दूर जा चुके हो बहुत तुम हमसे ,
न जाने क्यों ये अहसास रहता है ,
हकीकत मे नहीं हो तुम यहाँ पर ,
पर सपनो में तेरा साया मेरे साथ रहता है ,
बहुत कोशिश की तुम्हे भूल जाने की ,
पर फिर भी तेरे चेहरा सामने रहता है ,
न ख़त आया है तुम्हारा ,
कहीं भूल तो नहीं गए ये अहसास रहता है ,
लोग कहते के तुम नहीं आओगे ,
न जाने क्यों मुझे फिर भी तुम्हारा इंतजार रहता है |
35 टिप्पणियां:
वाह बहुत खूब....लगता हे होली का रंग चढ़ा हे...और साथी को मिस किया जा रहा है..
प्यार से और इंतजार से भरी रचना.
बधाई.
बहुत ही सुंदर तरीके से अपने भावों को सीधे सीधे रख दिया है आपने ..सुधार की गुंजाईश है अभी बहुत ..
हकीकत मैं नहीं ....हकीकत में नहीं ..
पर फ़िल भी ..पर फ़िर भी ..
न खबर आई ..न खत आया ,,,,
बस कुछ इसी तरह की कोशिश की जा सकती है
अजय कुमार झा
bilkul sahi kaha aapne...
fir b intezar rehta hai
बहुत खूब .....अहसासों को बड़ी सरलता से शब्दों का रूप दिया है आपने इस रचना में
लोग कहते के तुम नहीं आओगे ,
न जाने क्यों मुझे फिर भी तुम्हारा इंतजार रहता है |
वाह बेटा एहसास तो बहुत सुन्दर हैं। दिल की बात को सुन्दर शब्दों मे कहा है अच्छा लिखते हो। मनोकामना पूर्ण हो। आशीर्वाद
लोग कहते के तुम नहीं आओगे,
फिर भी तुम्हारा इंतजार रहता है|
से सजी सुंदर रचना - शुभकामनाएं
इंतज़ार का अपना ही आनंद होता है।
वाह बहुत खूब....लगता हे होली का रंग चढ़ा हे...और साथी को मिस किया जा रहा है..
प्यार से और इंतजार से भरी रचना.
बधाई.
Bahut khoob Sanjay ji ... ye intezaar bhi kitna jaalim hota hai ... hamesha takleef hi deta hai ... par bhi insaan intezaar karta hai ...
sanjay ji ki lekhni dwara ak uttam rchna ...bdhayee
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति। आभार!!
सुन्दर भाव
कह्ते हैं न कि इंतजार का फल मीठा होता है
"कल तलक जो
रंगों से थी रंगी
आज क्यों
आंसुओ में हैं भीगी?"....
सुन्दर प्रस्तुति! आभार!!
लोग कहते के तुम नहीं आओगे ,
न जाने क्यों मुझे फिर भी तुम्हारा इंतजार रहता है |
....प्रभावशाली रचना!!!
wah bhai maja aa gaya...
kya khoob likha hai aapne,purani yaado ki galiyaro me jaane ko majboor ho gaye,sahi kaha kuchh logo ka jivan bhar itnzaar rahta hai.
vikaspandey
http://www.vicharokadarpan.blogspot.com/#
दफ्न कर ही आए हैं आज उन साँसों को
कभी कहते थे, इन पर हर लम्हा तुम्हारा नाम रहता है.
गुस्ताखी के लिए माफी , लेकिन आपकी रचना ने मुझे भी कुछ लफ़्ज़ लिखने को मजबूर कर दिया.
बहुत सुंदर लिखा है आपने .
वक्त मिले तो कभी आइएगा हमारे ब्लॉग पर
http://man-ka-kona.blogspot.com/
अरे वाह संजय जी बहुत सुन्दर रचना । शुभकामनायें ।
achi kavita...spelling mistake ka mai kuch nai bata sakta...
per baki sabkuch acha laga. neeche ki kuch line me agar sudhar ho to maza aa jaye..
kya...ye chat pe bta dunga furast em...
बहुत कोशिश की तुम्हे भूल जाने की ,
पर फिर भी तेरे चेहरा सामने रहता है ,
न ख़त आया है तुम्हारा ,
कहीं भूल तो नहीं गए ये अहसास रहता है ,
intzaar ke khwaab hi sach hote hain
अरे भाई ....इंतजारी में समय बोझिल जो नहीं लगता ? आभार!
वाह!! बढिया है.
Abhivyakti to behad dilkash hai bhaiya mere.....lekin yah batao pichali kuch posts se chal kya raha hai??
Kahi se kya prem rog le aae ho...ab chupaoge bhi to kya rachanae to saf saf bata rahi hai :D
Shubhkamnae aane wali jaldi se aajae
मर गए हम खुली रही आँखे ...इससे ज्यादा इंतज़ार की हद क्या होती ...
सीधी सदी मगर अच्छी रचना ...!!
niraasha mein bhi
aas ke bhaav
achhee rachnaa hai
aur....
Anamika ji ki baat
theek lagti hai...
(:
;;;jinhe hum bhoolna chahe wo aksar yaad aate hai '''' sanjay ji bahur sunder bhaav hai, badhae .
वाह बहुत ही ख़ूबसूरत और प्यार भरा रचना!
behad pyar or intjaar bhari rachna.
bahut hi sundar ,shaandaar likha hai .
sade shadbo mei jab dil ki baat utarti hei kagaz par to bahut acha lagta hei......khubsurat
कील-कांटे हटा दें तो सीधा-सच्चा बयान प्रेम और प्रतीक्षा का दर्पण बन जाए !
सच तो यह है कि इस व्यग्रता से मेरी कभी पहचान नहीं हुई, लेकिन इसके मर्म को समझ सकता हूँ !!
सप्रीत--आ.
ek asha ka ehsaas liye sunder kavita .
दूर जा चुके हो बहुत तुम हमसे ,
न जाने क्यों ये अहसास रहता है ,
हकीकत मे नहीं हो तुम यहाँ पर ,
पर सपनो में तेरा साया मेरे साथ रहता है ,
सुन्दर रचना। दिल को छुने वाली।
....प्रभावशाली रचना!!!
aapki rachna sidhe jakar marm ko chhu gayi aisa laga jaise apni hi dastan ko padh liya ho ........bahut 2 badhai
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