे, न थी उनके कोई औलाद
हाथ जोड़कर ईश्वर से करते थे वो फ़रियाद
कर्म खुदा का उनके आँगन में खिली एक कली
मायूस होकर बोले कि हुई है एक लड़की
मैंने कहा अंकल कुछ खिला पिला तो जाते
कहने लगे लड़का होता तो जरूर खिलाते  |
********************************
सुनते ही दिल मेरा तड़प उठा
ये क्या उल्टा रिवाज़ है दुनिया का
कभी देते है देवी या कन्या का नाम इसे
कभी पैदा होते ही करते है बदनाम इसे
चाहते हुए भी कुछ न कर सकी
दुखी ह्रदय  से कविता लिख डाली |
***************************
मैं न किसी पर बोझ बनूंगी , जग में ऊँचा नाम करूंगी
फिर देखूँगी कौन करेगा लड़की होने पर मातम |
**************************************
अरे नादान लोगो , जरा समझ लो
न होगी लड़की तो समाप्त हो जायेगा जीवन
इसके जज्बात को न कोई समझा है
न कोई समझ सकेगा ..............!
**************************
-- संजय कुमार भास्कर



203 टिप्‍पणियां:

203 का 1 – 200   नए›   नवीनतम»
सदा ने कहा…

वाह .......बहुत ही सार्थक एवं सुन्‍दर संदेश देती यह प्रस्‍तुति ।

सदा ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
रश्मि प्रभा... ने कहा…

बहुत अच्छा ... लडकियां हेर क्षेत्र में आगे , फिर भी दुःख ज्यों का त्यों

Unknown ने कहा…

सोचने को मजबूर करती है आपकी यह रचना ! सादर !

Unknown ने कहा…

सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

kshama ने कहा…

लड़की होने पर दुनिया वाले क्यों मनाते है शोक
लड़की को बोझ क्यों समझते है लोग
हर काम में ये आगे है ये मर्दों से
कभी पीछे नहीं हटती अपने फर्जो से
इसके जन्म पर क्यों नहीं बांटता कोई भोग |
Bahut sahee kahaa aapne! Bahut dukh hota hai jab ladkee hone pe log mayoos ho jate hain.

OM KASHYAP ने कहा…

अरे नादान लोगो , जरा समझ लो
न होगी लड़की तो समाप्त हो जायेगा जीवन
इसके जज्बात को न कोई समझा है
न कोई समझ सकेगा ..............!

bahut sunder guru ji

OM KASHYAP ने कहा…

aaj ke samaj ka dikhati kavita
guru ji aap great ho
badhai swekar kare

OM KASHYAP ने कहा…

aaj ka chitra bahut hi cute he guru ji

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अरे नादान लोगो , जरा समझ लो
न होगी लड़की तो समाप्त हो जायेगा जीवन
इसके जज्बात को न कोई समझा है
न कोई समझ सकेगा ...

Sach kaha hai .. vansh vel ko ladki hi aage badhaati hai ...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

Bahut achhe bhaav hain rachna mein Sanjay ji ..

संध्या शर्मा ने कहा…

न होगी लड़की तो समाप्त हो जायेगा जीवन
जी हाँ वो दिन दूर नहीं जब लड़कियों की संख्या इतनी कम हो जाएगी की लोगों को अपने बेटों की शादियों के लिए लड़कियां नहीं मिलेंगी और वही दिन होगा इस समस्या से निपटने का ठोस हल.. वर्ना अभी भी वक़्त है हमारे समाज को संभलने का..बहुत ही अच्छी कविता, एक ज्वलंत प्रश्न को उठाती हुई रचना...

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ सदा जी..
बहुत बहुत आभार आपका गलती सुधार ली गई है

सोमेश सक्सेना ने कहा…

हैं आज भी कुछ अज्ञानी लोग जो लड़की को बोझ समझते हैं। बहुत गुस्सा आता है ऐसे लोगों पर।

Amit Kumar Sendane ने कहा…

baht sahi baat kahi sanjay bhaiya,
ye baat wakai galat hai ki log lakiyon ko bojh samajhte hai aaj ke is daur mein bhi............

meri di ki is mahine hogayi,woh apne sasural chali gayi,ab humse poocho unke bina hume apna ghar kaisa lag raha hai...........

teri judai ka ehsaas sabhi ko hone laga hai,
teri judai ka ehsaas sabhi ko hone laga hai,
dekh tere jaane se meri behen mere ghar ka har kona rone laga hai..........

sabhi se nivedan hai ladkiyon ko bojh naa samjhe,woh hai toh hi apke paas sab kuch hai warna kuch bhi nahi.........ek baat aur sabhi zara is baat ko sochiyega...agar apke nana nahi ne apki maa ko bojh samjha hota toh shayad ap ye duniya nahi dekh rahe hote..........
Aurat ko jag janani aise hi nahi kah jata.........

vandana gupta ने कहा…

बहुत ही सार्थक एवं सुन्‍दर संदेश देती प्रस्‍तुति बहुत पसन्द आई।

पी.एस .भाकुनी ने कहा…

एक पडोसी थे मेरे, न थी उनके कोई औलाद ........................
...............कहने लगे लड़का होता तो जरूर खिलाते |
संजय जी ! निसंदेह आपकी उपरोक्त रचना समाज को जागरूक करने में सहायक सिद्ध होगी , किन्तु अक्सर देखा गया है की मन्नतों के बाद यदि पुत्र हो या पुत्री किसी भी माता-पिता के लिए ख़ुशी ही होती है , शायद यही कारण है की उपरोक्त पंक्तियाँ मुझे एक कमजोर कड़ी के रूप में नजर आई . अन्यथा एक अच्छा सन्देश प्रस्तुत करती रचना .
ढेरों शुभकानाएं आपको .................

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

एक पडोसी थे मेरे, न थी उनके कोई औलाद
हाथ जोड़कर ईश्वर से करते थे वो फ़रियाद
कर्म खुदा का उनके आँगन में खिली एक कली
मायूस होकर बोले कि हुई है एक लड़की
मैंने कहा अंकल कुछ खिला पिला तो जाते
कहने लगे लड़का होता तो जरूर खिलाते |

अफ़सोस कि यही हमारे इस समाज की मानसिकता !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आज भी समाज की ऐसी मानसिकता है जिस पर रोष होता है ..अच्छी प्रस्तुति

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

सोचने को मजबूर करती है आपकी यह रचना !
अफ़सोस कि यही हमारे इस समाज की मानसिकता hai

अन्तर सोहिल ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना
धन्यवाद इस जनसन्देश के लिये

प्रणाम

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

जज्बातोँ को बहुत अच्छे ढंग से उकेरा है । बधाई संजय भाई !

पद्म सिंह ने कहा…

सभी लड़कियों को चाहिए कि वो अपने लड़कों के लिए दहेज लेना बंद करें...

सभी लड़कियों को चाहिए कि अपनी बहुओं को अपनी बेटी जैसी मानें

सभी लड़कियों को चाहिए वो अपनी सास को माँ जैसा माने

सभी लड़कियों को चाहिए कि वो दूसरी लड़कियों के प्रति द्वेष न रखें और लड़के की चाहत मे लड़कियों को गर्भ मे न मारें

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

shi khaa bhaai ldikyaan hi aajkl andhere men surj ki trh roshni laati he or voh bhaskr khlaati hen . akhtar khan akela kota rajsthan

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत गहरी बातें कह दी संजय भाई। बधाई।

---------
शिकार: कहानी और संभावनाएं।
ज्‍योतिर्विज्ञान: दिल बहलाने का विज्ञान।

Satish Saxena ने कहा…

बढ़िया भावनाओं के लिए शुभकामनायें !!

DR.ASHOK KUMAR ने कहा…

बहुत ही सार्थक लेख है ।

क्या लड़कियोँ के बगैर समाज को खुशी मिल सकती है ?
किसी ना किसी रूप मेँ लड़की ही खुशी लाती है ।

लड़का और लड़की तो एक दूसरे के पूरक हैँ ।
फिर दुःखी क्योँ हो भाई ।

आभार संजय भाई ।

" सितारा कहूँ क्यूँ ? चाँद है तू मेरा..........गजल "

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ सदा जी..
@ रशिम प्रभा जी..
सही कहा आपने लडकियां हेर क्षेत्र में आगे , फिर भी दुःख ज्यों का त्यों
@ बजरंग जी..
@ क्षमा जी..
आप का बहुत बहुत आभार
@ ॐ कश्यप जी..
आप सबका ह्रदय से आभारी हूँ , आपने मुझे प्रोत्साहित किया ...यूँ ही अपना मार्गदर्शन देते रहना ताकि और भी प्रगति कर पाऊं ....आप सबका धन्यवाद

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ दिगम्बर नासवा जी..
बहुत बहुत आभार
@ संध्या जी..
आपका बहुत बहुत आभार
वो दिन दूर नहीं जब लड़कियों की संख्या इतनी कम हो जाएगी की लोगों को अपने बेटों की शादियों के लिए लड़कियां नहीं मिलेंगी और वही दिन होगा इस समस्या से निपटने का ठोस हल.
@ सोमेश सक्सेना जी..
बहुत बहुत आभार
@ अमित भाई
बहुत बहुत आभार
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

अजय कुमार झा ने कहा…

बहुत ही सार्थक और सशक्त संदेश । अच्छा होगा यदि समय रहते सभी इस बात को समझ लें और चेत जाएं । सरल और स्पष्ट रचना

Sushil Bakliwal ने कहा…

स्थिति इतनी भी विकट तो नहीं लगती संजय भाई । पहले की तुलना में मुझे तो परिस्थितियां तेजी से बदलती हुई भी दिख रही है ।

राज भाटिय़ा ने कहा…

लड़की होने पर दुनिया वाले क्यों मनाते है शोक
लड़की को बोझ क्यों समझते है लोग
अरे सॊ मे से एक होगा जो ऎसा करता होगा, वर्ना लडकिया ओर लडके सब बराबर ही हे, ओर ऎसा कम अकल लोग ही करते होंगे

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

अरे नादान लोगो , जरा समझ लो
न होगी लड़की तो समाप्त हो जायेगा जीवन
इसके जज्बात को न कोई समझा है
न कोई समझ सकेगा ..............!

अत्यंत सटीक, सामयिक और संदेश देती रचना, आज आवश्यकता है इस बात की.

रामराम.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

अरे नादान लोगो , जरा समझ लो
न होगी लड़की तो समाप्त हो जायेगा जीवन
इसके जज्बात को न कोई समझा है
न कोई समझ सकेगा ..............!

अत्यंत सटीक, सामयिक और संदेश देती रचना, आज आवश्यकता है इस बात की.

रामराम.

कविता रावत ने कहा…

अरे नादान लोगो , जरा समझ लो
न होगी लड़की तो समाप्त हो जायेगा जीवन
इसके जज्बात को न कोई समझा है
न कोई समझ सकेगा ..............!
....badalti parithityon mein aaj bhi ladkiyon kee vedana kuch kam nahi...saarthak prastuti ke liye aabhar

Arun sathi ने कहा…

बहुत खूब, शानदार। करारा व्यंग्य.

Girish Kumar Billore ने कहा…

संजय जी
दिन पे दिन निखार आ रहा है कविता में . जारी रहे

Kunwar Kusumesh ने कहा…

समाज को ज़रूरी दिशा देती बहुत बढ़िया रचना.

naresh singh ने कहा…

बहुत सुन्दर विचार युक्त कविता है | इसी प्रकार की एक कविता मैंने और भी कंही पढ़ी थी | याद नहीं आ रहा कहा पे पर उसकी पंक्तिया याद है | मेरे मन को हर्षाती बिटिया ,मेंरी थकान को हरती बिटिया |

रचना दीक्षित ने कहा…

अरे नादान लोगो , जरा समझ लो
न होगी लड़की तो समाप्त हो जायेगा जीवन
इसके जज्बात को न कोई समझा है
न कोई समझ सकेगा ..............!

बहुत सुंदर जज़्बात. सुंदर सन्देश देती बढ़िया प्रस्तुती. शायद सच्चाई अभी भी यही है.

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

यही आज का सच है । आज भी बेटियां बोझ ही मानी जाती हैं ।

बेनामी ने कहा…

ladikya aaj hal field me aage hai ,pr kuch logo ki mansika me abhi bhi badlav nhi hai

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

जो लड़कियों के लिये शोक मनायेंगे
वे अपने घर में लड़कों को क्या पैदा कर पायेंगे..

बेनामी ने कहा…

ladkia har shetra main aage badh rahi hain and kai jagah ladko se aage hain
aaj bhi kai jagah ladkio ka paida hona apshakun mana jata hain...
aur kabhi kabhi ye andhvishvas khud mahilaye palti hain
bahut acchi poem hain...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

उन्हें तो पूजना चाहिये था उस लड़की को जिसने उनके गर्भ में आकर उनको बेऔलाद और बाँझ जैसे उपालम्भों से बचा लिया!

Asha Lata Saxena ने कहा…

न जाने क्यूँ लोग कन्या जन्म पर दुखी होते हैं जब कि वे घर का एक अहम हिस्सा होती हैं |जिस घर में लडकियां नहीं होतीं वहाँ बहुत खालीपन लगता है |पर अब सोच बदल रहा है |लोग लड़का लड़की में अधिक अंतर नहीं करते |पर बदलाव आनें में समय तो लगना ही है |
बहुत अच्छे टॉपिक पर अच्छी रचना |
बधाई
आशा

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ अमित भाई
बिलकुल सही कहा आपने बहने जब चली जाती है घर में सूना पण च जाता है

@ वंदना गुप्ता जी..
बहुत आभार आपका

@ पि अस भाकुनी जी.
मेरे लिक्ये बहुत ही ख़ुशी कि बात होगी अगर रचना के माध्यम से समाज जागरूप हो

@ पी.सी.गोदियाल "परचेत" जी..
सही कहा आपने गोदियाल जी..

@ संगीता स्वरुप ( गीत ) जी..
आज भी समाज की ऐसी मानसिकता है जिस पर रोष होता है
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ संजय कुमार चौरसिया जी..
अफ़सोस कि यही हमारे इस समाज की मानसिकता है संजय जी..

@ अंतर सोहिल जी..
बहुत आभार आपका

@ डॉ अशोक पल्मिस्ट जी..
बहुत आभार आपका

@ अख़्तर खान 'अकेला' जी..
बिलकुल सही है अँधेरे का सूरज '

@ ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ जी..
बहुत आभार आपका
धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ पद्म सिंह जी..
सभी लड़कियों को चाहिए कि वो अपने लड़कों के लिए दहेज लेना बंद करें...
सभी लड़कियों को चाहिए कि अपनी बहुओं को अपनी बेटी जैसी मानें
सभी लड़कियों को चाहिए वो अपनी सास को माँ जैसा माने
सभी लड़कियों को चाहिए कि वो दूसरी लड़कियों के प्रति द्वेष न रखें और लड़के की चाहत मे लड़कियों को गर्भ मे न मारें
सभी बातें ध्यान देने योग्य है

@ सतीश सक्सेना जी..
बहुत बहुत आभार

@ डॉ अशोक जी..
दोबारा से धन्यवाद

@ संगीता पुरी जी..
बहुत आभार आपका

@ अजय कुमार झा जी..
बहुत आभार आपका
मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.

Bharat Bhushan ने कहा…

बहुत खूब लिखा है. पसंद आया. पुरुष कम हो गए तो उस स्थिति पर भी विचार कर लें. आपके सुधारात्मक विचारों की मैं कद्र करता हूँ.

ZEAL ने कहा…

संजय जी इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई ।

वाणी गीत ने कहा…

सार्थक सन्देश !

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सुंदर सार्थक सन्देश देती बेहतरीन रचना के लिए बधाई......

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

ब्लॉग लेखन को एक बर्ष पूर्ण, धन्यवाद देता हूँ समस्त ब्लोगर्स साथियों को ......>>> संजय कुमार

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

एक उत्तम पोस्ट ! इस अच्छी पोस्ट को आप फोरम पर भी पेश करें ।

एक आमंत्रण सबके लिए
क्या आप हिंदी ब्लागर्स फोरम इंटरनेशनल के सदस्य बनना पसंद फ़रमाएंगे ?
अगर हॉ तो अपनी email ID भेज दीजिए ।
eshvani@gmail.com
धन्यवाद !

Arvind Mishra ने कहा…

एक बड़ी सामाजिक विडम्बना की मार्मिक प्रस्तुति!

विशाल ने कहा…

संजय जी,बहुत ही सार्थक रचना है.
बेटी के बारे में ब्लॉग पर काफी लिखा जाता है.
इस से पता चलता है कि हमारी सोच धीरे धीरे बदल रही है.
इंशा अलाह,पूरी तरह से बदल जाएगी.
आमीन.
सलाम.

Minakshi Pant ने कहा…

लड़की होने पर दुनिया वाले क्यों मनाते है शोक
लड़की को बोझ क्यों समझते है लोग
हर काम में ये आगे है ये मर्दों से
कभी पीछे नहीं हटती अपने फर्जो से
इसके जन्म पर क्यों नहीं बांटता कोई भोग |

संजय सच कहे ये कविता दिल से लिखी है इस में दर्द का एहसास सा नज़र आ रहा है |
बहुत खुबसूरत रचना |

शिवा ने कहा…

यू तो हम समानता की बातें करते हैं
आज भी कुछ अज्ञानी लोग हैं जो लड़की को बोझ समझते हैं। बहुत गुस्सा आता है ऐसे लोगों पर।

निर्मला कपिला ने कहा…

सार्थक सन्देश देती रचना। बधाई।

Deepak Saini ने कहा…

सार्थक एवं सुन्दर संदेश देती हुई कविता

Deepak Saini ने कहा…

अफ़सोस कि यही हमारे इस समाज की मानसिकता

Rewa Tibrewal ने कहा…

bahut sahi likha hai apne....par na jane log kab samjhengay

बेनामी ने कहा…

बहुत बढ़िया!

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

bahutkhub Sanjay bhai...ek baar fir aapne chhakka mara..:D kidding:)

waise ye sach hai...ladki ki dastaan:)
par thori to isthithi badli hai..!

aur kuchh din baad dekhna...wo duniya dur nahi...jab mahilaon ka bolbala hoga.!

ek sarthak rachna

Anita ने कहा…

सार्थक संदेश देती रचना !

Arvind Jangid ने कहा…

आपकी रचना बहुत अच्छी लगी...आभार.

Rahul Singh ने कहा…

कौन समझे, कौन समझाए. काश समझाने की नौबत न आए.

rashmi ravija ने कहा…

बहुत ही सार्थक एवं सुन्‍दर संदेश देती,रचना

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

बहुत खुबसूरत रचना,बहुत -बहुत बधाई |

OM KASHYAP ने कहा…

आपने तो बहुत अच्छा लिखा.....

OM KASHYAP ने कहा…

guru ji

रविंद्र "रवी" ने कहा…

वाह .......बहुत ही सार्थक एवं सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

रविंद्र "रवी" ने कहा…

सही बात है, लेकिन इस दुनिया को कौन समझाये. बहुत बढिया!

रविंद्र "रवी" ने कहा…

हमरी तो एक ही औलाद है और हम गर्व से कहते है कि वो भी बेटी है.

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

shi kaha aapne , ladkiyan n rahi to jivn khan rah payeg
--- sahityasurbhi.blogspot.com

Manoj Kumar ने कहा…

बहुत ही सुन्दर, मनोरम. दिल को छूती मर्मस्पर्शी रचना...

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) ने कहा…

Sanjay ji, bahut sunder likha hai... apki shukurguzaar hoon ise likhne ke liye!

himani ने कहा…

JITNI DVA HO RAHI UTNA HI YE DARD BAHDTA JA RHA HAI
VAISE ACHCHI RONAK LAGI HAI APKE BLOG PAR MAIN HI KAFI DIN BAAD AA SAKI YAHAN

shikha varshney ने कहा…

पता नहीं कब सुधरेंगे लोग.
अच्छी प्रेरक रचना.

sumeet "satya" ने कहा…

behtareen........sandeshparakh kavita.........Badhai
बहुत ही सार्थक एवं सुन्‍दर संदेश देती,रचना

Rajesh Kumar 'Nachiketa' ने कहा…

ये मानसिकता बदले तो कुछ बात बने.....खैर हमारे आपकी पीढी में ठीक होने की आस है....

OM KASHYAP ने कहा…

guru ji namaskar
aap ho vishesh rachnkaar

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ सुशील बाकलीवाल जी..
बहुत आभार आभार
@ राज भाटिय़ा जी..
हा जी सही कहा आपने
@ ताऊ रामपुरिया जी..
आज आवश्यकता है इस बात की
@ कविता रावत जी..
बहुत आभार आभार
@ अरूण साथी जी..
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ गिरीश मुकुल जी..
बहुत आभार आभार
@ कुंवर कुसुमेश जी..
बहुत आभार आभार
@ नरेश सिह राठौड़ जी..
बहुत आभार आभार
@ रचना दीक्षित जी..
बहुत आभार आभार
@ निवेदिता जी..
बहुत आभार आभार
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ अलोक मोहन जी..
बहुत आभार आभार
@ भारतीय नागरिक जी..
@ चिराग जी..
@ चला बिहारी ब्लॉगर बनने जी..
@ आशा जी..
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ भूषण जी..
@ दिव्या जी..
@ वाणी गीत जी..
@ मोनिका शर्मा जी..
@ संजय कुमार चौरसिया जी..
@ डॉ अनवर जमाल जी..
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बेटियाँ ही रिश्तों की धूरी हैं।

भावमयी कविता के लिए आभार

dinesh ने कहा…

बहुत खूब, यार वास्तव में काफी अच्छा लिखा है

Unknown ने कहा…

बहुत अच्छे विचार. वैसे अब हालात सुधर रहे हैं.

pragya ने कहा…

क्या लिखूँ...लड़की होना सचमुच कहीं अभिशाप तो नहीं...

Suman ने कहा…

sanjaya ji, kavita sunder hai..
par aajkal ladkiya har kshetr me aage hai.........

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

संजय जी,
सामयिक ,ज्वलंत और विचारणीय पोस्ट के लिए आप बधाई के पात्र हैं !

मेरे भाव ने कहा…

समाज की मानसिकता में थोडा बदलाव तो आया है पर पूर्वाग्रह अभी भी बना हुआ है. आप जैसे ब्लोगेर्स ही चेतना जगा सकते हैं. सुंदर विषय.

राजेश सिंह ने कहा…

''मैं न किसी पर बोझ बनूंगी , जग में ऊँचा नाम करूंगी
फिर देखूँगी कौन करेगा लड़की होने पर मातम''
शानदार संकल्‍प.

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

betiyan beton se kam nahi..
dishabodh karati prerak prastuti.

kavita verma ने कहा…

ladakiyon ka astitva bhi prakriti me bahut jaroori hai...ye bat ab to logo ko samajhni hogi...

Unknown ने कहा…

संजय जी...सार्थक एवं सुन्‍दर संदेश देती,रचना

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सबको यह समझना होगा।

केवल राम ने कहा…

भावमयी कविता प्रेरक प्रस्तुति , आपका अन्दाज काफी प्रेरक है ....सार्थक कविता

केवल राम ने कहा…

भावमयी कविता प्रेरक प्रस्तुति , आपका अन्दाज काफी प्रेरक है ....सार्थक कविता

केवल राम ने कहा…

भावमयी कविता प्रेरक प्रस्तुति , आपका अन्दाज काफी प्रेरक है ....सार्थक कविता

amit kumar srivastava ने कहा…

may god this basic sense of equality prevail upon every one.....

PRIYANKA RATHORE ने कहा…

bhut acche bhav hai kavita mei...bdhayi...

Sunil Kumar ने कहा…

बढ़िया भावनाओं के लिए शुभकामनायें !

Unknown ने कहा…

कर्म खुदा का उनके आँगन में खिली एक कली
मायूस होकर बोले कि हुई है एक लड़की
मैंने कहा अंकल कुछ खिला पिला तो जाते
कहने लगे लड़का होता तो जरूर खिलाते |


भावमयी कविता के लिए आभार

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

भाई भास्कर जी बहुत ही बेहतरीन कविता के लिए आपको बधाई |

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

भाई भास्कर जी बहुत ही बेहतरीन कविता के लिए आपको बधाई |

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

भाई भास्कर जी बहुत ही बेहतरीन कविता के लिए आपको बधाई |

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

भाई भास्कर जी बहुत ही बेहतरीन कविता के लिए आपको बधाई |

Kunwar Kusumesh ने कहा…

सन २०११ कमेन्ट १११ में मेरी तरफ से आपको बधाइयाँ ११११.
जीवन में ऐसे ही कामयाबी मिलती रहे आपको.
wonderful achievement.
you are a very very successful blogger.

priyankaabhilaashi ने कहा…

सुन्दर चित्रण..!! बहुत गहरी बात कही..!!

OM KASHYAP ने कहा…

114 शुभकामनायें आपको !!

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

कविता और कमेंट्स दोनों की बधाई आपको ......

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत ही सार्थक एवं सुन्‍दर संदेश देती यह प्रस्‍तुति|

संध्या शर्मा ने कहा…

कविता और कमेंट्स दोनों के लिए हार्दिक शुभकामनाये.........

अंजना ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति......

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

संजय जी ..... बेहतरीन और सार्थक रचना है।
समाज का ये कड़वा सच एक दिन बहुत भारी पड़ेगा।

इस रचना के लिए शुभकामनाएँ और बधाई।

अशोक सलूजा ने कहा…

...लिखते जाइये ...ओर ऐसे ही सार्थक सन्देश
बाटते चलें |
बहुत सारे प्यार के साथ ...
खुश और सेहतमंद रहें |
अंकल अशोक"अकेला"

smshindi By Sonu ने कहा…

बिल्कुल सत्य लिखा है आपने। प्रस्तुति बढ़िया लगी।

Unknown ने कहा…

sunder kathan----

jai baba banaras----

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ अरविन्द मिश्र जी.
@ सेगेबोब जी..
@ मीनाक्षी Pant जी..
@ शिव कुमार जी..
@ निर्मला कपिला जी..
@ दीपक भाई
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ रेवा जी..
@ डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री जी..
@ मुकेश सिन्हा जी..
@ अनीता जी..
@ अरविन्द जंगीर जी..
@ राहुल सिंह जी..
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ रश्मी रविजा जी..
@ रवीन्द्र प्रभात जी..
@ ॐ कश्यप जी..
@ रविंदर रवि जी..
@ दिलबाग विर्क जी..
@ मनोज कुमार जी..
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ अंजना जी..
@ हिमानी जी..
@ शिखा वार्ष्णेय जी..
@ सुमित सत्य जी..
@ राजेश कुमार जी..
@ ॐ जी..
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ ललित शर्मा जी..
@ दिनेश जी..
@ मलखान सिंह जी..
@ प्रज्ञा जी..
@ सुमन जी..
@ ज्ञानचंद जी..
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.

मदन शर्मा ने कहा…

आज लड़कियों की दुखद स्थिति के लिए औरतें ही अधिक दोषी हैं.
आज भी वे समाज के सड़े गले रीती रिवाजों से चिपकी हुई हैं.
चाहे उन्हें जितना भी समझायिए! एक उम्र तक तो उन्हें समझ आता है
किन्तु जहां सास बनी वहीँ सारी प्रगतिशीलता ख़त्म
सोचने को मजबूर करती है आपकी यह रचना !बधाई इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये

Harshita Joshi ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण रचना ,हम तो बस इस इंतजार में है की कब वो दिन आये जब लड़का और लडकी एक समान हो जाये. अगर समय हो तो ये दो मेरी बातें भी अवश्य पढ़ें
http://wwwharshitajoshi.blogspot.com/2011/02/blog-post_08.html
http://wwwharshitajoshi.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
धन्यवाद

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

समाज के चेहरे पर चढ़े मुखौटे को उतारने का प्रयास करती यह कविता एक सीख भी दे रही है।

palash ने कहा…

संजय जी बहुत देर से आई आपके ब्लाह पर , क्य करे इम्तेहान चल रहे थे ।
बहुत अच्छी रचना लिखी आपने
काश हर कोई समझ पाता क्या होती लडकी ?????

Dr Varsha Singh ने कहा…

इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये....बधाई

ज्योति सिंह ने कहा…

bahut hi sundar rachna
अरे नादान लोगो , जरा समझ लो
न होगी लड़की तो समाप्त हो जायेगा जीवन
इसके जज्बात को न कोई समझा है
न कोई समझ सकेगा ..............!
**************************

Unknown ने कहा…

I think it is more to with our social structure thn Girl or boy!!
Its more to do with a fear of old age whr usually a boy supports that parent. Given gals have to leave the parent and go!!!

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

Good social issue raised.

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

संजय जी,
सार्थक एवं सुन्दर कविता

Shalini kaushik ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.aaj के युग में भी लड़कियों को प्यार के लिए तरसना पड़ता है क्योंकि आप जैसी समझ कर किसी में नहीं...

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

देर से आने की माफ़ी ! शादी में गई थी |

बहुत खूब सूरत कविता लिखते हो आप--दूर की कोडी लाए हो संजय जी --

"ओंस की एक बूंद-सी होती हे बेटियां
स्पर्श खुरदरा हो तो रोती हे बेटियां
रोशन करेगा एक ही कुल को बेटा
दो -दो कुल की लाज ढोती हे बेटियाँ |"

Vijuy Ronjan ने कहा…

NARI TUM KEWAL SHRADDHA HO....
Bin nari kuchh bhi sambhav nahin...
Purush pradhan samaj ki sabse bari vidambana yahi hai ki jahan Putri ke janm se dukhi hote hain wahin Mahilaon ko dekh apne oachhepan pe bhi utar aate...Sanjay tumhari soch bahut wajib aur samayanukool hai.par durbhagya yah ki putriyon ki halaat ke liye jahan Purush varg doshi hai, wahin kuchh had tak mahilayeen bhi...Unhe larna hoga purushochit mansikta se.

Unknown ने कहा…

अरे नादान लोगो , जरा समझ लो
न होगी लड़की तो समाप्त हो जायेगा जीवन
इसके जज्बात को न कोई समझा है
न कोई समझ सकेगा ..............!
excellent sanjay ji! keep up it...

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

kahan ho sarkar aajkal...:)

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

sanjay ji
sabki aankhe kholne ke liye shayad isse behatar rachna nahi padhi ab tak
aaj jamana chahe jitna aage nikal gaya hai par hamare samaaj me ab bhi kahi -kahinladki ka paida hona hi ashubh mana jaata hai .
chahe aaj ladki aakash par apne vijay ki parakashtha ko chhu rahi hai aur har xhetra me apna parcham lahra rahi
hai.par fir bhi bahut se rudhivaadi log is baat ko nahi samjhte.
itni sundar prastuti ke liye aapko hardik badhai------
poonam

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है आपने, बधाई!

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

आज मंगलवार 8 मार्च 2011 के
महत्वपूर्ण दिन "अन्त रार्ष्ट्रीय महिला दिवस" के मोके पर देश व दुनिया की समस्त महिला ब्लोगर्स को "सुगना फाऊंडेशन जोधपुर "और "आज का आगरा" की ओर हार्दिक शुभकामनाएँ.. आपका आपना

Asha Joglekar ने कहा…

सच में क्यूं नही समझते लोग कि स्त्री ही है उनके (हम सब के ) अस्तित्व का कारण ।

Ajit Pal Singh Daia ने कहा…

वाह .......बहुत ही सार्थक एवं सुन्‍दर संदेश देती यह प्रस्‍तुति ।

Urmi ने कहा…

मैं ज़रूरी काम में व्यस्त थी इसलिए पिछले कुछ महीनों से ब्लॉग पर नियमित रूप से नहीं आ सकी!
सुन्दर सन्देश देती हुई उम्दा प्रस्तुती! बेहतरीन पोस्ट!

संतोष पाण्डेय ने कहा…

बहुत अच्छे विचार.

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

संजय भास्कर जी,
150 वीं टिप्पणी की बधाई...
आपकी कविता सचमुच बहुत बेहतरीन है...

Udan Tashtari ने कहा…

दिल को छू गई प्रस्तुति!!

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक ने कहा…

शकुन्तला प्रेस कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड देखे.......http://shakuntalapress.blogspot.com/2011/03/blog-post_14.html क्यों मैं "सिरफिरा" था, "सिरफिरा" हूँ और "सिरफिरा" रहूँगा! देखे.......... http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/03/blog-post_14.html

आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-अगर आपको समय मिले तो कृपया करके मेरे (http://sirfiraa.blogspot.com , http://rksirfiraa.blogspot.com , http://shakuntalapress.blogspot.com , http://mubarakbad.blogspot.com , http://aapkomubarakho.blogspot.com , http://aap-ki-shayari.blogspot.com , http://sachchadost.blogspot.com, http://sach-ka-saamana.blogspot.com , http://corruption-fighters.blogspot.com ) ब्लोगों का भी अवलोकन करें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं # निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461

बेनामी ने कहा…

in first half you shows good writing skill...there is chance of improvement in second half ..

over all good message..keep it up dear

www.kavyalok.com

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ मेरे भाव जी
@ राजेश सिंह जी..
@ सुरेन्द्र सिंह जी..
@ कविता जी..
@ प्रीती जी..
@ प्रवीण पाण्डेय जी..
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ केवल राम जी..
@ अमित -निवेदिता जी..
@ प्रियंका राठौर जी..
@ सुनील कुमार जी..
@ कुश्वंश जी..
@ जयकृष्ण राय तुषार जी..
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ कुंवर कुसुमेश जी..
@ प्रियांकाभिलाशी जी..
@ ॐ कश्यप जी..
@ हरकीरत ' हीर' जी..
@ Patali-The-Village JI..
@ संध्या जी..
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ अंजना जी..
@ विरेन्द्र सिंह चौहान जी..
@ अशोक"अकेला" जी..
@ पूर्वीय जी..
@ सोनू जी..
@ मदंशार्मा जी..
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ उदगार हर्षिता जी..
@ महेंदर वर्मा जी..
@ अपर्णा त्रिपाठी जी..
@ Dr वर्षा सिंह जी..
@ ज्योति सिंह जी..
@ राहुल जी..
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ आशीष जी..
@ सवाई राजपुरोहित जी..
@ शालिनी कौशिक जी..
@ दर्शन कौर जी..
@ विजुय रोंजन जी..
@ मृदुला प्रधान जी..
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

Khare A ने कहा…

ye to bahi bvat ho gayi ki kai dino ke bhuke ko jab roti di to usne kaha ki, chupdi hui nhi he, maja nhi aaya!

sharam ki bat he!

aaj ke din bhi aise khayalat wale log hain!

Urmi ने कहा…

आपकी टिपण्णी और उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
आपके नए पोस्ट का इंतज़ार रहेगा!

G.N.SHAW ने कहा…

जबरदस्त ...जरुर पढ़े...पत्नी का अपहरण..

***Punam*** ने कहा…

एक पडोसी थे मेरे, न थी उनके कोई औलाद
हाथ जोड़कर ईश्वर से करते थे वो फ़रियाद
कर्म खुदा का उनके आँगन में खिली एक कली
मायूस होकर बोले कि हुई है एक लड़की
मैंने कहा अंकल कुछ खिला पिला तो जाते
कहने लगे लड़का होता तो जरूर खिलाते |

सही कहा आपने...
आज भी समाज में कुछ ऐसी ही स्थिति है...
उन अंकल से पूछिए कि उनकी माँ न होती तो..
इस संसार में वो कहाँ से आते...!!

pooja ने कहा…

bahut sunder and aachi baat kahi apne.........

एक पडोसी थे मेरे, न थी उनके कोई औलाद
हाथ जोड़कर ईश्वर से करते थे वो फ़रियाद
कर्म खुदा का उनके आँगन में खिली एक कली
मायूस होकर बोले कि हुई है एक लड़की
मैंने कहा अंकल कुछ खिला पिला तो जाते
कहने लगे लड़का होता तो जरूर खिलाते |

ye panktiya dil ko chune wali haa.........

Rakesh Kumar ने कहा…

संजय जी आप वास्तव में 'भास्कर' हैं .कितनी ख़ूबसूरती से प्रकाशित किया है आपने कन्या की पीड़ा को .
आप मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा' पर आये इसके लिए आभारी हूँ आपका.कृपया मार्ग दर्शन करते रहिएगा .होली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ तृप्ति जी..
@ मुकेश सिन्हा जी..
@ पूनम जी..
@ जेन्नी शबनम जी..
@ सवाई राजपुरोहित जी..
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ सवाई राजपुरोहित जी..
@ आशा जोगलेकर जी..
@ अजित पाल सिंह
@ संतोष पाण्डेय जी..
@ बबली जी..
मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ डॉ शरद सिंह जी..
@ समीर लाल जी..
@ रमेश कुमार जी..
@ आनंद जी..
@ अलोक खरे जी..
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !

विशाल ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
rajesh singh kshatri ने कहा…

आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक ने कहा…

दोस्तों! अच्छा मत मानो कल होली है.आप सभी पाठकों/ब्लागरों को रंगों की फुहार, रंगों का त्यौहार ! भाईचारे का प्रतीक होली की शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन परिवार की ओर से हार्दिक शुभमानाओं के साथ ही बहुत-बहुत बधाई!



आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-अगर आपको समय मिले तो कृपया करके मेरे (http://sirfiraa.blogspot.com , http://rksirfiraa.blogspot.com , http://shakuntalapress.blogspot.com , http://mubarakbad.blogspot.com , http://aapkomubarakho.blogspot.com , http://aap-ki-shayari.blogspot.com , http://sachchadost.blogspot.com, http://sach-ka-saamana.blogspot.com , http://corruption-fighters.blogspot.com ) ब्लोगों का भी अवलोकन करें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं

kshama ने कहा…

Kahan gayab hain janab itne dinon se?
Holee kee dheron shubhkamnayen!
Mera sim card erase ho gaya hai. pls apna cell # dobara de dena!

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) ने कहा…

bahut dino bad aa rahi hun aapke blog me . aur ek bahut hi maarmik kavita padhne ko mili. achchi lagi aapki yah bhawna.

Asha Lata Saxena ने कहा…

होली के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएँ |
आशा

सदा ने कहा…

होली के शुभ अवसर पर आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं ।।

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
आइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।

Amit Sharma ने कहा…

आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं । ठाकुरजी श्रीराधामुकुंदबिहारी आप सभी के जीवन में अपनी कृपा का रंग हमेशा बरसाते रहें।

पी.एस .भाकुनी ने कहा…

होली पर मैं आपको तथा परिवार के लिए मंगल कामनाएं करता हूँ !

संध्या शर्मा ने कहा…

रंगपर्व होली पर आपको व आपके परिवार को असीम शुभकामनायें......

ज्योति सिंह ने कहा…

holi ki dhero badhai aapko .

Coral ने कहा…

मैं न किसी पर बोझ बनूंगी , जग में ऊँचा नाम करूंगी
फिर देखूँगी कौन करेगा लड़की होने पर मातम |

क्या बात है बहुत ही सुन्दर


होली की हार्दिक शुभकामनायें।
http://rimjhim2010.blogspot.com/2011/03/blog-post_19.html

Deepak Saini ने कहा…

होली की शुभकामनायें।

कविता रावत ने कहा…

आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं

Dr Xitija Singh ने कहा…

आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आपको और समस्त परिवार को होली की हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ ....

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

रंग-पर्व पर हार्दिक बधाई.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

आपको होली की शुभकामनायें !
रचना अच्छी और संदेशवाहक है !

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

रंग के त्यौहार में
सभी रंगों की हो भरमार
ढेर सारी खुशियों से भरा हो आपका संसार
यही दुआ है हमारी भगवान से हर बार।

आपको और आपके परिवार को होली की खुब सारी शुभकामनाये इसी दुआ के साथ आपके व आपके परिवार के साथ सभी के लिए सुखदायक, मंगलकारी व आन्नददायक हो। आपकी सारी इच्छाएं पूर्ण हो व सपनों को साकार करें। आप जिस भी क्षेत्र में कदम बढ़ाएं, सफलता आपके कदम चूम......

होली की खुब सारी शुभकामनाये........

सुगना फाऊंडेशन-मेघ्लासिया जोधपुर,"एक्टिवे लाइफ"और"आज का आगरा" बलोग की ओर से होली की खुब सारी हार्दिक शुभकामनाएँ..

smshindi By Sonu ने कहा…

आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।

smshindi By Sonu ने कहा…

आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।

smshindi By Sonu ने कहा…

आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ बबली जी..
@ G.N SHAW जी..
@ पूनम जी..
@ POOJA जी..
@ RAKESH KUMAR जी..
@ SAGEBOB जी..
@ MUSKAN जी..
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ रमेश कुमार जैन जी..
@ क्षमां जी..
@ वन्दना महतो जी..
@ आशा जी..
@ सदा जी..
@ यशवंत माथुर जी..
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ रवीन्द्र प्रभात जी..
@ जाकिर अली रजनीश जी..
@ अमित शर्मा जी..
@ पी.एस .भाकुनी जी..
@ संध्या जी..
@ ज्योति सिंह जी..
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ दीपक सिनी जी..
@ करोल जी..
@ कविता रावत जी..
@ क्षितिजा जी..
@ दिगम्बर नासवा जी..
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !

विभूति" ने कहा…

hamne apki post ladki ki dastan padi..such yahi hai ladki dastaan..bhut sahi aur such likha h apne..

संजय भास्‍कर ने कहा…

@ वन्दना जी
@ सोनू भाई
@ सवाई सिंह जी..
@ इन्द्रनील जी..
@ सुषमा आहुति जी..
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.

Unknown ने कहा…

यही आज का सच है । आज भी बेटियां बोझ ही मानी जाती हैं
संजय जी ..... बेहतरीन और सार्थक रचना है।

मंजुला ने कहा…

achhi rachna ...

Unknown ने कहा…

अफ़सोस कि यही हमारे इस समाज की मानसिकता !

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