17 अप्रैल 2010

दर्द जब कागज़ पर उतर आएगा


 दर्द जब कागज़ पर उतर आएगा
चेहरा तेरा लफ्जों में नज़र आएगा

अपने हाथों की लकीरों में न छुपाना मुझे
हाथ छूते हि तेरा चेहरा निखर आएगा

बदल गया है मौसम् महक सी आने लगी
मुझे लगता है जैसे तेरा शहर आएगा

तेरे पहलू में बैठूं तुझसे कोई बात करुँ
एक लम्हा ही सही पर ज़रूर आएगा

एक मुद्दत से आँखे बंद किए बैठा हूँ
कभी तो ख्वाब में मेरा हज़ूर आएगा 

दिगम्बर नासवा जी कलम से निकली एक दर्द भरी रचना

33 टिप्‍पणियां:

अनिल कान्त ने कहा…

He is a superb writer
I know

Yogi ने कहा…

khoob...

Shekhar Kumawat ने कहा…

BEHAD KHUB GAZAL PES KI AAP NE

Girish Kumar Billore ने कहा…

बहुत सुंदर अब निखार आता जा रहा है

Udan Tashtari ने कहा…

एक मुद्दत से आँखे बंद किए बैठा हूँ
कभी तो ख्वाब में मेरा हज़ूर आएगा


-वाह!! दिगम्बर नासवा जी की गज़लों के क्या कहने. बड़े शायरों की कलम अलग से दिख जाती है. बहुत खूब!!

दीपक 'मशाल' ने कहा…

qalam sunahri hoti ja rahi hai Digambar ji aapki

M VERMA ने कहा…

एक मुद्दत से आँखे बंद किए बैठा हूँ
कभी तो ख्वाब में मेरा हज़ूर आएगा
दिगम्बर जी की गजलें क्या कहने
बहुत खूब

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बदल गया है मौसम् महक सी आने लगी
मुझे लगता है जैसे तेरा शहर आएगा

प्रेम अभिव्यक्ति बहुत सुन्दर लगी।

बेनामी ने कहा…

unke baare mein kya kahoon..
woh to hain hi behtareen lekhak...
bahut achhi gazal....

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत सुन्दर गजल है!!

Tapashwani Kumar Anand ने कहा…

बदल गया है मौसम् महक सी आने लगी
मुझे लगता है जैसे तेरा शहर आएगा

bahut khub kahaa hai maza aa gaya..
ye rachna ham sabhitak pahoonchane ke liye bahoot bahut dhanyawad

Shalabh Gupta "Raj" ने कहा…

मैं नहीं लिखता...."उनका" अहसास लिखता है....

आपका बहुत-बहुत आभार प्रिय संजय भास्कर जी....

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

बहुत खूबसूरत शायरी।

Sadhana Vaid ने कहा…

बेहद ख़ूबसूरत गज़ल है ! हर शेर दिल को गहराई तक छूता है ! बहुत खूब !

वीनस केसरी ने कहा…

दर्द जब कागज़ पर उतर आएगा
चेहरा तेरा लफ्जों में नज़र आएगा

वाह दिगंबर साहब
मजा आ गया

kshama ने कहा…

Khoobsoorat gazal se ru-b-ru karaya aapne..

हर्षिता ने कहा…

नासवा जी की हर रचना की काय़ल हूं मैं,धन्यवाद संजय जी खूबसूरत ग़जल के लिए।

Kulwant Happy ने कहा…

प्यासा था, एक मुद्दत के बाद पानी मिल ही गया}

देखकर संजय के ब्लॉग़ पर, नासवा जी की रचना मन खिल ही गया।


चलते चलते कमबख्त नवरोज (कुलवंत हैप्पी) कुछ लिख ही गया।

Rohit Singh ने कहा…

सिर्फ एक शब्द ..वाह वाह....और क्या कहें

Unknown ने कहा…

बहुत खूब ..........
काफी अच्छी रचना, बधाई .......

Unknown ने कहा…

बहुत खूब ..........
काफी अच्छी रचना, बधाई .......

वाणी गीत ने कहा…

दर्द जब कागज़ पर उतर जाएगा ...
चेहरा तेरा लफ़्ज़ों में नजर आएगा ...
बहुत बढ़िया ...!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया और संजय जी का भी जो उन्होने मेरी ग़ज़ल को अपने ब्लॉग पर लगाने लाएक समझा ...

Urmi ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना ! बधाई!

चन्द्र कुमार सोनी ने कहा…

wah wah ji wah wah.
(ab isse jyada kya kahu?????)
thanks.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

चन्द्र कुमार सोनी ने कहा…

wah wah ji wah wah.
(ab isse jyada kya kahu?????)
thanks.
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nilesh mathur ने कहा…

एक मुद्दत से आँखे बंद किए बैठा हूँ
कभी तो ख्वाब में मेरा हज़ूर आएगा
वाह ! कमाल का लिखा है

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

इसे पढ़ के मिला सुख उसे मैं कह नहीं सकता।
बिना बाधे सही तारीफ के पुल रह नहीं सकता।
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

रचना दीक्षित ने कहा…

वाह !!!!!!!!! क्या बात है..... अच्छी है ग़ज़ल .शानदार जानदार और क्या कहूँ..........

Unknown ने कहा…

बेहद ख़ूबसूरत गज़ल है

अंजना ने कहा…

बहुत खूब !!!! बढ़िया गज़ल

Unknown ने कहा…

बहुत खूबसूरत शायरी।