तन्हाई में जब मैं अकेला होता हूँ,
तुम पास आकर दबे पाँव चूम कर मेरे गालों को,
मुझे चौंका देती हो, मैं ठगा सा, तुम्हें निहारता हूँ,
तुम्हारी बाहों में, मदहोश हो कर खो जाता हूँ.
सोच रहा हूँ..... कि अब की बार तुम आओगी,
तो नापूंगा तुम्हारे प्यार की गहराई को.... आखिर कहाँ खो जाता है
मेरा सारा दुःख और गुस्सा ? पाकर साथ तुम्हारा,
भूल जाता हूँ मैं अपना सारा दर्द देख कर तुम्हारी मुस्कान और बदमाशियां.... मैं जी उठता हूँ, जब तुम,
लेकर मेरा हाथ अपने हाथों में,
कहती हो....... मेरे बहुत करीब आकर कि रहेंगे हम साथ हरदम...हमेशा....
महफूज़ भाई तो गायब है चलो हम ही उनकी एक पुरानी रचना सभी ब्लोगर मित्रो को पढवाते है
महफूज़ अली जी की कलम से ये पंक्तिया आप तक
पहुंचा रहे है
संजय भास्कर
26 टिप्पणियां:
क्या बात ..श्रृंगार रस ....का पूरा मिश्रण ....बहुत खूब
इसके लिए धन्यबाद है सर जी......
आखिर कहाँ खो जाता है
मेरा सारा दुःख और गुस्सा ? पाकर साथ तुम्हारा,
yahi to sacche sathi ki pahchaan hai !!!
भूल जाता हूँ मैं अपना सारा दर्द देख कर तुम्हारी मुस्कान और बदमाशियां.... मैं जी उठता हूँ, जब तुम,
लेकर मेरा हाथ अपने हाथों में,
कहती हो....... मेरे बहुत करीब आकर कि रहेंगे हम साथ हरदम...हमेशा....
अहा सच मे दिल को छू गई ये लाइने
आपको बहुत बहुत धन्यवाद
badhiya chunaav.badhayi.
अहा सच मे दिल को छू गई ये लाइने
कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
दिल को छू रही है यह कविता .......... सत्य की बेहद करीब है ..........
साहब, हमारे ब्लाग पर आकर हमारी काफ़ी पोस्ट्स को एक दिन मे पढ कर ज़िन्दा वापस जाने के लिये मै आपको धन्यवाद करता हू..
बहुत बहुत शुक्रिया..कविता बहुत अच्छी है..
बहुत सुंदर.
रामराम.
बहुत सुंदर...
वाह वाह बहुत ख़ूबसूरत! बढ़िया लगा!
मेरा सारा दुःख और गुस्सा ? पाकर साथ तुम्हारा,
बहुत खूब
पर महफूज को ढूढने निकले आपके सारे एजेंट फेल हो गये क्या?
बहुत सुन्दर प्रेम गाथा । बढ़िया प्रस्तुति।
'आखिर कहाँ खो जाता है
मेरा सारा दुःख और गुस्सा ? पाकर साथ तुम्हारा'
ख़ूबसूरत...और बिल्कुल सच..
भावुक अभिव्यक्ति....
achchhi prastuti
...मह्फ़ूज मियां कहां चले गये जो आपको जहमत उठानी पड रही है .... सुन्दर प्रस्तुति,बधाई!!!!
theek thaak hi lagi mahfooj bhaayi kee yah rachnaa.....baki apan to unke premi hai naa.....jeeo-jeeo hi kahenge.....!!
भाष्कर जी सबसे पहले ध्न्यवाद मेरा हौसला अफजाई ले लिये। मै चाहुगाँ आप मेरा आगे भी हौसला अफजाई करे ।
नजरो से देख कर दिल मे डुबने की आदत है प्यार आप का उसमे डुबने की आदत है।
सुन्दर रचना महफूज़ जी की।
महफूज़ भाई की कलाम से निकली .... दिल की आवाज़ ....
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
बहुत सुंदर भाव और मन को छूने वाली रचना |
आशा
अति-उत्तम.
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