इश्क क्या होता है ,
समझते है हम चोट खाने के बाद ,
वो हंस कर सितम करती रही
हम हंस कर सितम सहते रहे
मेरी आँखों में झलकती है मेरी कहानी
जो छुपाये नहीं छुपती |
मौत आये तो गले लगा ले हम
जी कर क्या करे इश्क में चोट खाने के बाद
दर्द गमो का इलाज़ मिल भी जाये तो क्या
मरना चाहता है ' भास्कर ' अब लाइलाज |
संजय कुमार भास्कर
63 टिप्पणियां:
itni negativity
kyun
marna har mushkil ka ilaaj nhi
क्यों भाई इश्क में इतनी हताशा-निराशा क्यूं....
पिछली पोस्ट की उदासी यहाँ तक.इतनी उदासी भी ठीक नहीं
इश्क़ तो एक ख़ूबसूरत एहसास होता है ! निराशा का झलक क्यूँ दिख रहा है? अच्छी लगी कविता! तस्वीर भी बहुत सुन्दर है!
aaree nahi sanjay bhai....
isi ka naam to jeena hai...
mar mar ke jiye jaaye wahi to insaan hai....
अरे अरे अरे बेटा जरा ठहरो माँ से भी पूछ लो जिसके लिये तुम ही उसका संसार हो एक बेवफा के लिये मरना ? बुरी बात है। वैसे रचना अच्छी लगी। आशीर्वाद 100 साल से भी अधिक जीओ
मुझे आज तक यह इश्क समझ नहीं आया जो पलायन सिखाता हो ....
अपने भावों को बखूबी लिखा है .
मरना चाहता है ' भास्कर ' अब लाइलाज ...
बहुत खूब संजय जी ..... इश्क़ की हक़ीकत बयान कर दी भई आपने ....
ध्यान रक्खो ... ये तो हसीनाओं की अदाए हैं .... वो तो यही चाहती हैं ....
किसी को पा लेना ही इश्क नही होता और ना ही हताश होकर मरना इश्क है ,इश्क में तो कोई हमेशा के लिए किसी का हो जाता है...अब वो चाहे मिले या ना मिले....
मेरी आँखों में झलकती है मेरी कहानी
जो छुपाये नहीं छुपती
अच्छी पंक्तिया ........
इसे भी पढ़कर कुछ कहे :-
आपने भी कभी तो जीवन में बनाये होंगे नियम ??
Saahab..
AAPKAA ye khyaal khoobsurat hai, Behad Khoobsurat..
Lekin Mujhe issko padkar 2 sher yaad aa rahe haii ...
Ek Shaayad Gaalib sahaab ka hai, Doosra pataa nahi...
1. Marne ka tere gam mei iraada bhi nahi haii...
Haii ishq tujhse , itna jiyaada bhi nahi haii...
2. Jo naa chalte huye Ek baar bhi mudkar dekhe...
Aisi Magroor Tamannao kaa peechha naa karo..
Hope my message is clear...
Lekin baaki cheeze aapki behad Umdaa haii...
... ab kyaa kahen ... sher arj hai ....
तौबा कर लेते मोहब्बत से
गर तेरे इरादे भाँप जाते हम।
..................
'उदय' कहता है , जख्मों को छिपा कर रखना यारो
जो भी देखेगा, कुरेद के चला जाएगा !
... don't worry be happy !!!
इश्क़ की हक़ीकत बयान कर दी ...संजय जी आपने
अपने भावों को बखूबी लिखा है .
इतनी उदासी भी ठीक नहीं
रजनीश परिहार जी की टिप्पणी पढ़िये, निर्मला कपिला मैडम की टिप्पणी पढ़िये फ़िर सोचिये कि क्या वो इश्क था?
bahut badiya...
likhte rahiye
मरना चाहता है ' भास्कर ' अब लाइलाज ...
-ये तो बुलंदियाँ हो गई..इश्क की!
भास्कर जी,
जीवन जीने का नाम हैं. जिंदगी जीने के बहुत से तरीके होते हैं.
धोखा वो दे और सज़ा आप खुद को दे??, ये कहाँ का न्याय हैं???
आप खुश होइए कि--आपको समय रहते संभलने का मौक़ा मिल गया. नहीं तो बाद में हालत और भी बुरी हो सकती थी. बाद में आपको सदमा अब से भी गहरा लगता.
दुखी तो उसे होना चाहिए क्योंकि--उसने उसे खो दिया हैं, जो उसे सच्चे दिल से प्यार करता था.
आपने तो कुछ भी नहीं खोया हैं.
चलिए, अब खुश होइए और अगली पोस्ट खुश-नुमा, मस्ती भरी होनी चाहिए.
बहुत बढ़िया लिखा हैं आपने.
(वैसे मैं ये भी जानता हूँ कि-ये आपके दिल का हाल नहीं हैं, महज एक पोस्ट मात्र हैं.)
धन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
लो भई , आप भी मजनुओं की कतार में लग गए । क्यों ?
इतना मायूस जो हो गया वो इश्क की बुलंदियों तक कैसे पहुंचेगा....इश्क तो वैसे भी सब कुछ लुटा देने का नाम है...और इसी में सुकून भी.
इश्क .....एक पिक्चर होती है ...जिसमें ..आमिर खान और अजय देवगण अपनी सेटिंग करते हैं ...उस सेटिंग को काजोल सीरीयसली ले लेती है ...और ये बात अजय देवगण को भारी पड जाती है ...बाद में ..वी आर फ़ैमिली ..टाईप की पिक्चरें ही देखने को मिलती हैं .......देखा कित्ता सिंपल था ...उफ़्फ़ कोई भी नहीं समझा ...
I repeat.....
Nar ho na nirash karo man ko!
Ashish
संजय आत्महत्या पाप है ,कहीं पुलिस केस न बन जाए
ईश्वर आपको ऐसे इश्क से बचाए |और किसी को उदास ना कर जाए |कविता अच्छी लगी |बधाई
आशा
waah!!!!
MAST WALI BAAT HAI SANJAY BHAI....
kunwar ji,
sundar..............
बाप रे! इतना गहरा इश्क.......
भाई बिना इलाज क्यूं? हम हैं ना.:)
बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति.
रामराम.
क्या बात है जनाब ,सब खैरियत तो है ?? :)
नमस्कार,
जन्मदिन की शुभकामनायें हम तक प्रेम, स्नेह में लिपट पर पहुँचीं.
मित्रों की शुभकामनायें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देतीं हैं.
आभार
nice one...
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
काव्य के हेतु (कारण अथवा साधन), परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
इन चोटों का दर्द मिटा तो दें,
हम उनको हाल बता तो दें,
हज़म कर लेंगे दर्द की कराहें,
कोई झूठा ही मलहम लगा तो दे।
ye ishq nahi aasaan
Ab to samajh me aa hi gya hoga
हसीनाओं तो यही चाहती हैं .
......... शानदार प्रस्तुति
" गाड़ी का नाम न कर , बदनाम पटरी पे रखके सिर को। हिम्मत ना हार , कर इंतजार आ लौँट जाये घर को ।।" संजय जी बस इतने से इश्क से ही मायूस हो गये, अभी तो बहुत प्रकार के इश्क बचे हुए हैँ। इश्कोँ का लुत्फ जिन्दगी के अन्तिम पलोँ तक लीजिए फिर जानिये समझये कि इश्क होते क्या हैँ ? आपकी रचना बहुत खूबसूरत हैँ। बहुत ही बहतरीन भावो को सँजोया हैँ आपने अपनी कविता मेँ। आभार। -: VISIT MY BLOG :- ऐ-चाँद बता तू , तेरा हाल क्या हैँ।........... कविता को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकते हैँ।
भावपूर्ण है ....
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
अरे भई, इतनी नाउम्मीदी ठीक नहीं...
................
खूबसरत वादियों का जीव है ये....?
aisa iskq ka kya karna.........na hi karo aisa pyar bhai sahab!!
umda rachna..:)
Sanjay ji
aapki kawita ko sabne aapke jeewan ki hakikat samajh liya ab to sab ko bata dijiye ki kawita ko aapki jindgi se na jode
ashok jamnani
sanjay ji,
Hum sab blogger aapse ishq karte hai, itni negativity mat chodo hum sabke liye.
Last post mei bhi UDAASI thi, is baar bhi hai.
Negativity ko kick maaro yaar.
Hum nahi jante kiya baat hai, lekin jakhm gehra jaroor hai.
बहुत बढ़िया ! इश्क की इंतहा हो गयी यह तो ! इसके आगे कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं ! अति सुन्दर !
अरे संजय जी ....क्या बात है?
आजकल आप इश्क के बारे
काफ़ी कुछ लिख रहे हैं .
ज़रा संभल कर रहिएगा.
सभी लोगों ने बड़े अच्छे
सुझाब आपको दिए हैं .
उन पर अमल करते
रहिएगा.
वैसे लिखा तो बहुत ही अच्छा है .
अपनी भावनाओं को अच्छी तरह से
व्यक्त किया है .
Thanks to all of u...
Adarniya Mhanubhavo ye kvita manie pichle saptah me likhi thi us wakt main bahut hi bimar tha isi liye thodi si Negetive Soch ho gai thi ki shayad main thik ho paunga ya nahi….
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद,
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए
badhiya....
marne ki mat sochiye....kuch toh atitude rakhiye...kahiye meri zindagi hai,jitni bhi hai,jaise bhi jiyu,poori jikar jaunga.....
shubkamnayein
संजय जी कमाल की कविता लिखते है आप...
...बढ़िया
अबे मरने की बात करेगा तो बहुत मारूंगा. समझा कि नहीं.
इश्क करने से पहले जरा सोचिये,
क्या करेंगे जो वो गैर के हो लिये।
bhavnaon ki sundar abhivyakti..........badhiya kavita aur blog bhi.
sanjay jee,
take care and njoy
नाउम्मीदी बढ़ गयी है इस कदर
आरज़ू की आरज़ू होने लगी
इतनी मायूसी ठीक नहीं...सर को झटका दीजिए और मुस्कुराइए
नीरज
कमाल की शायरी है, पर इश्क के बारे में मैं तो यही कहूंगा
लगा ज्ञान से प्रेम बड़ा है
जीवन अब भी वहीं खड़ा है।
http://sudhirraghav.blogspot.com/
अरे छोडिये खाक डालिये उस पर जो आपका हो न सका,
ऐसे हुस्न पे क्या मरना जिसे इश्क ही समझ में आ न सका ।
जिंदगी बहुत कीमती है ।
संवेदनशील रचना....
अच्छी रचना के लिए कुछ दर्द भी होना चाहिए :) इस उर्जा को रचनात्मकता की और मोड़ दो, सृजन करते जाओ और हमेशा यह सोचो कि जो होता है अच्छा होता है भले के लिए ही होता है. पर आगे थोड़ा संभल कर रहना. शुभकामनायें
मरना चाहता है अब भास्कर लाइलाज..... वह बहुत खूब!!!!!!!!!!!! छोटी मगर बहुत ही सुन्दर रचना.... इश्क की हद को बेहद करती हुई रचना..... बहुत अच्छी है!
इतनी मायूसी ठीक नहीं.. मुस्कुराइए
aap ka blog bahit aacha ha or aap ka aap asha he likhata rahaya
thanks
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