सचिन तेंदुलकर को यूं ही महान नहीं कहा जाता। सचिन क्या किसी भी फिल्ड में जो भी महान कहलाता है, उसके पीछे उसकी तपस्या होती है। किसी शख्स का तप ही उसे महानता और परफेक्शन की तरफ ले जाता है। यदि क्रिकेट को धर्म कहा जाए तो सचिन उस धर्म के भगवान हैं। भगवान अपने कर्मों और तप से बने थे। जो भगवान बनकर दुनिया में अवतरित हुए उन्हें सृष्टि निर्माता की ओर से ऐसा करने का हुकम दिया गया था। भगवान आए और अपने कार्यों से वे सबके प्रिय बन गए। कष्टों में जी रहे लोगों को लगा कि अब उनकी रक्षा के लिए कोई तो है।
इसी संदर्भ में क्रिकेट का भगवान सचिन को कहा जाता है, क्योंकि सचिन की कामयाबी और यश के पीछे महान तप है। जब तेंदुलकर टीम में नहीं थे तो उनके कोच उन्हें अभ्यास कराते थे। जाहिर है कि यह बात तक की है, जब सचिन 16 साल से कम उम्र के थे। कोच सचिन के स्टंप्स पर एक रूपए का सिक्का रख देते थे। सचिन के बल्लेबाजी अभ्यास के दौरान जो भी बॉलर सचिन को आउट करता, उसे वह सिक्का मिलता। और यदि पूरे अभ्यास में सचिन नॉट आउट रहते तो सिक्का सचिन के नाम होता। सचिन के पास इस अभ्यास के 13 सिक्के हैं, जिन्हें उन्होंने सहेजकर रखा है। यह तपस्या का एक अंश हैं। सचिन ने 20 साल तक लगातार अपनी फिटनेस को सही साबित करते हुए टीम में अपनी जगह बनाई। आज के खिलाड़ी तो तीन-चार सालों में ही अनफिट हो जाते हैं। यह भी सचिन की तपस्या ही है। विनोद कांबली की तरह कामयाबी पाने के बाद पब-क्लब और डांस पार्टियों का हिस्सा नहीं बने। इसलिए ही वे आज तक लगातार खेल रहे हैं।
दुनिया में ऐसा कोई महान गेंदबाज नहीं, जो सचिन के कोप से बच सका हो। साउथ अफ्रीका के गेंदबाज एलन डोनाल्ड ने कहा था- दुनिया के महान बल्लेबाजों में स्टीव वॉ, ब्रायन लारा बहुत उपर हैं, लेकिन सचिन तेंदुलकर का कद इन दोनों से कुछ उपर है। मुझे याद है जब हम 1991 में भारत आए थे तो क्रेग मेक्डरेमोट ने मुझे कहा था कि मैं उस बल्लेबाज से सावधान रहूं, जो एक महान खिलाड़ी बनने की ओर अग्रसर है। वह सचिन के बारे में बात कर रहे थे। कलकत्ता के मैच में सचिन ने 62 रन बनाए तो मुझे आभास हो गया कि यह वाकई महान खिलाड़ी है। एक साधारण बल्लेबाज को गेंदबाजी करने के लिए आपको अपने रनअप के अलावा लाइन लेंथ को हर बॉल पर ध्यान में रखना होता है, लेकिन सचिन के सामने आने के लिए रनअप और लाइन लेंथ के अलावा एक सप्ताह पहले से ही मुझे प्लानिंग करनी पड़ती थी।
जब हम हैंसी क्रोनिए की कप्तानी में खेल रहे थे तो हमारी पूरी टीम ने सचिन की कमजोरी पकड़ने के लिए बहुत काम किया। हमने उसे पैड पर गुड लेंथ बॉल डालकर आउट करने की कोशिश की, हमने शार्ट बॉल डालकर उसे परेशान करना चाहा, लेकिन वह लगातार रन बनाता रहा। मैंने आज तक जितने भी बल्लेबाजों के सामने बॉलिंग की है, सचिन सबसे महान हैं। वह 35 साल से अधिक हो चुका है पर अब भी युवा है। वह एक बेहतरीन इंसान है। क्रिकेट उसका प्यार है, इसलिए वह विश्व में सबसे बेहतरीन है।
इसी संदर्भ में क्रिकेट का भगवान सचिन को कहा जाता है, क्योंकि सचिन की कामयाबी और यश के पीछे महान तप है। जब तेंदुलकर टीम में नहीं थे तो उनके कोच उन्हें अभ्यास कराते थे। जाहिर है कि यह बात तक की है, जब सचिन 16 साल से कम उम्र के थे। कोच सचिन के स्टंप्स पर एक रूपए का सिक्का रख देते थे। सचिन के बल्लेबाजी अभ्यास के दौरान जो भी बॉलर सचिन को आउट करता, उसे वह सिक्का मिलता। और यदि पूरे अभ्यास में सचिन नॉट आउट रहते तो सिक्का सचिन के नाम होता। सचिन के पास इस अभ्यास के 13 सिक्के हैं, जिन्हें उन्होंने सहेजकर रखा है। यह तपस्या का एक अंश हैं। सचिन ने 20 साल तक लगातार अपनी फिटनेस को सही साबित करते हुए टीम में अपनी जगह बनाई। आज के खिलाड़ी तो तीन-चार सालों में ही अनफिट हो जाते हैं। यह भी सचिन की तपस्या ही है। विनोद कांबली की तरह कामयाबी पाने के बाद पब-क्लब और डांस पार्टियों का हिस्सा नहीं बने। इसलिए ही वे आज तक लगातार खेल रहे हैं।
दुनिया में ऐसा कोई महान गेंदबाज नहीं, जो सचिन के कोप से बच सका हो। साउथ अफ्रीका के गेंदबाज एलन डोनाल्ड ने कहा था- दुनिया के महान बल्लेबाजों में स्टीव वॉ, ब्रायन लारा बहुत उपर हैं, लेकिन सचिन तेंदुलकर का कद इन दोनों से कुछ उपर है। मुझे याद है जब हम 1991 में भारत आए थे तो क्रेग मेक्डरेमोट ने मुझे कहा था कि मैं उस बल्लेबाज से सावधान रहूं, जो एक महान खिलाड़ी बनने की ओर अग्रसर है। वह सचिन के बारे में बात कर रहे थे। कलकत्ता के मैच में सचिन ने 62 रन बनाए तो मुझे आभास हो गया कि यह वाकई महान खिलाड़ी है। एक साधारण बल्लेबाज को गेंदबाजी करने के लिए आपको अपने रनअप के अलावा लाइन लेंथ को हर बॉल पर ध्यान में रखना होता है, लेकिन सचिन के सामने आने के लिए रनअप और लाइन लेंथ के अलावा एक सप्ताह पहले से ही मुझे प्लानिंग करनी पड़ती थी।
जब हम हैंसी क्रोनिए की कप्तानी में खेल रहे थे तो हमारी पूरी टीम ने सचिन की कमजोरी पकड़ने के लिए बहुत काम किया। हमने उसे पैड पर गुड लेंथ बॉल डालकर आउट करने की कोशिश की, हमने शार्ट बॉल डालकर उसे परेशान करना चाहा, लेकिन वह लगातार रन बनाता रहा। मैंने आज तक जितने भी बल्लेबाजों के सामने बॉलिंग की है, सचिन सबसे महान हैं। वह 35 साल से अधिक हो चुका है पर अब भी युवा है। वह एक बेहतरीन इंसान है। क्रिकेट उसका प्यार है, इसलिए वह विश्व में सबसे बेहतरीन है।
41 टिप्पणियां:
शोभनम्
उत्तम: लेख:
वस्तुत: सचिन: क्रिकेट जगत: ईश्वर: अस्ति ।
ब्लाग जगत पर संस्कृत प्रशिक्षण की कक्ष्या में आपका स्वागत है ।
http://sanskrit-jeevan.blogspot.com/ पर क्लिक करके कक्ष्या में भाग ग्रहण करें ।
उसके पीछे उसकी तपस्या होती है। किसी शख्स का तप ही उसे महानता और परफेक्शन की तरफ ले जाता है। यदि क्रिकेट को धर्म कहा जाए तो सचिन उस धर्म के भगवान हैं।
उसके पीछे उसकी तपस्या होती है। किसी शख्स का तप ही उसे महानता और परफेक्शन की तरफ ले जाता है। यदि क्रिकेट को धर्म कहा जाए तो सचिन उस धर्म के भगवान हैं।
इसलिए वह विश्व में सबसे बेहतरीन है।
Chir samgharsh ke badolat hi aaj sachin es mukam par hai jahan har bhartiya ko us par naaz hai..
Saarthak prastuti ke liye aabhar
Koyi bhi insaan bina sadhana ya tapsya ke in unchayiyon pe nahi pahunch sakta jahan Sachin ya Lata ji jaise sadhak hain.
सचिनवह एक बेहतरीन इंसान है। क्रिकेट उसका प्यार है, इसलिए वह विश्व में सबसे बेहतरीन है।
क्रिकेट का भगवान सचिन को कहा जाता है, क्योंकि सचिन की कामयाबी और यश के पीछे महान तप है।
Satyaaa........
सचिन सही में है महान...
तभी तो मिल रहा उसे इतना सन्मान!
क्रिकेट कि परिभाषा है ...सचिन
बहुत अच्छा लिखते हैं आप ,आपकी सभी बातों से पूर्णतया सहमत हूँ
किसी शख्स का तप ही उसे महानता और परफेक्शन की तरफ ले जाता है।
बेशक सचिन आज के युवाओं के लिए एक आदर्श हैं । ३७ साल की उम्र में भी कह रहे हैं कि अभी तो मैं ज़वान हूँ ।
यही ज़ज्बा यदि बाकि क्रिकेटर्स में भी रहे तो इंडिया नंबर वन पर बनी रहेगी ।
आपने बहुत अच्छी बात लिखी हैं.
हालांकि, मैं क्रिकेट और क्रिकेटरों के बारे में कुछ नहीं जानता हूँ और इन सब को लेकर एकदम अनजान हूँ.
लेकिन, फिर भी भगवान् ना सही लेकिन क्रिकेट में बहुत बड़ी शक्सियत जरूर हैं.
धन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOOT.COM
bahut badhiya kaha aapne!
sach kahu to sachin bus sachin hai...nischaye rup se vo mahan hai...per sochne vali baat ye hai ki vo bhi hamaari aapki tarah hi inshaan hai...jab ek insaan itne bade bade kaam kar sakta hai aur fir bhi jeevan aur aacharan me itni saadgi...to kyo aaj insaan insaaniyat ka dusman bana baitha hai???kyo nai hum ek dusre ki maddad kar sakte hai??ek dusre ko sarah sakte hai??? kyo kisi ki uplabdhi kisi ko shool si chubhti hai??
aise kaye sawaal...mujhe jawaab nai chahiye...mujhe prayaas chahiye...
Anand
www.kavyalok.com
बहुत बढिया पोस्ट.
क्या सचिन भगवान हैं
पढ़ें-
कोल्हू का विरोध
http://sudhirraghav.blogspot.com/2010/07/blog-post_30.html
Dhanyawaad
Aanand Pandy @ Preti ji @ Kavita Ravat ji
Sachin mhaan bana
उसके पीछे उसकी तपस्या है।
sanjay
Kshama ji Apne bilkul sahi kaha hai..
Koyi bhi insaan bina sadhana ya tapsya ke in unchayiyon pe nahi pahunch sakta
Thanks
visit my blog
beshak......bahut sahi baat
यह तो महनत और सच्ची लगन का ही परिणाम है|अच्छी रचना |बधाई
आशा
निश्चय ही यह तपस्या का ही फल है।
सचिन इतना बढ़िया खेलता है कि उसका हर एक मैच देखने लायक होता है ! आज जिस मुकाम पे सचिन पहुंचा है वो सिर्फ़ उसकी कड़ी मेहनत और लगन का फल है! इस उम्दा पोस्ट के लिए बधाई!
ये युगों की तपस्या का फल है।
bahut badhiyaa !
सही बात है. सचिन खेल को तपस्या के कम नहीं लेते.
सचिन और क्रिकेट एक दूसरे के पर्याय हैं ...सटीक लेख
Bilkul bhai-bhaskar...
bin tapasya ke to sona bhi khara nahi hota!
achhci parastuti ke liye dhanybad!
www.ravirajbhar.blogspot.com
AAmeen ji.. I appreciate your feelings. your post is also very good.
NO DOUBT SACHIN TENDULKER IS THE GREATEST CRICKETER EVER BORN ON EARTH. At least I believe in this and many others too.
I'm not saying this because someone forced me or any baazarbaad influenced me to say this. I'm saying this because I felt this. I saw this.
I'm not also a CHAARANBHATT. AS few critics might say this.
I have no problem with those who thinks otherwise.
Few people say that Sachin never try to stop people calling him 'GOD'.This is absolutely wrong.
Sachin said this on many occasions that he is also a human being and nothing else.
If one doesn't like Sachin..It's O.k. but one should not try to utter baseless thing about Sachin.
And Of course I feel bad when someone says that Sachin likes to be called God or Sachin doesn't try to stop the people from calling him GOD.
AAmeen ji, I have never seen any person as modest and soft spoken as Sachin Tendulker. Sachin never wants that people should call him God. If people still continue to call him God, What Sachin can do.
Sachin always played for his country..No Doubt. He controlled his natural aggressive style of playing for the sake of country.
What more one can do.
By the way nice post.
आपने जिस भगवान को अनलकी कहा है, वह वाकई अनलकी है। यह कलयुग है और भगवान को साक्षात पाकर भी लोग उससे सबूत मांगते हैं। सबूत मिल भी जाए तो उसे कथित साईंस की थ्योरी पर परखकर किसी न किसी नई थ्योरी का नाम दे देते हैं। यह कलयुग के मानव का स्वभाव है। यदि लक सचिन के साथ होता तो आप भी उसे भगवान ही मानते। आपको बता दूं, जितना कि मैंने सुना है, भगवान जब तक जहां रहते हैं, संकट नहीं रहता। उनके किसी जगह से चले जाने के बाद ही संकट शुरू होता है। यह बात सचिन तेंदुलकर के बारे में भी सही लागू होती है। जब तक सचिन विकेट पर रहते हैं, उम्मीदें कायम रहती हैं। जब वे आउट हो जाते हैं तो उम्मीदें भी खत्म होने लगती हैं। अब तो कुछ अच्छे खिलाड़ी टीम में हैं, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब सचिन के आउट होने पर पाकिस्तान में आतिशबाजी और भारत में मातम का माहौल बन जाता था। यह बात आपको भी पता ही होगी। यदि यकीन नहीं तो अपनी उम्र के किसी बुजुर्ग से पूछ लीजिएगा।
सचिन को भगवान बताने का अर्थ यह नहीं है कि वे एक बॉल पर 50 या 100 रन भी बना दें, क्योंकि आपके अनुसार भगवान ऐसा भी कर सकते हैं। सचिन को भगवान बताने से मतलब है कि श्री राम जी की तरह वे भी पूरी सेना के साथ लड़ते हैं। यदि हनुमान जी समुंद्र लांघकर रावण की लंका नहीं गए होते तो राम जी शायद जीत नहीं पाते। यदि अन्य वानर सेना ने अपने शत-प्रतिशत नहीं दिया होता तो राम की हालत भी वही होती जो हमारे सचिन की हुई। अकेले भगवान श्री राम भी रावण से शायद जीत नहीं पाते। भगवान श्री राम ने अपनी मर्यादा का पालन किया, उसी तरह सचिन भी खेल की मर्यादा नहीं लांघते। भगवान श्री राम जी का गुण था कि वे शांतचित रहते थे, आपने वैसा ही सचिन में भी देखा होगा। याद रखिए, सचिन को भगवान बताने का अर्थ यही है कि वे अपने युग के महान क्रिकेटर हैं।
यदि आप सचिन को बाजार के हाथों बनाया गया भगवान मानते हैं तो फिर श्री राम जी को भी कुछ लोगों ने अपने हित के लिए भगवान बनाया होगा, यह भी आपको मानना पड़ेगा। तब कुछ ऐसे लोग रहे होंगे, जो श्री राम जी को भगवान बताकर कमाई करते होंगे। श्री राम ने कभी कुछ नहीं किया होगा। अगर भगवान श्री राम 14 साल तक बनवास में रहे हैं तो इसका अर्थ यह नहीं कि वे भगवान नहीं थे या फिर घुमंतू थे। हो सकता है कि तब के कुछ कथित व्याख्यावादियों ने श्री राम जी को भी घुमंतू या फिर जंगलों में रहने वाला कहा होगा। लेकिन हिन्दू जानते हैं कि श्री राम जी क्या थे और सच क्या था। यह बात अलग है कि कांग्रेसियों और कुछ नए व्याख्यावादियों ने मिलकर इतिहास को अपने तरीके से बना डाला है। उन्होंने श्री राम जी के अस्तित्व पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
कहा जाता है कि रावण ने सभी कालों को अपने वश में कर लिया था। वह श्री राम से भी ताकतवर थे। श्री राम जी ने जब अपनी जीत की कामना करते हुए यज्ञ किया तो रावण को भी आमंत्रित किया। रावण ने खुद भगवान श्री राम को जीत के लिए आशीर्वाद दिया। ऐसे में यह तो नहीं कहा जा सकता कि श्री राम जी रावण की शक्ति से घबरा गए थे। शायद कुछ व्याख्यावादी ऐसा भी कह दें। जब सुग्रीव को मारा तो कहा जाता है कि धोखे से वार किया गया था, तो क्या श्री राम जी कायर थे? नहीं ऐसा नहीं कहा जा सकता।
सचिन तेंदुलकर भी कुछ इसी तरह हैं। सचिन को अगर भगवान बनाया है तो लोगों के प्यार ने। क्रिकेट के हर फार्मेट में उन्होंने खुद को साबित किया है। यदि बाजार ने ही सचिन को भगवान बनाया होता तो सचिन हमेशा क्रिकेट टीम के कप्तान रहते और अपनी कप्तानी में ही ढेरों रिकॉर्ड बनाते। चूंकि उन्हें भी श्री राम जी कि तरह ही अपनी मर्यादाएं मालूम थीं, इसलिए ही उन्होंने कप्तानी झोड़ दी, जो टीम और इस देश के लिए हितकारी थी। यदि बाजारवाद के बल पे ही सचिन खेलते तो अब तक उनके खाते में उतने ही शतक होते, जितने उन्होंने मैच खेले हैं।
किसी की अलोचना करनी बहुत आसान है, लेकिन किसी को उत्साहित करना और किसी की प्रशंसा करना उतना ही मुश्किल। मानवीय स्वभाव ही कुछ ऐसा है। इसके अलावा एक और फैक्टर जो काम करता है, वह है उम्र का। बुजुर्गों को समझाना उतना ही मुश्किल है, जितना कि जिंदा और आजाद मेंढ़कों को तराजू के पलड़े में तोलना। वैसे मुझ जैसे चारणभाट व्याख्यावादियों और इतिहास बदलने की क्षमता रखने वालों से कैसे पार पा सकते हैं। गुस्ताखी के लिए माफी चाहूंगा। फिर मिलेंगे।
प्रिय आमीन और वीरेंद्र इस लिंक को अवश्य पढ़ें
http://tewaronline.com/?author=11
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जिस मुकाम पे सचिन पहुंचा है वो सिर्फ़ उसकी कड़ी मेहनत और लगन का फल है! इस उम्दा पोस्ट
jhamaajham.
सचिन जिंदाबाद!
mitra divas ki badhai..........
मित्रता दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ!
सचिन सही में है महान...
तभी तो मिल रहा उसे इतना सन्मान!
bahut badhiya
sahi kaha aapne.
sahi kaha aapne.
bilakul sahee kahaa . aasheervaad.
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