सबकी खबर रखिए |
कोई रखे न रखे ,
आप जरूर रखिए |
इस दौर में
वफा कि बातें ,
यक़ीनन सिरफिरा है कोई ,
उस पर नजर रखिए |
चेहरों को पढने का हुनर ,
खूब दुनिया को आता है |
राज कोई भी हो ,
दिल में छुपा कर रखिए |
नजदीकी दोस्तों कि भी
नहीं है इतनी अच्छी ,
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए |
..........संजय कुमार भास्कर
92 टिप्पणियां:
matlabi duniya ko darshati ek sachi rachna
इस दौर में
वफा कि बातें ,
यक़ीनन सिरफिरा है कोई ........बहुत बढ़िया कहा है |
नजदीकी दोस्तों कि भी
नहीं है इतनी अच्छी ,
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए....
mai aapki baat se sahmat hoon..ek faasla to hona hi chahiye...haadson ke shahar me...nice one..
नजदीकी दोस्तों कि भी
नहीं है इतनी अच्छी ,
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए
इसका नुकसान मैंने अभी अभी उठाया है. बहुत खूब
नजदीकी दोस्तों कि भी
नहीं है इतनी अच्छी ,
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए |
... bahut khoob ... daarshnik abhivyakti !!!
बहुत पते की बात कह रहे हैं आप संजय भाई..
जबरद्स्त बात कहदी आपने, सच में
प्रणाम
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए |
बहुत सही बात कही। सुन्दर अभिव्यक्ति।ाशीर्वाद।
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए...
हम तो यही मानते हैं...
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए |
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
Sunder abhivyakti ...............bahut khoob........
इस दौर में
वफा कि बातें ,
यक़ीनन सिरफिरा है कोई ,
उस पर नजर रखिए |
....vaah bhaaskar vaah....bahut acchhi soch...good.
नजदीकी दोस्तों कि भी
नहीं है इतनी अच्छी ,
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए
Bahut khoob....
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए
बहुत अच्छे
इस दौर में
वफा कि बातें ,
यक़ीनन सिरफिरा है कोई
तो हमारी गिनती भी सिरफिरो मे करलो
बेहतरीन कविता
बधाई
सोचने को मजबूर करती है आपकी यह रचना ! सादर !
बहुत खूब ....जिन्दगी का सार उतार कर रख दिया है आपने इन पंक्तियों में .....बधाई ।
bahut badhiyaa.
kuch yaad aa gayaa.
dilaaye yaad sabak dostee kaa,
peeth par zakhm hai badaa gehraa.
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए |
aptly said!
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (9/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
" चेहरों को पढ़ने का हुनर ------राज कोई भी हो दिल में छुपा कर रखिये "
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति |
बधाई
आशा
अच्छी समझाइश. ऐसा न करने पर कई बार फुल कान्टेक्ट कराटे की नौबत आने लगती है.
@ अलोकिता जी..
@ नरेश सिह राठौड़ जी..
@ मार्क रॉय जी..
आप सबका शुक्रिया जिन्होंने अपने बेशकीमती विचारों की टिप्पणियां दी
और मेरा हौसला बढाया
@ एस.एम.मासूम जी..
नुकसान बहुत है तभी तो कहा है बचकर रहे
@ उदय' जी..
@ अरुण चन्द्र रॉय जी..
@ अन्तर सोहिल जी..
@ निर्मला कपिला जी..
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद,
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
वाह बहुत खूब .. sanjay जी सच kaha ये shahar haadson का shahar है ...
हर hansee manzar से yaaron faansle kaayam rakho ....
ये gazal याद आ gayi आपकी रचना padh कर ..
कविता के माध्यम से आपने बहुत ही ख़ूबसूरत सन्देश दिया है :
नजदीकी दोस्तों कि भी
नहीं है इतनी अच्छी ,
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए |
बढिया
नजदीकी दोस्तों कि भी
नहीं है इतनी अच्छी ,
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए |
xxxxxxxxxxxxxxxx
संजय जी
आपने बिलकुल सही कहा है ...आज का दौर ही कुछ ऐसा है , जिसमें किसी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता ....आपकी पंक्तियाँ मेरे दिल के गहरे तक उतर गयी ...और भावुक कर गयी ......नसीहत देते भावो से सजी इस कविता के लिए आपका धन्यवाद .....शुभकामनायें
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति . . बहुत ही सही कहा आपने.
भाई, ब्लॉग का नाम बदल दो।
नाम आदत मुस्कुराने की और सामान गम्भीरता से भरा हुआ।
अजीब विरोधाभास है।
अच्छी कविता कही है. दिल को छू गई.
बशीर बद्र की याद आ गयी,
कोई हाथ भी न मिलायेगा,
जो गले मिलोगो तपाक से,
ये नये मिजाज का शहर है,
जरा फासले से मिला करो।
वाह भई... बिल्कुल नसीहतों को याद रखेंगे...
पर दोस्तों से नज़दीकी बढ़ाना चाहिए...
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए
बहुत सच कहा है..
अरे वाह संजय ! आज तो मज़ा बाँध दिया आपने ! शुभकामनायें !
5/10
आपकी रचना पढ़ते हुए तीन शेर याद आ गए.
यूँ लगा कि आपने उनको ध्यान में रखकर ही लिखे हैं. खैर आपका अपना अंदाज है .. अच्छा लगा.
अटल सत्य.
रामराम.
रिश्ता कोई भी हो , फासला बना कर रखिये ...
कभी -कभी बात सही लगती है !
अलग अंदाज़!!!!!!
नजदीकी दोस्तों कि भी
नहीं है इतनी अच्छी ,
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए |
चलिए आप से ही शुरुवात करते हैं दूरियां बनाने की हा..... हा..... हा.....
सच कहा, विश्वास करना आज के दौर में खुद को ही दुख देने का सामान इकठ्ठा करने जैसा है.
सुंदर कविता.
बेहतरीन भास्कर भाई...
@ फ़िरदौस ख़ान जी..
आज का दौर ही ऐसा है मानना ही चाहिए
@ वन्दना जी..
@ अमरेंदर अक्स जी..
@ अरविन्द जी..
@ डॉ॰ मोनिका शर्मा जी
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
@ दीपक भाई
तो हमारी गिनती भी सिरफिरो मे करलो
कर ली दीपक जी
@ सोनल रस्तोगी जी..
@ बजरंग जी..
@ सदा जी..
@ हर्ष वर्धन जी..
@ अनुपमा पाठक जी..
धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए
@ वन्दना जी..
मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत -बहुत आभार ..
नजदीकी दोस्तों कि भी
नहीं है इतनी अच्छी ,
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए
अरे वाह ,बड़ी परिपक्वता वाली बातें आजकल कर रहे हो ,क्या हो गया है आख़िर?
वैसे कविता अच्छी है,बधाई
अच्छा पाठ पढ़ाती एक बहतरीन रचना के लिए बधाई संजय जी।
-: VISIT MY BLOG :-
आपका भी मेरे ब्लोग पर स्वागत है
"एक चर्तुभुज बनाके छोड़ा मुझे..........कविता"
@ आशा माँ
आपका बहुत -बहुत आभार ..
@ राहुल सिंह जी..
@ दिगम्बर नासवा जी..
आपका बहुत -बहुत आभार ..
@ दीपक बाबा जी..
ख़ूबसूरत सन्देश दिया है
@ केवल राम जी..
सही कहा है ...आज का दौर ही कुछ ऐसा है
मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.
@ उपेन्द्र ' उपेन ' जी..
आपका बहुत -बहुत आभार ..
@ नीरज जाट जी
भाई नया नाम तो बता देते
@ भूषण जी..
आपका बहुत -बहुत आभार ..
@ प्रवीण पाण्डेय जी..
तो वो बात भी बता देते परवीन जी..
@ पूजा
दोस्तों से नज़दीकी ज्यादा नहीं बढ़ाना चाहिए...
मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.
बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद
laajwaab rachna .......
नजदीकी दोस्तों कि भी
नहीं है इतनी अच्छी ,
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए |
बहुत बढ़िया ..सटीक बात कही है ...
थोड़ी सी दूरी रखने से ही अपनापन वना रहता है।
मेरा नया बसेरा.......
भाई संजय जी हादसों का शहर का जीवंत चित्रण ने हालात दोस्त और दुश्मन की हकीकत की तरफ जो इशारा किया हे भुत खूब हे मुबारक हो . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति . . बहुत ही सही कहा आपने.
brilliant..Sanjay
keep writing......all the best
waah
नजदीकी दोस्तों कि भी
नहीं है इतनी अच्छी ,
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए
संजय जी.....अगर इज्ज़ाज़त दें तो इसी जमीन पर एक शेर कोट करूँ....जो मुझे बहुत पसंद है...
कोई हाँथ भी ना मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से,
ये नए मिजाज़ का शहर है,जरा फासले से मिला करो...
सुंदर रचना के लिए ...बधाई.
नजदीकी दोस्तों कि भी
नहीं है इतनी अच्छी ,
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए
संजय जी.....अगर इज्ज़ाज़त दें तो इसी जमीन पर एक शेर कोट करूँ....जो मुझे बहुत पसंद है...
कोई हाँथ भी ना मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से,
ये नए मिजाज़ का शहर है,जरा फासले से मिला करो...
सुंदर रचना के लिए ...बधाई.
चेहरों को पढने का हुनर
खूब दुनिया को आता है
राज कोई भी हो
दिल में छुपा कर रखिए........
बहुत ख़ूब...यही सबसे बड़ा राज़ है आज....
इस दौर में
वफा कि बातें ,
यक़ीनन सिरफिरा है कोई ,
उस पर नजर रखिए |
bohot khoob dost :)
सुन्दर रचना, सार्थक सन्देश, फिर भी मेरी एक कविता कि कुछ पंक्तियाँ कहने को जी कर रहा है
तमाम जिंदगी
हाथ जलाया है मैंने,
आज फिर बिना सोचे समझे,
हाथ बढ़ाया है मैंने.
आपका आत्मीय धन्यवाद.
रिश्ता कोई भी हो,
फासले बना कर रखिए ।
कविता के भाव बहुत उच्च स्तर के हैं।
...बधाई भास्कर जी।
बहुत सुन्दर लिखा आपने...बधाई.
______________
'पाखी की दुनिया' में छोटी बहना के साथ मस्ती और मेरी नई ड्रेस
बहुत सही बात कही। सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर
इस दौर में
वफा कि बातें ,
यक़ीनन सिरफिरा है कोई ,
उस पर नजर रखिए |
क्या बात है संजय जी, बहुत बढ़िया बात कही !
इस दौर में
वफा कि बातें ,
यक़ीनन सिरफिरा है कोई ,
उस पर नजर रखिए |
bahot khoob! saari kavita hi bahot achchi lagi!
Bilkul wafa ki batein sirfire karte hain magar aise sirfire kam hi hain to zyada khatra nahi h..
Aur haan fasla to behad zaruri h..space na de to dost aur rishtedaro me fark kya h :)
Short and sweet
सलाह अच्छी है और रचना भी अच्छी है...
जी फासले तो बना के ही रखना चाहिये. छोटी मगर सटीक बात कह दी आपने.
संजय आपका शुक्रिया करने आए हैं यहाँ .....आपको हमारा लेखन पसंद आया दिल से शुक्रिया.....साथ ही आपकी सिलसिलेवार टिप्पणियों ने हमें बहुत उत्साहित किया ......यक़ीनन मान ली आपकी बात रिश्ता कोई भी हो दूरी बना कर रखिए
@ कैलाश शर्मा जी..
@ सतीश सक्सेना जी..
@ उस्ताद जी
@ ताऊ रामपुरिया जी..
@ वाणी गीत जी..
@ रचना दीक्षित जी..
@ अनामिका जी..
@ SHAH NAWAZ जी..
आप सबका शुक्रिया जिन्होंने अपने
बेशकीमती विचारों की टिप्पणियां दी
और मेरा हौसला बढाया
@ डॉ अशोक जी..
@ कुंवर कुसुमेश जी..
@ राज भाटिया जी..
@ देवेश प्रताप जी..
@ संगीता स्वरुप जी..
@ मनोज कुमार जी..
@ शेखर भाई
आपका सभी का बहुत -बहुत आभार ..
मेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.
@ अख्तर खान जी..
@ प्रीती जी..
@ रशिम प्रभा जी..
@ देव जी..
कोई हाँथ भी ना मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से,
ये नए मिजाज़ का शहर है,जरा फासले से मिला करो...
शेर बहुत ही पसंद आया आपका
@ प्रज्ञा जी..
@ साँझ जी..
@ अरविन्द जांगिड जी..
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद,
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
@ महेंदर वर्मा जी..
@ अक्षिता पाखी
@ मेरे भाव
@ आमीन जी..
@ पी.सी.गोदियाल जी..
@ अंजना गुडिया जी..
@ मोनाली जी..
@ अमित शर्मा जी..
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद,
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
umda
bahut badiya
भाई अंतिम पंक्तियाँ कुछ सोचने पर विवश कर रही है...ऐसा क्या हो गया आपके साथ?
कुंवर जी,
Waah,,,,,
kya khoob kahte ho sanjay bhai...
bahut hi sundar shabd chayan hai apka....
sarthak aur sargarbhit bhi..
REALLY...//
IF WE FOLLOW THE TRUTH OF POETRY...
..WE WILL CATCH THE CULPRIT//
THANKS BROTHER//
very true write.............
kuch isi say judi mere blog par.....
Apang......
बहुत सुन्दर लिखा आपने
आभार
क्रिएटिव मंच के नए आयोजन
'सी.एम.ऑडियो क्विज़' में आपका स्वागत है.
यह आयोजन कल रविवार, 12 दिसंबर, प्रातः 10 बजे से शुरू हो रहा है .
आप का सहयोग हमारा उत्साह वर्धन करेगा.
धन्यवाद
दिल में छुपा कर रखिए |
नजदीकी दोस्तों कि भी
नहीं है इतनी अच्छी ,
रिश्ता कोई भी हो ,
फासले बना कर रखिए |
prerak panktiyan
रिश्ता हो या दोस्ती थोड़ी दूरी बनी रहे तो ही खूबसूरत लगता है.
''ज्यादा नजदीकियां दूरी का सबब बनती हैं.....
रिश्तों में,दोस्ती में फासले बना कर रखिये.....''
खूबसूरत ,बहुत खूबसूरत....
मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया......
बहुत खूब कही , आज के दौर मे मौसम की तरह बदल्ते लोगों के लिये अक्षरश सत्य ।
लोग जल जायेंगे आँखो की चमक से
अपनी खुशी पलकों मे छिपा के रखिये
Jab doodh se jalte hain to chhachh phoonknee padtee hai...isiliye fasale banake chalna aqalmandee hai!
Bahut sundar!
विचार बहुत खूबसूरत हैं.
--
पंख, आबिदा और खुदा के लिए
इस दौर में
वफा कि बातें ,
यक़ीनन सिरफिरा है कोई!
aur iskee to fir baat hi kyaa? waah! what u written! Gr8
@ संजय कुमार जी..
@ कुंवर जी..
@ अमित तिवारी जी..
@ बबन पाण्डेय जी..
@ रेवा जी..
@ क्रिएटिव मंच
@ सारस्वत श्रंखला जी..
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद,
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
@ पुनम जी..
@ अपर्णा जी..
मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया......
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद,
@>>>अमित सागर जी..
@>>>क्षमा जी..
आप का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद,
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
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